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पटना : बिना रजिस्ट्रेशन नहीं चलेगा वृद्धाश्रम, एसडीओ करेंगे जांच
पटना : अब कोई भी वृद्धाश्रम सरकार की अनुमति के बिना नहीं चल सकेगा. राज्य सरकार ने सभी जिलों में कार्यरत ऐसे वृद्धाश्रम की जांच के लिए अनुमंडलाधिकारियों को टास्क दिया है. एसडीओ मई महीने से वृद्धाश्रम की जांच कर रिपोर्ट बनायेंगे. रिपोर्ट में राज्य में चल रहे सरकारी व गैरसरकारी वृद्धाश्रम की संख्या की […]
पटना : अब कोई भी वृद्धाश्रम सरकार की अनुमति के बिना नहीं चल सकेगा. राज्य सरकार ने सभी जिलों में कार्यरत ऐसे वृद्धाश्रम की जांच के लिए अनुमंडलाधिकारियों को टास्क दिया है. एसडीओ मई महीने से वृद्धाश्रम की जांच कर रिपोर्ट बनायेंगे.
रिपोर्ट में राज्य में चल रहे सरकारी व गैरसरकारी वृद्धाश्रम की संख्या की जानकारी हासिल करेंगे. जांच के दौरान बिना रजिस्ट्रेशन के चलने वाले वृद्धाश्रम पर तुरंत कार्रवाई की जायेगी. फिलहाल बिहार में वृद्धावस्था पेंशन पाने वाले बुजुर्गों की संख्या 50 लाख से अधिक है.
वृद्धाश्रम चलाने को सरकार की ओर से प्रति वृद्ध 4440 रुपया प्रतिमाह मुहैया कराया जाता है. इन पैसों का उपयोग उनके भोजन, वस्त्र, साफ-सफाई व दैनिक कार्य के लिए किया जाता है. बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य जांच कैंप भी वृद्धाश्रम में ही लगवाने का निर्देश दिया गया है. बीमारी बड़ी होने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए भेजा जायेगा.
बिहार में वृद्धाश्रम की संख्या : पटना में 18, भागलपुर में 25, गया में 19, मुजफ्फरपुर में 15 और पूर्णिया में 31 वृद्धाश्रम है.
सदन चलने के बाद क्षेत्र में रहें सांसद, प्रतिनिधि करें समस्याओं का निदान
चुनाव पर चर्चा हर तरफ चल रही है. प्रभात खबर अपने चुनावी चौपाल के माध्यम से आम लोगों की खास बातों को सामने लाने की कोशिश कर रहा है.
अखबार की कोशिश है कि इस चुनाव में ऐसे भी मुद्दे आयें, जिसे आम जनता चाहती हो. जिसका सीधे आम जनता से सरोकार हो. जिन मुद्दों पर काम किया जाये, जिन समस्याओं को सुलझाया जाये, तो इसका फायदा सीधे आम आदमी को मिले. इसके अलावा इस लोकसभा चुनाव के दौरान लोग कैसे सांसद और प्रधानमंत्री को चुनना चाहते हैं, अखबार इस बात को भी सामने लाने का प्रयास कर रहा है.
इस क्रम में बुधवार को चांदपुर बेला में पटना-गया रेलवे लाइन के करीब पानी टंकी के पास प्रभात खबर की ओर से चुनावी चौपाल का आयोजन किया गया. इस चौपाल में कई महत्वपूर्ण बातों पर आम लोगों ने चर्चाएं की. अधिकांश लोगों का कहना था कि हमें इस बार ऐसे सांसद का चुनाव करना है, जो सदन चलने के बाद अपना अधिकांश समय अपने क्षेत्र में ही गुजारे और उसका एक सांसद प्रतिनिधि हर समय मौजूद रहे, ताकि आम लोग कभी भी अपनी समस्या हो लेकर उसके पास आ सके.
चांदपुर बेला, पंप हाउस के पास
सुबह नौ बजे का समय. स्थान डॉ राजीव लोचन के क्लिनिक के पास. चौपाल के दौरान लगभग 30 से अधिक लोग मौजूद थे. लोग इस बात को लेकर काफी उत्साहित थे कि अखबार उनके पास आकर उनकी बातों को लोकसभा उम्मीदवारों के सामने लाने की कोशिश कर रहा है. चर्चा पहले से शुरू हो चुकी थी.
प्रभात खबर की टीम पहुंची तो तेजेश्वर कुमार तेजू कह रहे थे, बताइए, मैंने राज्य में कई जगहों पर जा कर देखा है, सरकारी स्कूलों की स्थिति काफी खराब है. एक-दो कमरे में पूरा स्कूल चल रहा है. कहां विकास हुआ है? बात को आगे बढ़ाते हुए आशा कार्यकर्ता मंजू देवी बोलीं, भले कितना भी विकास की बात की जाये. गंदगी अभी भी है. शराब अभी भी घर-घर मिल रहा है. नेता अपने विकास में लगे हैं, क्षेत्र को देखने कोई नहीं आता है. बैंक कर्मी दीपक, महेंद्र अमरनाथ गांधी, सुनीता देवी सहित कई लोग मौजूद थे.
लोकसभा चुनाव के दौरान हमें इस बात का ध्यान देना होगा कि हम एक ऐसे सांसद को वोट करें, जो देश हित की बात करे. उम्मीदवार चुनाव के समय क्षेत्र में दिखते हैं और लोग चुनाव जीतने के बाद नहीं दिखते. तो ऐसे हवाई उम्मीदवार को हमें इस बार नहीं चुनना है. शत्रुध्न सिन्हा जैसे लोगों को वोट करने से कोई फायदा नहीं हुआ.
– दीपिका, शिक्षिका
हमें ऐसा मौका पांच वर्ष के बाद मिल रहा है, हमें इसका उपयोग काफी सोच समझ कर करना होगा. लोकतंत्र के इस महापर्व को सफल बनाने के लिए हम सभी को वोट करने की जरूरत है. सभी को अपने स्तर से उम्मीदवार को जानने व समझने कर निर्णय लेना चाहिए. कौन देश के लिए क्या करेगा, किस को चुनने से आम जनता का फायदा होगा, इस बात पर वोट करना होगा.
– मीरा कुमारी, पार्षद
अपने मन के उम्मीदवार चुनना, अपने मन की केंद्र सरकार का समर्थन करना अच्छी बात है. लेकिन, पहले लोगों को वोट करने के लिए अधिक से अधिक संख्या में आना होगा. शहरी क्षेत्र में वोट फीसदी काफी कम रहता है. ऐसे में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वोट करने की जरूरत है. वहीं, लोकसभा चुनाव केंद्रीय मुद्दे पर होना चाहिए.
– डाॅ0 राजीव लोचन, मधुमेह विशेषज्ञ
देखिए, पांच वर्ष में कोई लूटपाट
नहीं हुआ. आज पैसा रहे या नहीं रहे, बैंक में खाता खुल जाता है, लेकिन गरीबों के लिए और काम करने की जरूरत है. मैं किराये पर रहता हूं, यहां का आवास नहीं रहने के कारण मेरा बीपीएल कार्ड नहीं बना. मेरी मां 105 वर्ष के उम्र में मर गयी, लेकिन वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिला.
– मुन्ना प्रसाद केशरी, आइसक्रीम विक्रेता
आज सभी पार्टियाें में परिवारवाद, वंशवाद चल रहा है. चुनाव के समय लोग हाथ जोड़ कर क्षेत्र में घूमते हैं, लेकिन हमें ऐसे सांसद की जरूरत है, जो इतना काम कर दें कि चुनाव के समय उसे हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं पड़े. सांसद अधिकांश समय अपने क्षेत्र में रहे. इस बात पर भी ध्यान देना होगा. पटना-मसौढ़ी सड़क का जल्द से जल्द निर्माण होना चाहिए.
– कोमल साव, ठेला चालक
हमें सांसद चुनना है ना की भगवान. ऐसे में वोट करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना है कि जरूरत पर उनसे मुलाकात हो जाये. सांसद हमारे बीच का होना चाहिए. इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य में अभी और सुधार की जरूरत है. काम करने के वाले लोग सदन में जायें, इसका प्रयास हमें करना चाहिए.
– उपेंद्र प्रभाकर, समाजसेवी
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