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बिहार : अब फर्जी रजिस्ट्री पर लगेगी रोक, स्थल जांच के बाद ही होगी रजिस्ट्री
पटना : फर्जी रजिस्ट्री पर रोक लगाने के उद्देश्य निबंधन विभाग की ओर से बिना स्थल जांच के रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गयी है. स्थल जांच के अभाव में लोग गलत जानकारी दे कर फर्जी तरीके से जमीनों की रजिस्ट्री करा रहे थे. इस पर रोक लगाने के लिए जिला निबंधन कार्यालय में बिना […]
पटना : फर्जी रजिस्ट्री पर रोक लगाने के उद्देश्य निबंधन विभाग की ओर से बिना स्थल जांच के रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गयी है. स्थल जांच के अभाव में लोग गलत जानकारी दे कर फर्जी तरीके से जमीनों की रजिस्ट्री करा रहे थे. इस पर रोक लगाने के लिए जिला निबंधन कार्यालय में बिना स्थल जांच के रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गयी है. अब उन्हीं दस्तावेजों की रजिस्ट्री की जा रही है, जिसमें निबंधन कार्यालय के कर्मियों द्वारा स्थल जांच करा लिया गया है. ताकि दस्तावेजों में जमीन की गलत जानकारी दर्ज करा कर रजिस्ट्री नहीं की जा सके.
– फर्जी तरीके से जमीन की रजिस्ट्री
रोकने को उठाया गया कदम
ये हैं नियम
निबंधन विभाग की धारा 88 के तहत स्थल जांच कर रजिस्ट्री की जानी है. इसके तहत निबंधन विभाग के निरीक्षक द्वारा 10 दिनों के अंदर स्थल जांच करा निबंधन किया जाना है. स्थलों का निरीक्षण निबंधन विभाग के अधिकारी द्वारा किया जाना है. साथ ही जमीन दूर होने पर अंचलाधिकारी के पास भी भेज दी जाती है. संबंधित अंचलाधिकारी जमीनों का निरीक्षण कर मूल्य निर्धारित कर निबंधन विभाग में भेज देते हैं.
खरीदार के साथ की जानी है जांच
इसके लिए अब जमीन क्रेता को जिला निबंधन कार्यालय से संपर्क कर स्थल मुआयना करवाना होगा. इसमें निबंधन कार्यालय के कर्मी और जमीन के क्रेता और विक्रेता के साथ मिल कर खरीदी जाने वाली जमीन की जांच की जाती है. इसके बाद खरीदार और कार्यालय के कर्मी दोनों के साथ की तस्वीर निकाल दस्तावेजों में लगाया जाता है. जमीन कृषि भूमि है या फिर व्यावसायिक. इसकी प्रकृति दस्तावेजों में दर्ज की जाती है. निबंधन कार्यालय के मुताबिक फर्जी तरीके से जमीन रजिस्ट्री कराने का मामला सामने अाया है.
भेज दिया जाता है पेंडिंग में
जिन दस्तावेजों में बिना स्थल जांच के रजिस्ट्री करा ली जाती है. उन दस्तावेजों को पेंडिंग फाइल के तहत उसे धारा 47 ए के तहत निबंधन विभाग के कार्यालय निरीक्षक के पास भेज दी जाती है.
– भेजी जाती है नीलामी सेक्शन: अर्थ दंड के साथ निबंधित कराये गये दस्तावेजों या नहीं कराये जाने पर विभाग द्वारा तीन नोटिस भेजी जाती है. फिर भी नहीं आने निलाम पत्र की कार्रवाई की जाती है.
– स्थल जांच में होती है देरी: रजिस्ट्री से पूर्व स्थल की जांच की जानी है. पर निबंधन कार्यालय में कर्मियों की कमी हाेने से कई बार बिना जांच के ही रजिस्ट्री कर दी जाती है.
जांच के बाद ही मूल कॉपी
बिना स्थल जांच के रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गयी है. यदि किसी प्रकार से गलत विवरण भर कर रजिस्ट्री करा ली गयी है, तो उन दस्तावेजों की मूल कॉपी तब तक नहीं दी जायेगी, जब तक जमीन की जांच कर उसकी प्रकृति न जान ली जाये.
सत्यनारायण चौधरी,
जिला अवर निबंधक
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