पटना : नयी दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम-II में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फिल्म उत्सव निदेशालय द्वारा भारतीय पैनोरमा फिल्म उत्सव आयोजित किया जा रहा है. दस दिनों तक चलनेवाले फिल्मोत्सव की शुरुआत आज चार जनवरी से हो रही है. यह फिल्मोत्सव 13 जनवरी तक चलेगा. फिल्म उत्सव का उद्घाटन शाम साढ़े पांच बजे किया जायेगा. 49वें भारत अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भारतीय पैनोरमा वर्ग में चुनी जानेवाली सभी फिल्मों को इस उत्सव के दौरान प्रदर्शित किया जायेगा. इस दौरान कुल 26 फीचर फिल्में और 21 गैर-फीचर फिल्में दिखायी जायेंगी.
फिल्म उत्सव में जैनेंद्र दोस्त एवं शिल्पी गुलाटी निर्देशित भोजपुरी फिल्म ‘नाच भिखारी नाच’ भी प्रदर्शित की जायेगी. 72 मिनट की यह फिल्म दस जनवरी को सुबह 11 बजे दिखायी जायेगी. इसके बाद 10 जनवरी को ही बिहार की पृष्ठभूमि पर बनी कामाख्या नारायण सिंह निर्देशित 91 मिनट की फिल्म भोर का प्रदर्शन किया जायेगा. फिल्म उत्सव की शुरुआत में फीचर फिल्म ‘ओलू’ और गैर-फीचर फिल्म ‘खरवास’ दिखायी जायेगी.
‘नाच भिखारी नाच’ भोजपुरी के शेक्सपीयर कहे जानेवाले भिखारी ठाकुर को एक सिनेमाई श्रद्धांजलि है. भिखारी ठाकुर की नाच मंडली में दशकों तक काम करनेवाली टीम के जीवित बचे कलाकारों 92 वर्षीय रामचंद माझी (बड़े), 75 वर्षीय शिवलाल बारी, 80 वर्षीय लखीचंद माझी और 70 वर्षीय रामचंदर माझी (छोटे) की यादों, वर्तमान जीवन और भिखारी ठाकुर के नाटकों की ठेठ प्रस्तुतियों पर आधारित है. मालूम हो कि भिखारी ठाकुर की टीम के सदस्य 92 वर्षीय रामचंदर माझी (बड़े) को हाल ही में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला है.
वहीं, फिल्म ‘भोर’ की कहानी बिहार के मुसहर जाति की बुधनी नाम की लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है. बुधनी ने छोटे-छोटे संघर्ष कर सम्मान की जिंदगी जीना कैसे शुरू करती है, फिल्म में दिखाया गया है. बिहार की मुसहर जाति की महिला के संघर्ष के ताने-बाने पर बनी फिल्म ‘भोर’ में बिहार के मुसहर टोले के लोगों को ही बतौर कलाकार लिया गया है. फिल्म की 80 फीसदी शूटिंग भी बिहार के नालंदा जिले में हुई है.