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…तो सभी सीटों पर हो सकता है NDA का कब्जा

पटना : बिहार में छात्र राजनीति एक बार फिर गरमाने लगी है. पटना यूनिवर्सिटी के बाद बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों का छात्र संघ चुनाव इसी कड़ी का ताजा हिस्सा है. सभी संगठन चुनाव में जुट गये हैं. राज्य की स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स इस बार सत्ता के राजनैतिक गठजोड़ से अलग है. सत्ता में जदयू और भाजपा […]

पटना : बिहार में छात्र राजनीति एक बार फिर गरमाने लगी है. पटना यूनिवर्सिटी के बाद बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों का छात्र संघ चुनाव इसी कड़ी का ताजा हिस्सा है. सभी संगठन चुनाव में जुट गये हैं. राज्य की स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स इस बार सत्ता के राजनैतिक गठजोड़ से अलग है. सत्ता में जदयू और भाजपा के साथ रहने के बाद भी, सभी यूनिवर्सिटी में छात्र जदयू और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) अलग-अलग रणनीति पर काम कर रही है. लेकिन, कैंपस में अन्य छात्र संगठन भी दोनों को अलग-अलग चुनाव मैदान में ही देखना चाह रहे हैं. कुछ लोग का कहना है कि अगर दोनों साथ में चुनाव मैदान में आती है, तो अन्य छात्र संगठनों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. इस कारण सभी अन्य संगठन छात्र जदयू और एबीवीपी को अलग-अलग ही चुनाव लड़ते देखना चाहते हैं. वहीं, इन दोनों छात्र संगठनों को पटखनी देने के लिए वामदल पांच संगठनों के साथ गठजोड़ करने में जुटी हुई है. वैसे इस बार और उस बार के चुनाव की स्थिति कमोबेश यही है. छात्र जदयू और एबीवीपी एक दूसरे को हर सीट पर टक्कर देने की तैयारी में लगी हुई है.

छात्र संघ चुनाव का अगर पीछे का रिकॉर्ड देखा जाये, तो करीब 28 साल बाद (2012 में) पटना और 2013 में मगध यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के चुनाव नतीजों को देखेंगे, तो संकेत कुछ और कहेगा. इस बार भी कुछ अलग ही संकेत कर रहा है. भाजपा और जदयू के छात्र संगठनों ने अलग-अलग चुनाव लड़े थे और दोनों यूनिवर्सिटी में एबीवीपी का झंडा बुलंद रहा. वैसे पीयू में केवल वामपंथी दलों का जलवा रहा. लाल रंग ने पीयू के चुनाव नतीजों पर गहरा असर डाला था. जबकि, उस समय भी सत्ता पर एनडीए (भाजपा-जदयू) ही काबिज था और विपक्षी दल राजद था. लेकिन, इन तीनों के छात्र संगठनों को सेंट्रल पैनल के कुल पांच पदों में से एक-एक सीट मिली थी, जबकि वामपंथी दल के छात्र संगठन एआइएसएफ ने दो सीटों पर कब्जा जमाया था. पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास में यह पहला मौका था, जब लाल रंग का असर बाकी सभी रंगों से ज्यादा गहरा रहा था. इस बार भी स्थिति कमोबेश यही बन रही है. वामपंथी दल करीब पांच छात्र संगठन से गठजोड़ कर रहे हैं. लेकिन, अभी फाइनल नहीं हुआ है. वहीं, स्टूडेंट्स भी कहते हैं कि अगर पटना यूनिवर्सिटी में छात्र जदयू और एबीवीपी गठबंधन करती है, तो पीयू के पांचों सीट पर एनडीए का कब्जा रहेगा. छात्र जदयू के प्रदेश अध्यक्ष श्याम पटेल कहते है कि अगर एबीवीपी के तरफ से गठबंधन का ऑफर आता है, तो इस पर विचार किया जायेगा. वैसे छात्र जदयू सभी सीटों के लिए तैयारी कर रहा है.

मगध में पिछले बार फेल रहा था जदयू

पटन यूनिवर्सिटी के चुनाव के तुरंत बाद मगध यूनिवर्सिटी में हुए चुनाव नतीजों में लाल रंग का असर फीका था. हालांकि, इस समय का छात्र समागम (छात्र जदयू) और वामदल के छात्र संगठन एआइएसएफ ने मिल कर चुनाव लड़ा था. लेकिन, इस प्रयोग में दोनों संगठनों को निराशा हाथ लगी थी. हालांकि, इस बार इस तरह के गठबंधन का कोई आसार नहीं है. छात्र जदयू और एबीवीपी को पटखनी देने के लिए वामदल पांच संगठनों के साथ चुनाव मैदान में कूद रही है. अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. वहीं, मगध यूनिवर्सिटी में भी हुए छात्र संघ के सेंट्रल पैनल के त्रिकोणीय मुकाबले में सभी पांच पदों पर भगवा रंग लहरा गया था. एबीवीपी ने छात्र जदयू और विपक्षी दल राजद के छात्र संगठनों को पूरी तरह पराजित कर दिया था. इन पांच पदों को लेकर जबरदस्त खेमेबाजी भी हुई थी, लेकिन एबीवीपी की चुनावी रणनीति के आगे सब फेल हो गये थे. यूनिवर्सिटी के तहत 44 कॉलेज आते हैं, लेकिन कॉलेज प्रतिनिधियों के 137 पदों में से 61 पर एबीवीपी सदस्यों की जीत हुई थी. पिछले चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस बार सभी संगठन फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं और पिछले नजीते को ध्यान में रखते हुए उस पर और सुधार की कोशिश में लगे हुए हैं.

पटना यूनिवर्सिटी में इन पदों के लिए होंगे चुनाव

अध्यक्ष

उपाध्यक्ष

सचिव

संयुक्त सचिव

कोषाध्यक्ष

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