पटना : फुलवारीशरीफ का ईएसआईसी अस्पताल खुद अपने इलाज का इंतजार कर रहा है. अस्पताल में उपकरणों की कमी है. स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने का दावा भले करे. लेकिन डॉक्टरों व उपकरणों की कमी से मरीज हलकान हैं. यहां आज भी 30% पद रिक्त हैं. कान-नाक, गला, किडनी के विशेषज्ञों की कमी है. नतीजा मरीज खुद को रेफर कराने की मांग करते हैं. रोजाना 15 से 20 मरीज प्राइवेट अस्पताल रेफर हो जाते हैं.
सहायक डॉक्टरों की बदौलत चल रहे ओपीडी
पटना के कई सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले सैकड़ों श्रमिकों एवं कर्मचारियों से सालाना लाखों रुपये ईएसआई के नाम पर तो काटे जाते हैं. लेकिन बेहतर इलाज की सुविधा इस अस्पताल में मौजूद नहीं है. विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है. सर्जिकल, ऑर्थोपेडिक, गायनिक, ईएनटी में डॉक्टरों की कमी हैं. ओपीडी सहायक डॉक्टरों के भरोसे हैं. ईएनटी में मरीजों को इलाज के लिए कई दिनों तक इंतजार किया जाता है. यहां नर्स व दवाओं का भी घोर अभाव है. नतीजा मरीजों को प्राइवेट अस्पताल रेफर कर दिया जाता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
बिहटा में बड़े स्तर पर अस्पताल शिफ्ट होने जा रहा है, इसके लिए यहां उपकरण आदि की सुविधाएं नहीं बढ़ पा रही हैं. साथ ही डॉक्टर, नर्स व पैरा मेडिकल की कमियों के कारण मरीजों को थोड़ी दिक्कत होती है. लेकिन जल्द ही डॉक्टर व नर्स बहाल कर दिये जायेंगे. इसकी तैयारी चल रही है. अस्पताल में सुविधा मिलते ही मरीजों की परेशानी खत्म हो जायेगी.
—फैयाज अहमद, डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट ईएसआई अस्पताल.
यहां ओपीडी में मरीज देखने के साथ मरीजों के लिए अलग से वार्ड में भर्ती की सुविधा दी गयी है. इमरजेंसी वार्ड भी बनाया गया है. लेकिन गंभीर मरीज को उनकी पहुंच के हिसाब से रेफर कर दिया जाता है.
यहां जनरल सर्जरी और डिलिवरी भी की जाती है. लेकिन मरीजों को मेडिकल ऐसेसरीज व दवाएं बाहर से लानी पड़ती हैं. क्योंकि यहां जो दवाएं मिलती हैं वह सामान्य बीमारी के लिए होती हैं. बाहर से सामान के बिल भुगतान में होने वाली परेशानियों से बचने के लिए मरीज प्राइवेट नर्सिंग होम में रेफर के लिए मिन्नत करते हुए देखे जाते हैं.
