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बिहार के लाल का जुनून : IAS बनने के बाद शुरू किया मिशन 50, सैकड़ों बच्चों को बनाया अधिकारी, पढ़ें

पटना : अपनी सफलता के सूत्र को औरों के जीवन में खुशी के रूप में बिखेर देना सिखना हो, तो बिहार के रहने वाले वरिष्ठ आइएएस अधिकारी रणजीत कुमार सिंह से सीखा जा सकता है. जी हां, अपने दादा जी एक बात को मन में रखकर देश की सर्वश्रेष्ठ परीक्षा पास कर बिहार के सुदूर […]

पटना : अपनी सफलता के सूत्र को औरों के जीवन में खुशी के रूप में बिखेर देना सिखना हो, तो बिहार के रहने वाले वरिष्ठ आइएएस अधिकारी रणजीत कुमार सिंह से सीखा जा सकता है. जी हां, अपने दादा जी एक बात को मन में रखकर देश की सर्वश्रेष्ठ परीक्षा पास कर बिहार के सुदूर देहात से गुजरात जैसे राज्य में जिला विकास पदाधिकारी, यहां की भाषा में कहें तो जिलाधिकारी का पदभार संभालना बहुत बड़ी बात होती है. मानवीय संवेदना और आम लोगो के सरोकार को सार्थकताकीपहली सूची में रखकर अपने कर्तव्य को अंजाम देने वाले रणजीत मिशन 50 के जरिये विद्या दान का एक ऐसा अनोखा अलख जगा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आप स्वयं कह उठेंगे अधिकारी हो तो ऐसा. रणजीत 50 गरीब बच्चों को निशुल्क आइएएस की तैयारी करवाते हैं, उनके पढ़ाये सैकड़ों बच्चे देश के इस सर्वश्रेष्ठ परीक्षा में सफलता के झंडेफहरा चुके हैं. प्रस्तुत है उनसे बातचीत परआधारित यह रिपोर्ट.

गांव में बाढ़ ने बनाया आइएएस

रणजीत कुमार सिंह ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि जब मैं पांचवी कक्षा में था तो हमारे गांव में बाढ़ आयी थी और गांव का हर आदमी डीएम को खोज रहा था, तब मेरे दादा जी ने कहा कि बनना है तो डीएम बनकर दिखाओ. उन्होंने कहा कि मैं खुद एक गरीब परिवार में पला-बढ़ा हूं. पैसे की कमी और संघर्ष मैंने शिद्दत से महसूस किया है. ऐसे में गरीब और होनहार प्रतिभागियों के लिए मार्गदर्शन देने का विचार मन में आया. ट्रेनिंग के दौरान ही दोस्तों, जिनमें कुछ सफल उम्मीदवार थे, के साथ मैंने 2010 में मिशन 50 की शुरुआत की. इसमें हमलोग पचास गरीब बच्चों को मुफ्त आइएएस की तैयारी करवाते हैं.

गरीब बच्चों को देते हैं ट्रेनिंग

आईएएस रणजीत को भारत सरकार स्वच्छता को लेकर पुरस्कृत कर चुकी है. उन्होंने कहा कि संस्थान प्रारंभ करने में बैचमेट एवं अन्य लोगों का साथ रहा. बिहार से बाहर रहकर इस काम को अंजाम देने के प्रश्न पर वह कहते हैं, चूकि मैं गुजरात में सेवारत हूं, इसलिए समय की थोड़ी परेशानी होती है, पर अभी छुट्टी के समय ज्यादात्तर वक्त मैं मिशन 50 को देता हूं. उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष दर्जनों छात्र सिविल सेवा परीक्षा में सफल हो रहे हैं. जब संस्थान के बच्चों का रिजल्ट आता है, तो ऐसा लगता है मेरा ही रिजल्ट आया है.

मिशन 50 को बनाया अपना लक्ष्य

उन्होंने कहा कि बिहार में रहकर भी अच्छे मार्गदर्शन में सिविल सेवा की तैयारी की जा सकती है. खुद मैं बिहार में रहकर सफल हुआ. उन्होंने कहा कि सफलता के लिए लक्ष्य के प्रति समर्पित रहकर तैयारी करना ज्यादा बेहतर है. बिहार के वैशाली जिले के मध्यमवर्गीय परिवार में पले-बढ़े डॉ. रंजीत कुमार सिंह ने 2008 में सिविल सेवा की परीक्षा पास की. वर्तमान में वे गुजरात के नर्मदा जिले में जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं और गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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