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पटना : रोपनी में देरी से कम होगा चावल का उत्पादन

अभी भी सात लाख हेक्टेयर में नहीं हुई है धान की रोपनी, पैदावार कम होने का खतरा पटना : सावन में हुई ठीक-ठाक बारिश की वजह से फिलहाल राज्य सूखे की स्थिति से उबर गया है, लेकिन धान की रोपनी में हुई देरी से पैदावार कम होने का खतरा अभी भी मंडरा रहा है. मोटे […]

अभी भी सात लाख हेक्टेयर में नहीं हुई है धान की रोपनी, पैदावार कम होने का खतरा

पटना : सावन में हुई ठीक-ठाक बारिश की वजह से फिलहाल राज्य सूखे की स्थिति से उबर गया है, लेकिन धान की रोपनी में हुई देरी से पैदावार कम होने का खतरा अभी भी मंडरा रहा है. मोटे अनुमान के मुताबिक राज्य में करीब 20 लाख टन कम चावल उत्पादित होगा. खरीफ के चालू मौसम में राज्य के 34 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है. इसमें अब तक करीब 27.50 लाख हेक्टेयर में रोपनी हुई है. एक जून से 10 अगस्त तक में बारिश भी सामान्य से 17 प्रतिशत कम हुई है.

दरअसल, ऐन रोपनी के समय में बारिश कम हुई और पूरे सूबे में रोपनी ने रफ्तार 25 जुलाई के बाद ही पकड़ी. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अब जो रोपनी हो रही है, उससे उत्पादन कम होगा. अमूमन किसान 15 दिन वाले बिचड़े से रोपनी करते हैं, यह बिचड़ा एक महीने तक का है.

इस साल कृषि विभाग ने एक लाख टन से अधिक चावल उत्पादन का लक्ष्य रखा था लेकिन अब माना जा रहा है कि 75 लाख टन तक चावल का ही उत्पादन होगा. पिछले साल 90 लाख टन चावल उत्पादन का लक्ष्य था जबकि 84 लाख टन उत्पादन हुआ था.

कृषि विशेषज्ञों का दावा – 75 लाख टन तक ही होगा चावल का उत्पादन

चार जिलों में सौ फीसदी रोपनी

दस अगस्त तक चार जिलों कटिहार, अररिया, शिवहर और पूर्वी चंपारण में सौ फीसदी रोपनी हुई है. विभाग के लिए करीब सात लाख हेक्टयर में रोपनी न होना चुनौती बना हुआ है. अब रोपनी का समय भी समाप्त हो चुका है. मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, बांका, जमुई, नवादा और गया में 60 फीसदी से कम रोपनी हुई है. खरीफ के मौसम में 4.75 लाख हेक्टयर में मक्का की खेती का लक्ष्य रखा गया है. अब तक 3.82 लाख हेक्टयर में मक्के की बुआई हो चुकी है.

गेहूं की बुआई में भी होगी देरी

देर से रोपनी होने के कारण गेहूं की बुआई में भी देरी होगी. इधर, आकस्मिक फसल योजना के तहत जिलों में मक्का और अरहर का बीज भेजा गया है. पिछले दिनों कृषि निदेशक ने नोडल पदाधिकारियों के साथ बैठक कर कम रोपनी वाले नौ जिलों में मक्का और अरहर की खेती पर जोर दिया था.

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