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पटना : ”डेवलपमेंट एग्रीमेंट” के खेल में दो हजार से अधिक आयकर चोर लपेटे में
दो हजार से अधिक मामले आये सामने, 1200 से अधिक केस फिर से खोले गये पटना : ‘डेवलपमेंट एग्रीमेंट’ कर राजधानी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आयकर चोरी हो रही है. आयकर विभाग की जांच में इसका खुलासा हुआ है. दरअसल, जमीन मालिक किसी बिल्डर या डेवलपर्स से ‘एग्रीमेंट’ कर लेता है. उसके बाद उस […]
दो हजार से अधिक मामले आये सामने, 1200 से अधिक केस फिर से खोले गये
पटना : ‘डेवलपमेंट एग्रीमेंट’ कर राजधानी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आयकर चोरी हो रही है. आयकर विभाग की जांच में इसका खुलासा हुआ है. दरअसल, जमीन मालिक किसी बिल्डर या डेवलपर्स से ‘एग्रीमेंट’ कर लेता है. उसके बाद उस जमीन पर डेवलपर्स निर्माण करता है. उसमें से कुछ हिस्सा जमीन मालिक को भी मिलता है.
जमीन मालिक इस हिस्से को आय के तौर पर नहीं दर्शाता, जबकि यह जमीन मालिक की आय है. इस पर नियमानुसार टैक्स बनता है. राजधानी पटना में ही इस तरह के दो हजार से अधिक मामले संदिग्ध मिले हैं. इसकी जांच आयकर विभाग कर रहा है. इनको नोटिस भी जारी किया गया है. खास बात यह है कि इस तरह के 1200 केस फिर से खोले गये हैं.
नोटिस का जवाब नहीं देने पर दर्ज कराया जायेगा केस
विभागीय सूत्रों की मानें, तो जो जमीन मालिक नोटिस का जवाब नहीं देंगे, उनके खिलाफ अभियोजन केस दायर किया जायेगा. नोटिस का जवाब मिलने के बाद टैक्स का आकलन किया जायेगा.
इन जमीन मालिकों को 30 प्रतिशत टैक्स जमा करना होगा. अगर अपार्टमेंट व कॉम्प्लेक्स के किसी जमीन मालिक को जमीन के बदले 10 फ्लैट मिला, है तो उसे 10 फ्लैट की कीमत का 20-30 प्रतिशत टैक्स देना होगा. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लांग टर्म कैपिटल गेन के लिए अलग-अलग टैक्स भरना होगा. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन यानी अगर आपने कोई जमीन खरीदी और उसे दो साल पूरा होने से पहले ही बिल्डर को दे दिया, तो ऐसे जमीन मालिक को 30 प्रतिशत टैक्स भरना होगा.
लेकिन लांग टर्म कैपिटल गेन यानी किसी ने लंबे समय से जमीन ले रखी है या पुश्तैनी जमीन है, तो ऐसे जमीन मालिक को 20 प्रतिशत टैक्स भरना होगा. कैपिटल गेन मामले के सबसे अधिक केस पटना में हैं. इसको लेकर आयकर विभाग लगातार नजर रखे हुए है.
‘कैपिटल गेन’ कर छिपाया जा रहा टैक्स
सूत्र बताते हैं कि कई माह से छानबीन चल रही है. ‘ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट’ करने वाले जमीन मालिक टैक्स से नहीं बच सकते हैं. सिर्फ राजधानी व आसपास के एरिया में ऐसे एग्रीमेंट के दो हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं.
इनको आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजा जा चुका है. दरअसल नियमों के तहत ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट के मामलों में जमीन मालिकों को टैक्स देना चाहिए था, पर बिल्डर या डेवलपर्स के साथ हुए एग्रीमेंट के अधिकांश मामलों में जमीन मालिकों ने टैक्स नहीं दिया है.
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