पटना: प्रदेश के मशहूर सर्जन डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह समेत तीन चिकित्सकों को निगरानी ब्यूरो की जांच में दोषी पाया गया है. इनको अगले हफ्ते नोटिस जारी हो सकता है. फुलवारीशरीफ स्थित बीमा अस्पताल से दवा समेत अन्य सभी सरकारी जांच मशीनों के गबन से जुड़े इस मामले की जांच में 18 साल बाद निगरानी ब्यूरो ने तीनों चिकित्सकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
यह मामला फरवरी 2000 को निगरानी ब्यूरो में आया था. निगरानी ने गहन जांच के बाद एफआईआर दर्ज की है. फुलवारीशरीफ बीमा अस्पताल के भवन में केंद्रीय औषधि भंडार और बीमा चिकित्सालय भी चलता है. 13 नवंबर 1997 में तत्कालीन श्रम मंत्री रामदास राय और पटना की डीएम राजबाला वर्मा ने इस सस्थानों का औचक निरीक्षण किया था. इस दौरान करीब साढ़े चार लाख की दवायें गायब मिली थीं. इसके बाद तत्कालीन अधीक्षक डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह, डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ अशोक कुमार वर्मा समेत अन्य कर्मियों को दोषी पाया गया था. पूछताक्ष के बाद अधीक्षक समेत अन्य आरोपियों ने अपने को बचाने के लिये यह बताया था कि कुछ दवाइयां कमरा नं-12 में रखी हुई थीं, जिनकी जांच नहीं की गयी. उन्हीं दवाओं को गायब बता दिया गया.