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वैशाली से थोड़े बड़े मॉरीशस की संसदीय प्रणाली अनुकरणीय : विस अध्यक्ष

पटना : विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने बताया है कि हमारे पूर्वजों द्वारा बसाया गया छोटा सा देश मॉरीशस क्षेत्रफल में अपने वैशाली जिले से थोड़ा ही बड़ा है लेकिन इसकी संसदीय प्रणाली अनुकरणीय है. वहां, की फिजा में बिहार रचा बसा है. विधानसभा अध्यक्ष सोमवार को बिहार विधान परिषद के उपभवन स्थित सभागार […]

पटना : विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने बताया है कि हमारे पूर्वजों द्वारा बसाया गया छोटा सा देश मॉरीशस क्षेत्रफल में अपने वैशाली जिले से थोड़ा ही बड़ा है लेकिन इसकी संसदीय प्रणाली अनुकरणीय है. वहां, की फिजा में बिहार रचा बसा है. विधानसभा अध्यक्ष सोमवार को बिहार विधान परिषद के उपभवन स्थित सभागार में आयोजित ‘मॉरीशस यात्रा वृतांत’ कार्यक्रम में अपने अनुभव को साझा कर रहे थे. विधान सभा और विधान परिषद के सदस्यों का ज्ञानवर्धन करते हुये कहा कि मॉरीशस में बेस्ट मिनिस्टर सिस्टम है.

कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 1834 यानी 184 साल पहले बिहार से मॉरीशस गए 4.5 लाख गिरमिटिया मजदूरों की संततियों ने वहां अपने खान–पान, रहन–सहन, वेश–भूषा और बोल–चाल को बचा कर रखा है. जबकि, इंग्लैंड, अमेरिका गये प्रवासियों की दूसरी पीढ़ी ही अपनी भाषा भूल गयीं. मॉरीशस की कुल आबादी 12.60 लाख हैं जिनमें 68 प्रतिशत भारतीय मूल की और उनमें 51 प्रतिशत हिंदू और 17 प्रतिशत मुस्लिम हैं.

मॉरीशस की 6.18 लाख आबादी हिंदी भाषी हैं जिनमें से अधिकांश अपने घरों में भोजपुरी बोलती हैं. मॉरीशस के महात्मा गांधी संस्थान में 2200 से ज्यादा रजिस्टर में प्रवासी बिहारी मजदूरों का पूरा ब्योरा और 1860 के बाद गये मजदूरों की तस्वीर भी दर्ज है. भारतीय मूल के 5500 लोगों ने भारत सरकार के ओसीआई योजना के तहत कार्ड ग्रहण किया है जिन्हें भारत आने और यहां रहने के लिए वीजा की जरूरत नहीं होगी. मॉरीशस के हर हिंदू के घर पर हनुमान जी का लाल पताका और दरवाजे पर एक छोटा सा हनुमान मंदिर होता है. दीपावली, होली, दशहरा, गणेश चतुर्थी और शिवरात्रि जैसे पर्व पर वहां छुट्टियां होती हैं. वहां के गंगा तालाब से लोग कांवर में जल भर कर अपने गांव के शिवालय में अर्पित करते हैं. रामचरित्र मानस और हनुमान चालीसा से प्रवासी मजदूरों को अपनी संस्कृति को बचाने में सफलता मिली.

मोदी ने कहा कि 1968 में मिली आजादी के बाद डेढ़ वर्षों को छोड़ कर वहां राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के पद पर भोजपुरी भाषी रामगुलाम और जगन्नाथ परिवार के लोग ही रहे हैं. 20 सदस्यीय नेशनल एसेम्बली के लिए प्रत्येक क्षेत्र से 3–3 लोगों का निर्वाचन होता है और जिन वर्गों का प्रतिनिधित्व चुनाव में नहीं हो पाता है उनके लिए हारे हुए लोगों में से सर्वाधिक वोट पाने वाले 8 लोगों का निर्वाचन किया जाता है. प्रत्येक मंगलवार को वहां लोकसभा बैठती है. स्पीकर खड़े होकर अपनी बात कहते हैं. इस साल वाराणसी में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस समारोह का उद्घाटन मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण जगन्नाथ करेंगे और उसमें वहां के 300 प्रतिनिधि भाग लेंगे जिन्हें भारत सरकार कुंभ मेला भ्रमण के साथ ही 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस समारोह में भी शामिल करेगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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