पटना: मेयर अफजल इमाम के कार्यकाल के दो साल 10 जून को पूरे होनेवाले हैं. विपक्षी वार्ड पार्षद महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुट गये हैं. विपक्षी पार्षदों में विनय कुमार पप्पू, दीपक कुमार चौरसिया और पूर्व महापौर व संजय कुमार मुख्य रूप से पार्षदों को एकजुट करने में जुटे हैं, ताकि 10 जून के बाद कभी भी अविश्वास प्रस्ताव का पत्र मेयर के समक्ष प्रस्तुत कर दें.
वहीं सत्ता पक्ष के वार्ड पार्षद भी पार्षदों से संपर्क बनाने में जुटे हैं, ताकि विपक्षी पार्षदों को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए समर्थन ही नहीं मिले. 20 जून, 2012 को हुए मेयर के चुनाव में मेयर अफजल इमाम को 42 वोट पड़े थे और विपक्ष में सिर्फ 28 वोट. दो पार्षदों ने वोट नहीं दिये थे.
अविश्वास प्रस्ताव लाने का नियम
बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 की धारा 25(4) व नगरपालिका एक्ट 2010 की धारा दो के तहत दो वर्ष के कार्यकाल पूरा होने के बाद विरोधी वार्ड पार्षद मेयर व डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं.
इसको लेकर विपक्ष को वार्ड पार्षदों की संख्या का एक तिहाई पार्षदों के हस्ताक्षर किये आवेदन मेयर को देना पड़ता है. सात दिनों में विशेष बैठक बुलाने की अनुशंसा नगर आयुक्त को करने का प्रावधान है. इसके बाद नगर आयुक्त 15 दिनों में विशेष बैठक निर्धारित कर सकते हैं. विशेष बैठक में विपक्ष 37 पार्षदों को एकजुट कर लेते हैं, तो मेयर चुनाव के लिए नगर आवास विकास विभाग को प्रस्ताव भेजने का प्रावधान है.
क्या कहते हैं पक्ष के पार्षद
स्थायी समिति की सदस्य व वार्ड चार की वार्ड पार्षद आभा लता कहती हैं कि पूर्व महापौर ने 3.5 और 6.5 लाख की योजनाओं को पूरा करने के साथ साथ-साथ वार्ड स्तर पर पांच, दस और 15 लाख की योजनाओं की स्वीकृति दी. स्थायी समिति के प्रयास से ही आज सभी वार्ड में टेंडर निकले. विपक्षी पार्षद सिर्फ अड़ंगा लगाना जानते हैं. स्थायी समिति की बैठक में ठोस कचरा प्रबंधन के प्रस्ताव को पारित नहीं किया, तो विपक्षी पार्षद व नगर आयुक्त पत्रचार करने लगे. पिछले दो वर्षो में स्थायी समिति के सदस्य व महापौर ने मूलभूत योजनाओं पर ध्यान दिया और योजनाएं पारित की, लेकिन नगर आयुक्त ने क्रियान्वयन नहीं किया. वार्ड पार्षद समझदार हैं. इसलिए विपक्ष के पार्षद भी हमारे साथ हैं.
क्या कहते हैं विपक्ष के पार्षद
वार्ड नंबर दो के वार्ड पार्षद दीपक कुमार चौरसिया कहते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं है. यह स्वत: आ जायेगा. इसका कारण है कि पिछले दो वर्षो में एक भी काम वार्ड में नहीं हुआ है. वार्ड पार्षद जनप्रतिनिधि हैं और जनता हिसाब मांग रही है. वार्ड पार्षद जनता की जवाब देने में सक्षम नहीं हैं. इसको लेकर सभी वार्ड पार्षद एकजुट हैं और मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का स्वर उठ गया है. पिछले दो वर्षो में निजी हित में निर्णय लिया जाता रहा, लेकिन जनता हित में एक भी योजना पर निर्णय नहीं हुआ. बोर्ड हो या स्थायी समिति की बैठक. सभी बैठकों में किच-किच होती रही. इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. मेयर पद के दावेदार कौन होंगे. यह तय नहीं है. आने वाले दिनों में विपक्षी पार्षदों की बैठक होगी.