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शौक बड़ी चीज है: वीआईपी नंबर लेकर ख्वाहिश पूरी कर रहे पटनाइट्स, गाड़ियों के वीआईपी व फैंसी नंबर्स के दीवाने हुए लोग

सुजीत कुमार @ पटना गाड़ियों में वीआईपी नंबर अलग स्थान रखताहै. इनदिनों गाड़ियों में स्टेटस सिंबल बन चुके वीआईपी नंबर को लेकर राजधानी के लोगों में जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है. आलम यह है कि इसके शौकीन इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहते हैं. कई लोग तो ऐसे हैं, जो […]

सुजीत कुमार @ पटना

गाड़ियों में वीआईपी नंबर अलग स्थान रखताहै. इनदिनों गाड़ियों में स्टेटस सिंबल बन चुके वीआईपी नंबर को लेकर राजधानी के लोगों में जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है. आलम यह है कि इसके शौकीन इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहते हैं. कई लोग तो ऐसे हैं, जो मोबाइल नंबर से लेकर अपनी गाड़ियों तक के नंबर को वीआपी नंबर से सजा रहे हैं. ये नंबर किसी के लिए इमोशनल रूप से महत्व रखते हैं तो किसी के लिए यह काफी लकी साबित हो रहा है. वीआइपी नंबर लेने के पीछे और क्या वजह है आइए जानते हैं.
आस्था से जुड़ा है नंबर
अंकशास्त्र के अनुसार अपनी गाड़ी का नंबर लेने वाले हार्डिंग रोड के निवासी प्रत्यूष कहते हैं, मेरी बेटी का जन्मदिन 19 जून को पड़ता है. न्यूमेरोलॉजी के अनुसार इस अंक को जोड़ने पर मूलांक एक आता है. बेटी के जन्म के बाद घर में हर तरफ तरक्की हुई . बेटी मेरे लिए बहुत लकी है. इसलिए जब मैंने गाड़ी खरीदा तो नंबर लेने के लिए बेटी के जन्मदिन को ही ध्यान में रखा और 1000 नंबर को पसंद किया. हालांकि इस तरह के नंबर को पाने के लिए दर फिक्स था. मैंने जब इंटरेस्ट दिखाया तब यह नंबर उपलब्ध था और मुझे मिल गया. फिर उसके बाद मैंने अपनी दूसरी गाड़ी के लिए 1010 नंबर लिया. मेरी दो गाड़ियों का नंबर 1000 है. इसमें एक का रजिस्ट्रेशन बिहार का है और दूसरे का झारखंड से रजिस्ट्रेशन है. ये नंबर मेरे लिए बहुत लकी है.
मेरे लिए लकी है नंबर 13
गाड़ियों के फैंसी नंबर के मामले में फ्रेजर रोड़ में रहने वाले डॉक्टर आसिफ की रूचि भी सबसे अलग है. आमतौर पर 13 नंबर को शुभ नहीं माना जाता है जबकि डॉक्टर आसिफ के लिए यही नंबर सबसे ज्यादा लकी है. आसिफ कहते हैं, मेरे पास जितनी भी गाड़ियां हैं, सभी के अंत में 13 नंबर है. इसमें ग्रैंड विटारा, इनोवा व एसेंट का नंबर 0013 है जबकि अन्य गाड़ियों के अंतिम दो नंबर 13 है. वह कहते हैं, इन नंबराें के लिए मैंने प्रक्रिया को पूरा किया और निश्चित रकम को अदा कर के इनको प्राप्त किया. 13 नंबर के बारे में वह कहते हैं, यह नंबर शुरू से ही मेरे लिए लकी है. इसलिए मैंने गाड़ियों के लिए 13 नंबर चूज किया है.
इमोशनल है मेरे लिए नंबर
मैक्सलाइफ डायग्नोस्टिक के एमडी डॉक्टर संजीव कुमार का यूनिक नंबर के प्रति प्रेम गजब का है. वह कहते हैं, हमारे घर में सबसे पहली गाड़ी 1968 में खरीदी गयी थी. तब मेरे पिताजी ने फिएट को खरीदा था. उस वक्त गाड़ी को 0121 नंबर एलॉट हुआ था. उसके बाद मेरी सभी गाड़ियों का नंबर यही रहा. वह फिएट आज भी बहुत अच्छे हालात में है और बेहतर कार्य कर रही है. तब से लेकर अब तक मैंने करीब 17-18 गाड़ियों को बदला है और सभी गाड़ियों का नंबर यही रहा है. अभी मेरे पास पेजेरो, फॉर्च्यूनर, स्कॉर्पियो समेत छह गाड़ियां हैं और सभी के नंबर 0121 हैं. पिताजी की गाड़ी का जो नंबर था, उससे शुरू से ही एक अलग इमोशनल लगाव रहा. इसलिए मैंने जो भी गाड़ी ली, उसके लिए इसी नंबर को प्रक्रिया के तहत एलॉट करवाया. इन नंबराें से एक अलग तरह का लगाव है. मुझे इन नंबरों के लिए थोड़ी मेहनत भी करनी पड़ी थी. क्योंकि जब ये नंबर नहीं मिल रहे थे तो इसके लिए दूसरे जिलों में भी पता लगाना पड़ा. पांच गाड़ियों का नंबर पटना का है, जबकि एक का रजिस्ट्रेशन हाजीपुर का है.
मुझे विषम नंबर ही है पसंद
गाड़ियों के लिए यूनीक नंबर को पसंद करने वालों में गर्दनीबाग के राज कुमार का भी शौक सबसे अलग है. अपनी हर गाड़ी के लिए 9669 नंबर को पसंद करने वाले राज कुमार कहते हैं, जब मैंने सबसे पहली गाड़ी को खरीदा था तो उसका नंबर बायलक उसका नंबर 6969 मिल गया था. जब अन्य गाड़ियों को खरीदने के बाद इस नंबर को लेने गया तो नहीं मिला. उसके बदले में 9669 नंबर मिला. फिर इसके बाद मैंने जो भी गाड़ी लिया, सभी का नंबर यही लिया. सभी का रजिस्ट्रेशन बिहार का है. मुझे आमतौर पर गाड़ियों के नंबर में सम नहीं बल्कि विषम संख्या के नंबर पसंद हैं.
जुबान पर चढ़ गया तो ले लिया नंबर
जगदेव पथ के निवासी राहुल कुमार कहते हैं, मैंने जब पहली बार गाड़ी लिया तो इत्तेफाक से 5599 नंबर मिला. ये नंबर मुझे बहुत अच्छा लगा. जब दूसरी गाड़ियों को लिया तो सोचा क्यों न अन्य गाड़ियों के लिए भी इसी नंबर के लिए ट्राई करूं. यह नंबर देखने में तो अच्छा था ही, इसे याद करना भी आसान था. इसीलिए मैंने अन्य गाड़ियों के लिए भी यही नंबर लेने को सोचा. हालांकि इसे लेने में थोड़ा वक्त तो लगा क्योंकि इसके लिए मुझे सीरीज शुरू होने का इंतजार लगा लेकिन जरूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अन्य दो गाड़ियों के लिए यह नंबर मुझे मिल गया. मेरे पास अभी इनोवा, स्कॉर्पियो और पोलो तीन गाड़ियां हैं और तीनों का ही रजिस्ट्रेशन बिहार का है.

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