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बिहार को जल्द मिलेंगे 581 पशु चिकित्सक
पटना : पशु चिकित्सकों की कमी झेल रहे पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग को जल्द ही 581 चिकित्सक मिलेंगे. बिहार लोक सेवा आयोग ने विभाग को सूची उपलब्ध करा दी है. फरवरी के पहले सप्ताह में उनको नियुक्ति पत्र मिलने की पूरी संभावना है. 24 जनवरी को बीपीएससी से विभाग को पशु चिकित्सकों की सूची […]
पटना : पशु चिकित्सकों की कमी झेल रहे पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग को जल्द ही 581 चिकित्सक मिलेंगे. बिहार लोक सेवा आयोग ने विभाग को सूची उपलब्ध करा दी है. फरवरी के पहले सप्ताह में उनको नियुक्ति पत्र मिलने की पूरी संभावना है.
24 जनवरी को बीपीएससी से विभाग को पशु चिकित्सकों की सूची मिली है. नये चिकित्सकों की तैनाती के बाद पशु चिकित्सालयों को 24 घंटे खोलने की योजना को गति मिलेगी. राज्य में करीब 2000 डाॅक्टरों के पद स्वीकृत हैं. अभी राज्य में एक हजार से अधिक पशु चिकित्सक हैं. हालांकि, 581 चिकित्सक मिलने के बाद भी राज्य में करीब 500 डाॅक्टरों की कमी बनी रहेगी. राज्य में दो हजार से अधिक पशु चिकित्सालय हैं.
विभाग की योजना सामान्य अस्पताल की तरह 24 घंटे सातों दिन खोलने की है. कुछ जगहों पर यह चल भी रही है, लेकिन डाॅक्टरों की कमी के चलते यह पूरी तरह लागू नहीं हो पायी है. मुख्यमंत्री ने पशु चिकित्सालयों में इनडोर इलाज की भी व्यवस्था शुरू करने का निर्देश विभाग को दिया है.
राज्य में नया पशु चिकित्सालय भी खुलेगा : राज्य में नया पशु चिकित्सालय खोलने की योजना है. जिला स्तर से इस बात की जानकारी मांगी गयी है कि उनके यहां कितने पशु चिकित्सालय की जरूरत है. तृतीये व चतुर्थ वर्ग के रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग से तैनाती होगी. अगले वित्तीय वर्ष से मुख्यालय स्तर से दवा की खरीद होगी.
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की सचिव डाॅ एन विजयलक्ष्मी ने बताया कि बीपीएससी से 581 पशु चिकित्सकों की सूची मिल गयी है. जल्द ही इनको नियुक्ति पत्र मिलेगा. जरूरत के हिसाब से इनकी तैनाती की जायेगी. पटना : लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने गर्मीमें जल स्तर नीचे जाने के पूर्व से तैयारी शुरू कर दी है. विभाग ने कार्यपालक अभियंताओं को प्रखंड स्तर पर चापाकलों की जांच करने का निर्देश दिया है, जहां पिछले वर्ष पानी की किल्लत अधिक हुई थी. वहां के चापाकल का स्थल निरीक्षण कर पंद्रह फरवरी से पूर्व सभी रिपोर्ट विभाग को देनी है.
इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर पानी का स्तर गिरने के बाद वहां क्या व्यवस्था की जायेगी, इसको लेकर भी विभागीय स्तर पर रणनीति बनेगी. सभी कार्यपालक अभियंताओं को प्रखंड स्तर पर भू-जल स्तर की मापी करने के बाद उसकी रिपोर्ट बनानी है.
अगर जरूरत पड़ेगी, तो वहां के पाइप को भी बदला जायेगा. रिपोर्ट में इन बातों को स्पष्ट करना है कि चापाकल में तकनीकी परेशानी क्या होगी और पिछले वर्ष किस समय पानी का स्तर अधिक गया था, उसकी विस्तृत रिपोर्ट बना कर विभाग को भेजनी है. जहां चापाकल बंद होंगे, वहां उसे तुरंत ठीक करना है.
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