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फुलवारीशरीफ : आगे-आगे जलता हुआ खप्पर, पीछे-पीछे भक्तों की भीड़
फुलवारीशरीफ : रविवार को फुलवारीशरीफ में माता की 200 वीं खप्पर पूजा (डाली पूजा)में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. आगे-आगे हाथ में जलता हुआ खप्पर लेकर दौड़ते मंदिर के पुजारी जितमोहन पंडित और उसके पीछे हजारों श्रद्धालुओं की तादाद. श्रद्धालुओं की भीड़ हाथों में पारंपरिक हथियार तलवार, भाला व त्रिशूल लिये माता के जयकारे लगाती […]
फुलवारीशरीफ : रविवार को फुलवारीशरीफ में माता की 200 वीं खप्पर पूजा (डाली पूजा)में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. आगे-आगे हाथ में जलता हुआ खप्पर लेकर दौड़ते मंदिर के पुजारी जितमोहन पंडित और उसके पीछे हजारों श्रद्धालुओं की तादाद. श्रद्धालुओं की भीड़ हाथों में पारंपरिक हथियार तलवार, भाला व त्रिशूल लिये माता के जयकारे लगाती रही. इससे चारों दिशाएं गूंजने लगीं.
दिखी आस्था की अनोखी तस्वीर : करीब पचास हजार से अधिक श्रद्धालु अपने शहर की दो सौ साल पुरानी आस्था और परंपरा को आज भी जिस उत्साह से निभा रहे हैं उसका स्वरूप देख लोग आश्चर्यचकित थे. आस्था की एक अनोखी तस्वीर देखने को मिल रही थी. यह दृश्य किसी को भी एक बार रोमांचित करने के लिए काफी था.
सात बजकर बीस मिनट पर आस्था की एक अनोखी तस्वीर शहर के प्रखंड मुख्यालय के सामने स्थित मां काली मंदिर से निकलते हुए जिन लोगों ने देखा वे अपने को धन्य महसूस करे रहे थे. श्री देवी स्थान माता मंदिर से शुरू हुई खप्पर परिक्रमा जहां-जहां से गुजरी माहौल भक्तिमय हो उठा. क्या बच्चे, क्या जवान सबका उत्साह और भक्ति देखते ही बन रहा था. इस खप्पर पूजा में हजारों की संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं.
श्रद्धालुओं की भीड़ माता के जयकारे लगाते पारंपरिक हथियार तलवार, भाला, लाठी आदि लेकर माता काली के मंदिर से निकलकर टमटम पड़ाव, चौराहा गली, सदर बाजार व प्रखंड मुख्यालय मोड़ होते वापस मंदिर पहुंची. इस दौरान पूरा इलाका जय माता दी के जयकारों से गूंजता रहा. लगभग डेढ़ किलोमीटर तक नगर भ्रमण के बाद खप्पर की परिक्रमा मंदिर परिसर में आकर संपन्न हुई.
फिर पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद वितरण हुआ. पूजा को लेकर चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गयी थी. परिक्रमा शुरू होने से एक घंटा पहले ही पटना को जाने ओर से आने वाली सभी गाड़ियों को दो किलोमीटर से पहले ही रोक दिया गया था. इस अनोखे अयोजन को देखने के लिए सुबह से ही लोग संगत पर माता के मंदिर पहुंचने लगे थे. दोपहर बाद श्रद्धालुओं की भीड़ से शहर पट गया था.
अयोजन में स्थानीय विधायक श्याम रजक, नप चेयरमैन आफताब आलम, पटना सदर एसडीओ सुहार्ष भगत आदि मौजूद थे. खप्पर पूजा को लेकर ऐसी मान्यता है कि करीब 200 साल पहले महामारी से फुलवारीशरीफ और आसपास के लोगों की जान बचाने के लिए पहली बार माता की डाली निकली थी . इसके बाद इलाके के सभी लोग ठीक हो गये थे. तब से आज तक हर वर्ष डाली पूजा की परंपरा चली आ रही है
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