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12 करोड़ की नकली दवा पकड़ने वाले अफसरों के तबादले पर उठे सवाल
दो साल में कसी ड्रग माफिया पर नकेल आनंद तिवारी पटना : दो साल में 12 करोड़ करोड़ की नकली और एक्सपायरी दवा पकड़ने वाले तीन ड्रग इंस्पेक्टरों का विभाग ने तबादला कर दिया है. इस तबादले के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. दवा कारोबारियों के बीच चर्चा का बाजार गर्म है […]
दो साल में कसी ड्रग माफिया पर नकेल
आनंद तिवारी
पटना : दो साल में 12 करोड़ करोड़ की नकली और एक्सपायरी दवा पकड़ने वाले तीन ड्रग इंस्पेक्टरों का विभाग ने तबादला कर दिया है. इस तबादले के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. दवा कारोबारियों के बीच चर्चा का बाजार गर्म है कि ड्रग माफिया के कॉकस के चलते यह तबादला हुआ है.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस तबादले के खिलाफ धरना देकर आवाज बुलंद की है. हालांकि विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि यह तबादला प्रोमोशन के तहत हुआ है, मगर सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि 20 साल से एक भी ड्रग इंस्पेक्टर का प्रोमोशन नहीं हुआ, अचानक इसी मामले में विभाग क्यों सक्रिय हो गया.
ऑपरेशन ड्रग माफिया बना रंजिश का कारण : जानकारों की माने तो शहर में दवा माफिया सक्रिय हो चुके हैं. नकली व एक्सपायरी दवाओं का खेल में इनको लाखों व करोड़ों रुपये का मुनाफा होता है. जिसका खुलासा औषधि विभाग के ये तीनों ड्रग इंस्पेक्टर कर चुके हैं.
इतना ही नहीं प्रदेश के बड़े दवा माफियाओं को पकड़ने के लिए इन्होंने ऑपरेशन ड्रग माफिया नाम से एक टीम का गठन किया था. जिसमें आम लोग गुप्त सूचना देते थे. इसके बाद औचक छापेमारी में एक्सपायरी दवाएं पकड़ी जाती थी.
दो साल में अकेले पटना से 12 करोड़ रुपये की नकली व एक्सपायरी दवाएं पकड़ी जा चुकी हैं. 40 माफियाओं पर एफआईआर, सात की गिरफ्तारी व 90 से अधिक अभियुक्त बनाये गये हैं.
तबादले को लेकर इन्होंने लगाया गंभीर आरोप
स्वास्थ्य विभाग 2005 से ही ड्रग माफियाओं को बचाने का काम करते आ रहा है. ये ड्रग माफिया 2005, 2010 व 16 से 17 में पकड़े गये हैं. माफियाओं की सेटिंग स्वास्थ्य विभाग व मंत्रालय से रहती है.
यही वजह है कि इनकी बार-बार जीत हो जाती है. अभी हाल ही में महालक्ष्मी ट्रेडर्स सहित कई दवा दुकानों पर छापेमारी कर नकली दवा पकड़ी गयी व दुकान सील कर दिये गये. बावजूद उनकी दुकान खुल गयी और लाइसेंस भी दे दिये गये.
इंस्पेक्टरों के तबादले की सूची को देखते हुए मैंने विरोध भी किया और कोर्ट में इस मामले के खिलाफ आवेदन दिया है. मेरा विरोध है कि 20 साल से एक भी ड्रग इंस्पेक्टर का प्रमोशन नहीं हुआ है, लेकिन अचानक तीन इंस्पेक्टर को क्या नौबत आ गयी कि तीन साल का कार्यकाल पूरा भी नहीं हुआ और प्रमोशन दे दिया गया. इसके विरोध में मैं अभी हाल ही में धरना भी दिया था और भूख हड़ताल पर बैठा था.
दवा सैंपल की नहीं आती है रिपोर्ट
पिछले दो साल के अंदर दर्जनों दवा दुकानों से जांच के लिए सेंपल लिये गये. इतना ही नहीं सेंपल की जांच के लिए कोलकाता व पटना के लैब भेजे गये. लेकिन सेंपल के रिपोर्ट अभी तक नहीं आये. इतना ही नहीं औषधि विभाग के पास भी रिपोर्ट नहीं है. सूत्रों की माने तो दवा माफिया कुछ अधिकारियों से मिल कर रिपोर्ट को दबा देते हैं. नतीजा उन पर सही मायने में विभागीय कार्रवाई नहीं हो पाती है.
यह तबादला स्वास्थ्य विभाग व औषधि विभाग की संयुक्त बैठक के बाद किया गया. इनके पक्ष में उतरे सामाजिक कार्यकर्ता गुड्डू बाबा की मानें तो इन तीनों इंस्पेक्टरों की ईमानदार छवि इनके लिए घातक साबित हुई है.
जल्द शुरू होगा पीएमसीएच में किडनी ट्रांसप्लांट
पटना : बहुत जल्द पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू होने वाली है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले महीने से किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट का निर्माण शुरू हो जायेगा. इमरजेंसी वार्ड में भी 100 अतिरिक्त बेड की सुविधा मरीजों को जल्द मिलेगी. पीएमसीएच इमरजेंसी वार्ड के थर्ड फ्लोर पर बन रहे 100 बेड के इमरजेंसी वार्ड का बीएमआईसीएल के एमडी संजय कुमार सिंह ने निरीक्षण किया. उनके साथ इमरजेंसी इंचार्ज डॉ अभिजीत सिंह, पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ राजीव रंजन प्रसाद व प्रिंसिपल डॉ अजीत कुमार वर्मा भी मौजूद थे.
संजय कुमार सिंह बुधवार को दोपहर एक बजे वार्ड पहुंचे और निर्माणाधीन इमरजेंसी वार्ड का गहन निरीक्षण किया. उन्होंने काम में तेजी लाने को कहा. बातचीत के दौरान संजय सिंह ने कहा कि 60 बेड के जनरल वार्ड और 40 बेड के आइसीयू की सुविधा जल्द ही गंभीर मरीजों को मिल जायेगी. पीएमसीएच में प्रस्तावित किडनी ट्रांसप्लांट का निर्माण कार्य अगले महीने से शुरू कर दिया जायेगा.
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