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ट्रेनें लेट चलने से घटी यात्रियों की संख्या

भागलपुर विक्रमशिला व गरीब रथ रहती हैं खासी लेट भागलपुर से आनंद विहार जाने वाली दो ट्रेन विक्रमशिला एक्सप्रेस और गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन लेट वाली ट्रेन बन कर रह गयी है. एक रैक रहने के कारण गरीब रथ का अप और डाउन में सालों भर लेट से चलता है. वहीं तीन रैक करने के […]

भागलपुर
विक्रमशिला व गरीब रथ रहती हैं खासी लेट
भागलपुर से आनंद विहार जाने वाली दो ट्रेन
विक्रमशिला एक्सप्रेस और गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन लेट वाली ट्रेन बन कर रह गयी है. एक रैक रहने के कारण गरीब रथ का अप और डाउन में सालों भर लेट से चलता है.
वहीं तीन रैक करने के बाद भी आनंद बिहार से लौटने वाली डाउन विक्रमशिला एक्सप्रेस ट्रेन भी अब हमेशा लेट हो रही है. सप्ताह में सालों भर चलने वाली विक्रमशिला भी कभी-कभी अप में भी लेट हो जाती है. डाउन विक्रमशिला तो हर दिन लेट से आ रही है. आनंद बिहार से भागलपुर पहुंचने का समय दिन के सवा बारह बजे है, लेकिन यह ट्रेन हर दिन लेट हो रही है. कभी चार घंटे तो कभी दस घंटे भी लेट हो जा रही है. गरीब रथ का तो यह नियति बन गया है. सप्ताह में मंगलवार,गुरुवार और शनिवार को यह ट्रेन चलती है, लेकिन यह ट्रेन हर दिन लेट चलती है. लेट के
कारण माह में तीन-चार बार ट्रेन को रद्द भी किया जाता है. इससे
यात्रियों काे काफी परेशानी होती है. मुंगेर-जमालपुर रूट पर
चलने वाली ट्रेनों का भी यही हाल है. कभी मेंटिनेंस
तो कभी दूसरे काम के नाम पर ट्रेनें लेट
रहती हैं या रद्द कर दी जाती हैं.
बिहार में ट्रेनों की लेटलतीफी व अचानक रद्द होने की वजह से रेल यात्री परेशान हैं. ट्रेनें लेट चलने के कारण यात्री अब सड़क मार्ग से यात्रा ज्यादा पसंद करने लगे हैं.
ट्रेनों के लेट होने के कारण सड़क पर बसों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है. वहीं ट्रेनों की लेटलतीफी से आये दिन पैसेंजर्स का मिजाज बिगड़ रहा है. जगह-जगह मारपीट हो रही है. कहीं ड्राइवर से, तो कहीं गार्ड से.
गया के आसपास मारपीट की घटनाएं भी हो चुकी हैं. वहीं यात्रियों की संख्या घटने से रेलवे की आमदनी भी कम हो रही है. कुछ दिन पहले रेल मंत्री ने ट्रेनें विलंब होने पर रेल अधिकारियों की प्रोन्नति बाधित करने का भी आदेश दिया था, पर बिहार में इसका कोई असर नहीं दिख रहा है.
मुजफ्फरपुर
यात्री अब लोकल सफर के लिए बसों का ले रहे सहारा
भारतीय रेल की लेटलतीफी व कैं​सिल होने की वजह से अब यात्री ट्रेन की जगह सड़क मार्ग से यात्रा पसंद करने लगे हैं. इसी का नतीजा है कि सड़क पर बसों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है. वहीं सोनपुर रेल मंडल में ट्रेनों से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017-18 में यूटीएस टिकट (बगैर रिजर्वेशन) पर मुजफ्फरपुर जंक्शन से 59 लाख 31 हजार यात्रियों ने यात्रा की. पिछले दो वित्तीय वर्ष 2016-17 की अपेक्षा 2.21 लाख यात्रियों ने ट्रेनों के सफर से मुंह मोड़ लिया. यानी एक साल में यात्रियों की संख्या में चार फीसदी की गिरावट आयी है. हालांकि इसी अवधि में आय में दो फीसदी का इजाफा भी हुआ है. 2016-17 में प्रतिदिन औसत 17091 यात्रियों ने ट्रेन से यात्रा की, जबकि 2017-18 में 16475 लोगों ने यात्रा की. चालू वित्तीय वर्ष के दो महीनों का आंकड़ा बता रहा है कि पिछले वर्ष के अप्रैल व मई की तुलना में इस साल काफी कम लोगों ने यात्रा की है.
रिजर्वेशन टिकटों की भी स्थिति यूटीएस से मिलता-जुलता है. दिल्ली व पंजाब की ट्रेनें सबसे ज्यादा लेट रह रही हैं. अब मुजफ्फरपुर से दिल्ली के लिए जो लग्जरी बसें चलती हैं, उससे भी काफी संख्या में लोग यात्रा करना पसंद कर रहे हैं. इधर, यात्रियों की संख्या घटने से रेलवे की आमदनी पर भी भारी असर पड़ रहा है. जानकारी हो कि मुजफ्फरपुर जंक्शन सोनपुर रेल मंडल का सबसे अधिक आमदनी देने वाला जंक्शन की श्रेणी में आता है.
दिल्ली व पंजाब से ट्रेनें सबसे ज्यादा लेट
एक माह पहले तक मुजफ्फरपुर जंक्शन से होकर बरौनी-नयी दिल्ली वैशाली सुपरफास्ट, दरभंगा से नयी दिल्ली बिहार संपर्क क्रांति सुपरफास्ट, मुजफ्फरपुर से आनंद विहार सप्तक्रांति सुपरफास्ट जैसी ट्रेनें घंटों लेट से चल रही थीं.
रेलवे बोर्ड ने सख्ती बरती, तब इन ट्रेनों की टाइमिंग में थोड़ा सुधार तो हुआ, लेकिन अभी भी दिल्ली व पंजाब से आनेवाली अधिकतर ट्रेनें घंटों लेट रह रही हैं.
नयी दिल्ली से न्यूजलपाईगुड़ी एक्सप्रेस (12523/24) अमूमन 12 से 15 घंटा विलंब से चल रही है. पिछले पंद्रह दिनों का रिकॉर्ड देखें, तो कभी भी अप व डाउन की यह ट्रेन समय से मुजफ्फरपुर जंक्शन से होकर नहीं गुजरी है. इसी तरह का हाल जयनगर से दिल्लीके बीच चलने वाली 12561/62 स्वतंत्रता सेनानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस का है. यह ट्रेन भी औसतन 10 से 12 घंटे विलंब से चलती है.
अवध असम एक्सप्रेस (15909/10) 12-14 घंटे, 14005/06 लिच्छवी एक्सप्रेस 06 से 10 घंटे, 15001/2 राप्ती गंगा एक्सप्रेस 06 से 08 घंटे, 15653/54 अमरनाथ एक्सप्रेस 13 से 15 घंटे, 15211/12 जननायक एक्सप्रेस 09 से 12 घंटे, 15231/32 बरौनी-गोंदिया एक्सप्रेस 05-07 घंटे विलंब रह रही हैं. इनमें सबसे ज्यादा डाउन साइड की ट्रेनें विलंब रहती हैं. रेलवे के अधिकारी कह रहे कि नन इंटरलॉकिंग कर नये व पुराने ट्रैक को जोड़ने व मेंटेनेंस का कार्य चल रहा है.
पटना
पटना जंक्शन से गुजरने वाली अधिकतर ट्रेनें लेटलतीफी की शिकार हैं. कई ट्रेनें तो 20 घंटे तक लेट चलती हैं. यही नहीं स्पेशल ट्रेनों का भी बुरा हाल है. वर्तमान में गर्मी छुट्टी को देखते हुए भीड़ वाले रेलखंडों पर स्पेशल ट्रेनें चलायी रही हैं, ताकि रेल यात्री आसानी से आ-जा सकें. लेकिन, स्पेशल ट्रेनों के परिचालन पर रेलवे प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है. आलम यह है कि स्पेशल ट्रेनों में टिकट बुक कराये यात्रियों को पांच-10 घंटे स्टेशनों पर बैठ इंतजार करना पड़ रहा है. ट्रेन संख्या 04041/42 जयनगर-आनंद विहार-जयनगर स्पेशल ट्रेन सप्ताह में दो दिन है, जो पटना होते हुए आती-जाती है.
जयनगर से चलने वाली ट्रेन संख्या 04041 है, जो सोमवार व गुरुवार को चलती है.
यह ट्रेन सोमवार को 11 घंटे रिशेड्यूल होकर जयनगर से खुली थी और दिल्ली 22:30 घंटे की देरी से पहुंची. वहीं, बुधवार को दिल्ली से खुली ट्रेन संख्या 04042 जयनगर 20 घंटे की देरी से पहुंची और गुरुवार को जयनगर से चलने वाली ट्रेन को रिशेड्यूल कर शुक्रवार को रवाना की गयी. वहीं, ट्रेन संख्या 02365/66 पटना-आनंद विहार-पटना स्पेशल ट्रेन भी सप्ताह में दो दिन है. ट्रेन संख्या 02365 रविवार को पटना जंक्शन से निर्धारित समय से रवाना हुई और आनंद विहार 3:00 घंटे की देरी से पहुंची. ट्रेन संख्या 02366 सोमवार को आनंद विहार से 2:40 घंटे रिशेड्यूल कर रवाना हुई, जो 8:20 घंटे की देरी से जंक्शन पहुंची. यह स्थित पूर्व मध्य रेल क्षेत्र में आने-जाने वाली सभी स्पेशल ट्रेनों की है.
यात्री चुकाते हैं स्पेशल किराया
वर्षों से रेलवे भीड़ वाले मौसम में स्पेशल ट्रेनें चलाती थीं, जिसका किराया नियमित ट्रेनों की तर्ज पर ही निर्धारित किया जाता था. लेकिन, अब अधिकतर स्पेशल ट्रेनों का स्पेशल किराया निर्धारित किया गया है.
पटना-दिल्ली के बीच चलने वाली नियमित ट्रेनों के स्लीपर क्लास का किराया 490 रुपये है. वहीं, स्पेशल ट्रेन के स्लीपर क्लास का किराया 620 रुपये निर्धारित है. नियमित ट्रेनों में बर्थ कन्फर्म नहीं मिलने की वजह से परेशान यात्री अधिक पैसा देकर स्पेशल ट्रेन में बर्थ बुक कराता है. इसके बावजूद स्पेशल ट्रेनों की स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है.
दरभंगा
लेटलतीफी से नहीं छूट रहा पीछा
बी दूरी की तमाम ट्रेनें घंटों विलंब से चल रही हैं. लेटलतीफी का आलम यह है कि किसी भी दिन गाड़ी को रद्द घोषित कर दिया जाता है. यह हाल तब है जब रेल मंत्री ने इस पर नकेल नहीं कसने पर रेल अधिकारियों की प्रोन्नति बाधित करने का एलान कर दिया है. बिहार संपर्क क्रांति हो या फिर पवन एक्सप्रेस, सभी ट्रेनें लेटलतीफी की शिकार हैं.बुधवार को नयी दिल्ली से आ रही 12566 बिहार संपर्क क्रांति 4.30 घंटे विलंब से पहुंची. काफी हाय-तौबा मचने के बाद बेहतर स्थिति में आयी 12562 स्वतंत्रता सेनानी भी डेढ़ घंटे, मुंबई लोकमान्य तिलक टर्मिनल से आनेवाली 11061 पवन एक्सप्रेस 3.40 घंटे, 14650 सरयू यमुना एक्सप्रेस 20 घंटे, अहमदाबाद से आनेवाली 15559 जनसाधारण एक्स्प्रेस दो घंटे विलंब से चल रही थी.
गया
10-12 घंटे लेट चलना सामान्य बात सी हो गयी है
गया जंक्शन से होकर गुजरनेवाली लंबी दूरी की अधिकतर ट्रेनें लंबे समय से विलंब की शिकार हैं. आये दिन लेट चलती हैं. लेटलतीफी का आलम यह है कि कभी ग्रैंड कॉर्ड पर स्टार ट्रेन मानी जानेवाली दून एक्सप्रेस ने अब 10-12 घंटे तक विलंब से चलने की अादत डाल ली है. इससे किसी को अचरज नहीं होता. यही वजह है कि डाउन दिशा में चल रही इस ट्रेन के यात्री चार-पांच-छह घंटे तक इसके लेट होने का बिल्कुल बुरा नहीं मानते. पिछले एक सप्ताह में यह ट्रेन डाउन दिशा में लगातार दो दिन 12-12 घंटे लेट गयी. यानी हावड़ा जाने के लिए जिस दिन उसे देहरादून से गया पहुंचना था, उस दिन आयी ही नहीं. अगले दिन आयी-गयी.
इससे पहले कुछ दिन तक लगातार पांच से आठ घंटे विलंब से चल रही थी. विगत 30 मई की रात गया से हावड़ा की यात्रा करने के लिए जोधपुर एक्सप्रेस पकड़ने आये आरएस प्रसाद नामक एक सेवानिवृत्त शिक्षक ने कहा ,‘लगता है यह पूर्व जन्म के किसी पाप का ही फल है. दरअसल, उस सज्जन की ट्रेन, जिसे 19.55 बजे (देर शाम सात बज कर 55 मिनट पर) गया से छूटना था, वह करीब सात घंटे लेट आयी. हर थोड़ी देर पर उन्हें एक नया अपडेट मिल रहा था व ट्रेन के विलंब की अवधि लगातार बढ़ते-बढ़ते सात घंटे तक पहुंच गयी. उनके मुताबिक, वह दिल के मरीज हैं, पर ट्रेन के चक्कर में फंस कर रात भर सो नहीं सके. उन्होंने कहा, ‘क्या किया जाये.
मेरी तरह हजारों-लाखों मजबूर लोगों को ट्रेनें रोज रुला रही हैं. भगवान ही जानें कि इस देश की बिगड़ैल ट्रेनें कभी पटरी पर आयेंगी भी या नहीं. लंबी दूरी की एक्सप्रेस या तथाकथित सुपरफास्ट ट्रेनें तो लोगों को रुला ही रही हैं, लोकल ट्रेनें भी अब इन्हीं के नक्शे-कदम पर चलने की तैयारी में दिख रही हैं. पीजी (पटना-गया) रूट पर चलनेवाली लोकल ट्रेनें हाल में बार-बार लेट छूटी हैं. 15 से 45 मिनट तक विलंब से गयी हैं. इससे खराब हाल गया-भभुआ रूट का है. इस रूट पर हाल में आधे घंटे से लेकर एक घंटे तक विलंब से ट्रेनें चलीं. हो रही मारपीट, तोड़फोड़
एक तो स्टेशनों पर कमोबेश हर जगह यात्री सुविधाएं अपर्याप्त हैं, ऊपर से ट्रेनें लेट. ऐसे में ट्रेनों की लेटलतीफी से आये दिन पैसेंजर्स का मिजाज बिगड़ रहा है. जगह-जगह मारपीट हो रही है. कहीं ड्राइवर से, तो कहीं गार्ड से.
गया के आसपास ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. अभी हाल में मानपुर स्टेशन एक रात रणक्षेत्र बन गया. ट्रेन चलने में विलंब के चलते गया से धनबाद के रास्ते में फंसे रेलयात्रियों ने धनबाद से गया की तरफ आ रही राजधानी एक्सप्रेस पर अपना गुस्सा निकाल दिया. जम कर पथराव कर दिया. राजधानी के कई डिब्बों की कई खिड़कियां टूट गयीं. कई पैसेंजर घायल हुए. कुछ घायल यात्रियों को गया में ही अपनी यात्रा स्थगित करनी पड़ी. तब आधी रात को मामले को मैनेज करने में रेल प्रशासन के पसीने छूट रहे थे.
सबका हाल एक जैसा
देहरादून की तरह ही गया से होकर गुजरनेवाली लंबी दूरी की कमोबेश सभी ट्रेनें ठीकठाक विलंब से चल रही हैं. डाउन दिशा में जोधपुर एक्सप्रेस औसतन चार घंटे विलंब से चल रही है.
इस महीने एक से 10 तारीख के बीच यह ट्रेन एक दिन भी समय से लोगों को हावड़ा नहीं ले जा सकी. लेटलतीफी के मामले में कालका ने भी दून और जोधपुर का साथ दिया. वह भी ऊपरोक्त 10 दिन की अवधि में एक दिन भी अपने तय समय पर नहीं पहुंची. हां, पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ने दो, पांच, सात और आठ जून को अवश्य अपने यात्रियों को चौंका दिया.
अप और डाउन, दोनों ही दिशा में समय से आ-जाकर. एक जून से 10 जून के बीच सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस अप दिशा में केवल चार दिन समय पर रही और बाकी दिन विलंब से चली. डाउन दिशा में रोज ही लेट आयी-गयी. वैसे, अप दिशा में चलनेवाली गाड़ियां गया स्टेशन तक कई बार समय पर भी पहुंची हैं.
मोतिहारी : ट्रेन से यात्रा करने से कतरा रहे पैसेंजर
नों की लेटलतीफी से भारतीय रेल को भारी
नुकसान हो रहा है. यात्री ट्रेन से सफर करने में कतराने लगे हैं. इससे रेलवे को प्रतिमाह तकरीबन 21 प्रतिशत का घाटा हो रहा है. यह आंकड़ा केवल बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन का है. समस्तीपुर मंडल के अन्य स्टेशनों का समेकित एसेसमेंट कि या जाये, तो रेलवे को प्रतिमाह होने वाला नुकसान का आंकड़ा करोड़ों में पहुंच जायेगा. जानकारी के मुताबिक पिछले साल की तुलना में 2018 में रेलवे पैसेंजर की संख्या में काफी गिरावट आयी है. इसका मुख्य कारण ट्रेनों की लेटलतीफी मानी जा रही है. विलंब के कारण यात्री ट्रेनों से यात्रा करने से कतरा रहे हैं.
मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज रेल खंड से गुजरने वाली ट्रेन इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. रेल खंड की सप्तक्रांति सुपरफास्ट, मिथिला व जननायक एक्सप्रेस प्रतिदिन घंटों विलंब से चल रही हैं.
राजस्व में 4.86% की गिरावट
नों के लेट होने का असर अब समस्तीपुर रेल मंडल की आय पर भी दिखने लगा है. वित्तीय वर्ष 2018 व 19 के अब तक के दो माह में ट्रेनों की देरी के कारण यात्रियों की संख्या में 13.52 फीसदी की गिरावट विगत साल की तुलना में दर्ज की गयी है. जबकि इसी समय में मंडल के राजस्व में 4.86 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. मंडल से रोजाना 80 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं. मुख्य ट्रेनें आज भी औसतन विगत माह में 18 दिन देरी से चली हैं. इनमें 12561 स्वतंत्रता सेनानी अप 73 फीसदी व 12554 वैशाली एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से 27 दिन देरी से पहुंची है. विगत दिनों स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस की लेटलतीफी के कारण ही मंडल की ओर से इस ट्रेन को स्क्रेच रैक की सुविधा दी गयी है.

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