पटना : बिहार प्रदेश कांग्रेस इन दिनों सियासी संकट से दो चार हो रही है. महागठबंधन टूटने के बाद से ही बागी नेता मुखर होने लगे हैं. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों की मानें, तो राहुल गांधी के विदेश दौरे से लौटने के बाद स्थिति कुछ बदली-बदली सी नजर आयेगी. पार्टी नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने बयानों से यह पार्टी नेतृत्व को संदेश दे दिया है कि अब उन्हें अध्यक्ष नहीं बने रहना है. कांग्रेस के वह नेता, जो प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी से नाराज हैं, उनका कहना है कि डॉ. अशोक चौधरी ने सहानुभूति पाने के लिए कैमरे के सामने अपने आंसू बहाए, लेकिन आंसू भी काम नहीं आये हैं. उन्होंने अपने बयान से ही सबकुछ क्लियर कर दिया है.
पार्टी के अंदर जिस बयान का जिक्र नेता कर रहे हैं, वह है कि भागलपुर में ट्रायल के दौरान नहर का बांध टूटने पर सत्तापक्ष पर चारों ओर से हमला होने लगा. इस दौरान सरकार कटघरे में खड़ी नजर आयी. आनन-फानन में मामले की जांच का निर्देश दे दिया गया. उसके बाद जल संसाधन मंत्री की खिंचाई शुरू हो गयी. ठीक उसी समय प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने बयान दिया कि बांध टूटने के मामले में मंत्री कैसे दोषी हो सकते हैं. कांग्रेस के नेता मानते हैं कि अशोक चौधरी का यह बयान बिल्कुल साफ दिखाता है कि चौधरी नीतीश कुमार के साथ खड़े हैं. इसलिए नेता कह रहे हैं कि राहुल के आते ही अशोक चौधरी का हटना तय है.
वैसे कांग्रेस के बागी विधायकों ने अपनी पूरी बात कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के सामने पहले ही रख दी है. विधायकों ने राहुल गांधी को यहां तक बता दिया कि वर्तमान सरकार ने अशोक चौधरी को बंगला खाली करने का नोटिस भी नहीं दिया है. इससे साफ जाहिर होता है कि पार्टी में सबसे पहले वहीं कटघरे में खड़ा होते हैं. हालांकि, अशोक चौधरी ने अपने 25 सालों की पार्टी की सेवा की दुहाई देते हुए कहा था उनकी वफादारी पर सवाल उठाया जा रहा है, जो ठीक नहीं है. अशोक चौधरी ने पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं पर उंगली भी उठाई थी.
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