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दुकानों-प्रतिष्ठानों के कर्मियों काे बैंक खाते में वेतन नहीं देनेवालों की खैर नहीं, सरकार बना रही कानून, पढ़ें… कितना लगेगा जुर्माना

पटना : सूबे की दुकानों और प्रतिष्ठानों में काम करनेवाले कामगारों का वेतन अब सीधे उनके नियमित बैंक खाते में जायेगा. इसके लिए नीतीश सरकार कामगार सेवा शर्तों का करीब छह दशक पुराना बिहार दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम में बदलाव करनेवाली है. नये अधिनियम के मुताबिक, सप्ताह में एक दिन अवकाश के साथ-साथ वर्ष में […]

पटना : सूबे की दुकानों और प्रतिष्ठानों में काम करनेवाले कामगारों का वेतन अब सीधे उनके नियमित बैंक खाते में जायेगा. इसके लिए नीतीश सरकार कामगार सेवा शर्तों का करीब छह दशक पुराना बिहार दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम में बदलाव करनेवाली है. नये अधिनियम के मुताबिक, सप्ताह में एक दिन अवकाश के साथ-साथ वर्ष में कुल 12 अवकाश दिये जायेंगे. साथ ही दुकान और प्रतिष्ठान के मालिकों की ओर से कामगारों को चिकित्सा के दौरान वेतन के साथ छुट्टी देनी होगी. कार्यस्थल पर कामगारों को आवश्यक नागरिक सुविधा और सुरक्षा का पूरा इंतजाम करना होगा. रात में काम करनेवाली महिला कर्मियों को लाने और पहुंचाने की व्यवस्था भी मालिकों को करनी होगी. प्रतिष्ठानों को अब निबंधन के बाद अब एलआइएन नंबर मिलेगा. इससे कार्यस्थल पर नागरिक सुविधा बढ़ने से उपभोक्ता भी लाभान्वित होंगे.

करीब 50 लाख कामगार होंगे लाभान्वित

राज्य में अभी वर्ष 1953 में बना बिहार दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम चल रहा है. हालांकि, समय-समय पर इसमें संशोधन होता रहा है. करीब दस साल पहले संशोधन हुआ था. अब इस पुराने अधिनियम की जगह नया अधिनियम लाने की तैयारी चल रही है. नया अधिनियम पहले के मुकाबले कामगारों के हित में होगा. इस अधिनियम के तहत निबंधित प्रतिष्ठानों में कितने लोग काम कर रहे हैं, इसका कोई प्रामाणिक आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक, 50 लाख से अधिक कामगार दुकानों और प्रतिष्ठानों में काम कर रहे हैं. राज्य में करीब 10 लाख दुकान व प्रतिष्ठान निबंधित हैं.

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा अधिनियम लचीला और सख्त नहीं था. कानून के प्रति लोगों में डर थोड़ा कम था. असल में श्रम कानूनों को और अधिक कामगारों के हित में बनाने के लिए केंद्र ने सभी राज्य सरकारों को एक मॉडल अधिनियम भेजा था. इसी के आधार पर सभी राज्यों को अधिनियम बनाना था. श्रम संसाधन विभाग ने इस आशय का प्रस्ताव का समीक्षा के लिए विधि विभाग को भेजा है. विधि विभाग इस पर मंथन कर रहा है. विभाग विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में मंजूरी के लिए इसे विधानसभा में रखेगा. नये अधिनियम में पुराने की तुलना में कई बड़े बदलाव किये गये हैं. कानूनों को अधिक सख्त और कामगारों के हित में बनाया गया है.

नये अधिनियम में होंगे कई बदलाव

नये बिहार दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम में कई बड़े बदलाव किये जा रहे हैं. जुर्माने की राशि को भी काफी बढ़ा दिया गया है. अभी तक नियमों का उल्लंघन करने पर ढाई सौ रुपये का जुर्माना लगता था. इसे बढ़ा कर एक लाख रुपये करने का प्रस्ताव है. अभी जुर्माने की राशि कम रहने पर लोग यह सोचते थे कि जरूरत पड़ी, तो जुर्माना भर देंगे. अब राशि बढ़ जाने से अधिनियम के प्रति लोगों में डर होगा. अब नियोजकों को कामगारों के खाते में उतना वेतन डालना होगा. इससे न्यूनतम मजदूरी का उल्लघंन नहीं होगा.

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