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बालिका गृहों के सोशल ऑडिट की अब होगी स्थायी व्यवस्था, राजनाथ ने कहा, सरकार बोले तो सीबीआई जांच पर विचार
विधानमंडल : बालिका गृह यौनशोषण मामले में सरकार का वक्तव्य पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौनशोषण मामले में विधानमंडल के दोनों सदनों में मंगलवार को सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने वक्तव्य दिया. उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए सोशल ऑडिट की स्थायी व्यवस्था होगी. इसके […]
विधानमंडल : बालिका गृह यौनशोषण मामले में सरकार का वक्तव्य
पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौनशोषण मामले में विधानमंडल के दोनों सदनों में मंगलवार को सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने वक्तव्य दिया. उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए सोशल ऑडिट की स्थायी व्यवस्था होगी.
इसके लिए यूनिसेफ और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के सहयोग से मानक प्रक्रिया और मापदंड विकसित किये जा रहे हैं. उन्होंने इस मामले में अब तक सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई की विस्तृत जानकारी दी. इस दौरान सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे, जबकि विपक्षी बेंच पूरी तरह खाली थी. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा, सभी आवासीय बालिका गृहों की सुरक्षा सुदृढ़ करने का निर्देश किया गया है.
इसके लिए अब वहां ट्रांसजेंडर की नियुक्ति होगी. साथ ही सोशल ऑडिट प्रतिवेदन में इंगित बिंदुओं की समीक्षा विशेषज्ञों से करायी जायेगी, ताकि कोई कमी नहीं रह जाये. उन्होंने सदन को बताया कि समाज कल्याण विभाग द्वारा अनाथ, बेसहारा, सड़क पर रहने वाले या बाल मजदूरी करने वाले बच्चे और मानव
व्यापार से मुक्त कराये गये बच्चे जो 6 से 18 साल के होते हैं, उनके लिए बाल गृह संचालित किये जा रहे हैं. इनका संचालन या तो सरकार खुद करती है या फिर एनजीओ से कराया जाता है. इसके लिए एनजीओ को कुल बजट का 90% अनुदान के रूप में दिया जाता है. मुजफ्फरपुर में बालिका गृह का संचालन सेवा संकल्प एवं विकास समिति नामक एनजीओ कर रहा था. उसके साथ 24 अक्तूबर 2013 में एग्रीमेंट हुआ था और इसका संचालन एक नवंबर, 2013 से किया जा रहा था.
उन्होंने बताया कि बाल गृहों में बच्चों की देखरेख एवं सुरक्षा सहित मौजूदा स्थिति जानने के लिए विभाग ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से सोशल ऑडिट कराया. टीआईएसएस ने 27 अप्रैल, 2018 को प्रतिवेदन सौंपा, जिसमें यह बात सामने आयी कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों के साथ यौन हिंसा, उत्पीड़न और गलत व्यवहार किया गया. इसके अलावा मुंगेर, भागलपुर, गया व मोतिहारी में एनजीओ द्वारा संचालित बाल गृहों में बच्चों के साथ मारपीट और हिंसा होती है. विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए टीआईएसएस के साथ मिलकर एक रणनीति बनायी, ताकि कार्रवाई सटीक और कारगर हो सके.
इसी के तहत 26 मई को पटना में विभाग ने अपने सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों के बुलाकर सोशल ऑडिट की जानकारी दी. बैठक में टीआईएसएस के प्रतिनिधि भी थे. सभी अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया गया. मुजफ्फरपुर की जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक को निर्देश दिया गया कि बालिका गृह में रह रही सभी 44 लड़कियों को सुरक्षा के लिहाज से वहां से हटा दिया जाये.
इनमें से 14 को मोकामा, 16 को पटना और 14 को मधुबनी बालिका गृह में भेजा गया. महिला थाना मुजफ्फरपुर में किशोर न्याय अधिनियम और पोक्सो एक्ट के तहत 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गयी. दो जून लड़कियों से 161 के तहत बयान लिया गया, जिसमें उन्होंने बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर और कर्मियों द्वारा मानसिक, शारीरिक और यौनशोषण करने की बात बतायी.
इसके बाद तीन जून को आठ अप्राथमिकी अभियुक्तों ब्रजेश ठाकुर, किरण कुमारी, मीनू देवी, मंजू देवी, इंदु कुमारी, चंदा देवी, नेहा कुमारी और हेमा मसीह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. चार जून को पटना में रखी गयी आठ लड़कियों से 164 में बयान दर्ज कराया गया. इसमें लड़कियों ने विकास कुमार के विरुद्ध यौन शोषण की बात बतायी. पांच जून को उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया.
छह और आठ जून को निशांत बालिका गृह, गायघाट, पटना में रह रही बालिकाओं की मेडिकल जांच करायी गयी. मोकामा में रह रही 14 बालिकाओं से 14 जून को 164 में बयान लिया गया. इसमें सीपीओ रवि किशन कुमार द्वारा यौन उत्पीड़न करने की बात बतायी गयी. इन 13 पीड़िताओं की पीएमसीएच में मेडिकल बोर्ड ने जांच की. 24 जून को रवि किशन कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया. 25 जून को आशा किरण बालिका गृह में रह रही आठ लड़कियों की मेडिकल जांच हुई.
28 जून को कोर्ट में एक पीड़िता ने सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष दिलीप कुमार वर्मा और विकास कुमार की फोटो को पहचाना. अनुसंधान के क्रम में सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप सही पाया गया. 10 अभियुक्तों के जेल भेजा जा चुका है. फरार दिलीप कुमार वर्मा की गिरफ्तारी का प्रयास जारी है. 44 में से 42 लड़कियों की मेडिकल जांच करायी गयी, जिनमें 13 लड़कियों की रिपोर्ट में इंटर कोर्स की संभावना बतायी गयी, जबकि 16 में पुष्टि नहीं हो पायी. तीन लड़कियों ने एक लड़की की हत्या कर टंकी के नीचे दफन करने का बयान दिया, जिसके सत्यापन के लिए कोर्ट के आदेश पर खुदाई हुई, लेकिन शव नहीं मिला.
श्रवण कुमार ने बताया कि अनुसंधान में यह बात भी सामने आयी कि जिन चार लड़कियों को फरार बताया जा रहा है, उसका सत्यापन हो रहा है.
एक शादी के बाद अपनी ससुराल में है. मंत्री ने बताया कि 31 मई से बालिका गृह को बंद कर दिया गया है और संस्था को काली सूची में डालने की कार्रवाई हो रही है. उन्होंने बताया कि मोकामा में रह रही लड़कियों की मनोचिकित्सा हो रही है. मुजफ्फरपुर बाल संरक्षण यूनिट की पूर्व सहायक निदेशक रोजी रानी को निलंबित कर दिया गया है. वर्तमान सहायक निदेशक दिवेश कुमार और पूर्व सहायक निदेशक रोजी रानी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हो गयी है.
इसी समिति की ओर से संचालित अल्पावास गृह की 16 महिलाओं को बेगूसराय स्थानांतरित किया गया है. टीआईएसएस की जांच में भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी और मुंगेर में संचालित गृहों के बारे में भी प्रतिकूल टिप्पणी की गयी थी. इनमें मोतिहारी, मुंगेर,भागलपुर, गया के गृहों के आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है. उन्होंने बताया कि अपराध अनुसंधान विभाग पूरे मामले की क्लोज मॉनीटरिंग कर रहा है.
सुरक्षा के िलए अब ट्रांसजेंडर होंगे िनयुक्त
मुजफ्फरपुर के तत्कालीन सीएस से होगी पूछताछ
मुजफ्फरपुर : बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में तत्कालीन सीएस ललिता सिंह से भी पूछताछ की जायेगी. बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष हरपाल कौर के निर्देश पर दो सदस्यीय टीम ने मंगलवार को गृह की जांच करने के बाद इसकी पुष्टि की. सदस्यों ने कहा कि जब सीएस द्वारा हर सप्ताह बच्चियों की मेडिकल जांच होती थी, तो याैन शोषण का मामला कैसे छुप गया. तत्कालीन सीएस की भी जांच के लिए निदेशालय को लिखा जायेगा और उन्हें आयोग के सामने भी बुलाया जायेगा.
लोकसभा में राजनाथ बोले, राज्य सरकार सिफारिश करे तो सीबीआई जांच पर विचार
दिल्ली : यह मुद्दा मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में भी उठा. लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस की रंजीत रंजन ने इस विषय को उठाया. कहा कि मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से करायी जानी चाहिए. इस पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह अत्यंत गंभीर मुद्दा है. राज्य सरकार से सिफारिश आने पर सीबीआई जांच कराने पर विचार किया जायेगा.
राजद के जय प्रकाश नारायण यादव ने कहा कि मुजफ्फरपुर के बाल सुधार गृह में 14 से 30 वर्ष की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म का जघन्य मामला सामने आया है. इसमें रसूखदार लोगों का संरक्षण प्राप्त है. इस मामले में सख्त कार्रवाई किये जाने की जरूरत है. राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की.
सभापति एम वेंकैया नायडू ने भी इस मुद्दे को अत्यंत गंभीर बताते हुए सरकार से इस ओर ध्यान देने को कहा. शून्यकाल में राजद के मनोज कुमार झा ने कहा कि यह रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना है. उन्होंने कहा कि निर्भया मामले ने पूरे देश को आंदोलित कर दिया था, लेकिन मुजफ्फरपुर में तो 40 निर्भया ने यौन उत्पीड़न का दंश झेला है.
वहीं, पटना में डीजीपी बोले सीबीआई जांच की जरूरत नहीं, पुलिस जांच से संतुष्ट
पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले की सीबीआई जांच की जरूरत को पुलिस ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है. मंगलवार को डीजीपी केएस द्विवेदी ने कहा कि वे पुलिस की जांच से संतुष्ट हैं. इस मामले में कहीं भी कोई ऐसा पहलू नहीं नजर आ रहा है, जिसके लिए सीबीआई अथवा किसी अन्य एजेंसी की जांच की जरूरत पड़े. राज्य के सभी आवास गृहों पर सीआईडी निगाह रखे हुए है.
सुरक्षा आदि को लेकर सभी एसएसपी व एसपी काे दिशानिर्देश भी जारी कर दिये गये हैं. पुलिस मुख्यालय सभागार में समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद, एडीजी सीआईडी विनय कुमार और एडीजी मुख्यालय एसके सिंघल की मौजूदगी में पत्रकार वार्ता करते हुए डीजीपी ने पूरे मामले में अब तक की जांच रिपोर्ट पेश की.
कब क्या घटना घटी, पुलिस ने क्या कार्रवाई की, इसका बिंदुवार ब्योरा दिया. उन्होंने बताया कि इस मामले में कुल 11 अभियुक्तों में से 10 को गिरफ्तार कर लिया गया है. एक फरार है. उसकी गिरफ्तारी, कुर्की आदि के प्रयास किये जा रहे हैं. भविष्य में ऐसी घटना न हो इसके लिए सभी जिलों को दिशा-निर्देश भेज दिये गये हैं. जांच में सीआईडी भी मदद कर रही है.
अभी यह तय नहीं हुआ कि कोई लड़की मार दी गयी
दुराचार के बाद लड़कियों को मार देने के सवाल पर डीजीपी का कहना था कि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि किसी को मार दिया गया है.
उनका कहना था कि लड़कियों को मारने वाली बात कहने वाली लड़कियां कुछ भी जानकारी नहीं दे पा रही हैं. वे यह भी नहीं बता पा रही हैं कि आवास गृह में लड़कियों को कब मारा गया? वह जगह कहां थी? जिनकी हत्या की बात वह कर रही हैं, उन लड़कियों की पहचान से जुड़ी जानकारी भी नहीं दे पा रही हैं. लड़कियों के गायब करने के सवाल पर उनका कहना था कि जांच में ऐसा कुछ नहीं पाया गया है. जिस एक लड़की का रिकाॅर्ड नहीं था, उसे भी तलाश लिया गया है.
किसी भी राजनेता क नाम अभी तक नहीं आया.
लड़कियों को नेताओं और रसूखदारों के यहां सप्लाई करने के आरोप को भी डीजीपी ने खारिज कर दिया. उनका कहना था कि जांच में अब तक किसी नेता का नाम सामने नहीं आया है. अब तक कुल 11 लोगों के नाम सामने आये हैं.
10 गिरफ्तार हैं. बहुत ही स्पष्ट और पारदर्शी जांच की जा रही है. इतने संगीन मामले में अब तक अभियुक्तों को पुलिस रिमांड पर क्यों नहीं लिया, इस सवाल पर डीजीपी का कहना था कि अभियुक्तों को रिमांड पर भी लिया जायेगा. जरूरत पर उनकी पहचान परेड भी करायी जायेगी.
छपरा के मामले में दो अभियुक्त गिरफ्तार
छपरा स्थित अल्पावास गृह सारण में एक महिला के गर्भवती होने के मामले में भी दो अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस मामले में सुरक्षा गार्ड राम स्वरूप पंडित, प्रशिक्षण सह पुनर्वास अधिकारी एवं संचालक- संस्था के सचिव के खिलाफ केस कराया गया है. गार्ड ने महिला से दुराचार किया था. अन्य दो अभियुक्तों ने मामले को छिपाने की कोशिश की.
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