पटना : कहते हैं कि सियासत में संबंधों की परिभाषा समय और संख्या बल तय करता है. कब कौन गले मिले और कब कौन एक दूसरे से दूर हो जाये, यह वक्त के साथ-साथ सत्ता के लिए समझौते और सिद्धांत के बीच चल रही कवायद तय करती है. बिहार की राजनीति में हाल में कुछ ऐसा ही हुआ है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सियासी चाल से चौंक उठे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का हाल भी कुछ ऐसा ही है. उनके बयानों में तल्खी तो थी ही, अब तीखापन भी आ गया है. लालू ने सोशल मीडिया के जरिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह डाला. लालू ने लिखा है कि वह भरोसे का खून करने वाले और जनमत के डकैत हैं. वो नैतिकता, राजनीति, सामाजिक, लोकतांत्रिक भ्रष्टाचार का दुष्ट बॉस है, उसने भरोसे का खून किया है, जनमत पर डाका डाला है, वो अनैतिक कुमार कौन है ?
He is wicked master of Moral, Political, Social, Democratic corruption, murderer of trust & dacoit of mandate. Who is that amoral Kumar?
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) July 30, 2017
राजद सुप्रीमो की इस भाषा में छुपे दर्द और हालिया घटनाक्रम से पहुंचे उनके दुख का अंदाजा लगाया जा सकता है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि लालू यादव को यह बात साल रही है कि नीतीश कुमार ने 20 महीने पुरानी सरकार को गिराते हुए भाजपा के साथ मिलकर नयी सरकार बना ली है. लालू को यह अफसोस भी साल रहा है किवह समय रहते आखिर चेत क्यों नहीं गये? जानकारों की मानें तो लालू राजनीति के माहिर खिलाड़ी होते हुए भी पूरे राजनीतिक घटनाक्रम को भांप नहीं पाये और जदयू के उन यादव और मुस्लिम विधायकों से संपर्क नहीं कर पाये, जो कहा जाता है कि राजद से सहानुभूति रखते हैं.
Read the reality of real & amoral Kumar. Must readhttps://t.co/hTyhRLxHET
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) July 30, 2017
बताया जा रहा है कि लालू के बेटे और महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने घोषणा की है कि अब याचना नहीं सांप्रदायिकता के खिलाफ रण होगा. उधर, लालू प्रसाद यादव भी अपने छोटे भाई के खिलाफ बिहार में एक नया राजनीतिक आंदोलन छेड़ना चाहते हैं. जिसकी शुरुआत, उन्होंने जदयू से नाराज चल रहे नेता शरद यादव से मदद की गुहार लगाकर कर दी है. लालू 27 अगस्त को आयोजित राजद की रैली को इस आंदोलन के लिए मुफीद मान रहे हैं, तैयारी जोर-शोर से की जा रही है. राजद के अंदरखाने से मिल रही खबरों पर विश्वास करें, तो कहा जा रहा है कि लालू को यह इनपुट मिला है कि नीतीश के इस कदम से उनके छिटके हुए वोटर भी एक साथ जूट गये हैं और वह बिहार में राजनीतिक आंदोलन का आगाज कर सकते हैं.
यह भी पढ़ें-
वोट के लालच में नहीं, सेवा भाव से हर तबके के लिए करता हूं काम : नीतीश