नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह कांड की जांच की रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका पर मंगलवार को बिहार सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किये. इस आश्रय गृह की अनेक महिलाओं का कथित रूप से बलात्कार और यौन शोषण किया गया था. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्य सरकार और जांच ब्यूरो, जो इस कांड की जांच कर रहा है, से 18 सितंबर से पहले जवाब मांगा है. इस मामले में अब 18 सितंबर को आगे सुनवाई होगी.
Supreme Court has issued notice to & sought a detailed reply from Bihar govt and CBI on the issue of ban on media in reporting the Muzaffarpur shelter home case. The Patna High Court had banned the media from reporting the Muzaffarpur shelter home case. pic.twitter.com/0xLjQRtAxl
— ANI (@ANI) September 11, 2018
पीठ को सूचित किया गया कि उच्च न्यायालय ने 29 अगस्त को एक महिला वकील को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया है और उससे कहा है कि वह आश्रय गृह जाये जहां कथित पीड़ितों को रखा गया है और उनके पुनर्वास के इरादे से उनका इंटरव्यू करे. शीर्ष अदालत ने इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त करने के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है. इस कांड की जांच की रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के आदेश को पटना स्थित एक पत्रकार ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. लंबे समय से आश्रय गृह की महिलाओं से कथित बलात्कार और यौन शोषण के कारण सुर्खियों में आये मुजफ्फरपुर के इस आश्रय गृह का संचालन एक गैर सरकारी संस्था करती है.
मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज(टिस) द्वारा इस संस्था के सोशल आॅडिट के दौरान यह मामला मामले आया. बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गयी टिस की सोशल आॅडिट की रिपोर्ट में पहली बार लड़कियों के कथित यौन शोषण की बात सामने आयी. इस आश्रय गृह में 30 से अधिक लड़कियों का कथित रूप से बलात्कार हुआ था. इस संबंध में 31 मई को संस्था के मुखिया ब्रजेश ठाकुर सहित 11 व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी. इस मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है.