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पटना : जब जजों को साफ पानी नहीं मिलता है तो आम लागों का क्या होता होगा : कोर्ट

वीरचंद पटेल के पास टूटी है पाइप, अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती पटना : पटना हाइकोर्ट ने बुधवार को आर्सेनिक मुक्त पानी उपलब्ध कराने के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पटना में रहनेवाले न्यायाधीशों को भी शुद्ध और नियमित पानी नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि वीरचंद पटेल पथ पर कई जगहों पर पाइप […]

वीरचंद पटेल के पास टूटी है पाइप, अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती
पटना : पटना हाइकोर्ट ने बुधवार को आर्सेनिक मुक्त पानी उपलब्ध कराने के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पटना में रहनेवाले न्यायाधीशों को भी शुद्ध और नियमित पानी नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि वीरचंद पटेल पथ पर कई जगहों पर पाइप फटी हुई है और पानी रोड पर बहता है.
उस पानी का उपयोग सड़क किनारे रहनेवाले लोग घरेलू कार्यों के लिए करते हैं. इसी पाइप से वीवीआइपी सहित अन्य लोगों को भी पानी सप्लाइ की जाती है. साथ ही नगर निगम द्वारा समय पर भी पानी नहीं मिलता. कोर्ट की तल्ख टिप्पणी थी कि जब न्यायाधीशों के साथ ऐसी स्थिति है, तो जनता के साथ क्या गुजरती है, यह समझा जा सकता है. हाइकोर्ट ने आर्सेनिक युक्त पानी से मुक्ति दिलाने के लिए दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की.
कोर्ट ने नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव और पटना नगर निगम के आयुक्त को निर्देश दिया. तय समय सीमा में सरकार एक्शन प्लान नहीं बनाती है, तो इन दोनों पदाधिकारियों को रोज सुबह से शाम तक कोर्ट में खड़ा रहने का निर्देश तब तक दिया जायेगा, जब तक जनता को बिना बाधा के पेयजल उपलब्ध नहीं करा दिया जाता. सूबे में शुद्ध पेयजल आपूर्ति करने एवं आर्सेनिक युक्त भूगर्भ जल से मुक्ति दिलाने के लिए ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करने हुए न्यायाधीश ज्योति शरण और न्यायाधीश अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए निर्देश दिया. कोर्ट ने शुद्ध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए राज्य सरकार को चार सप्ताह में विस्तृत एक्शन प्लान पेश करने का आदेश दिया.
पटना : राज्य में संबद्धता प्राप्त कॉलेजों की ओर से सरकारी अनुदान के रूप में प्राप्त राशि के दुरुपयोग के मामले में हाइकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) से जवाब तलब किया है.
साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को भी इस मामले की जांच-पड़ताल करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति ज्योति शरण व न्यायमूर्ति अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वेटरंस फोरम की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सूबे के अधिसंख्य संबद्धता प्राप्त (एफिलिएटेड ) कॉलेज प्रशासन द्वारा यूजीसी से मिले अनुदान राशि की बंदरबाट की जा रही है. कोर्ट ने जनहित याचिका में लगाये गये आरोपों को गंभीर मानते हुए आयोग के सचिव को 31 तक जवाब देने का निर्देश दिया है. इस मामले पर अगली सुनवाई चार फरवरी को होगी.
अधिकारियों को नहीं रहती जानकारी : सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वीरचंद पटेल पथ के पास जल मीनार होने के बावजूद नजदीक के सरकारी बंगलों में पेयजल आपूर्ति बाधित हो जाती है. चाहे वे जज ही क्यों न हों? संबंधित अधिकारियों को पाइप के टूटने-फूटने की जानकारी तक नहीं रहती. दूषित पानी पीने से कैंसर रोग हो जाता है.
वेंडर जोन बनाने के बाद फुटपाथ से दुकान हटाएं : कोर्ट ने कहा कि शहर में वेंडर जोन बिना बनाये किसी भी फुटपाथ दुकानदार को उनकी जगह से हटाना गलत प्रतीत होता है. सरकार को वेंडर जोन बना कर ही फुटपाथ से दुकानदारों को हटाना चाहिए. कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों से 23 जनवरी तक शपथपत्र दायर कर एक्शन प्लान की जानकारी मांगी है.

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