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सीबीएसइ का निर्देश, विद्यार्थियों को बेवकूफ व गदहा बोला तो शिक्षक होंगे सस्पेंड
पटना: मजाक में भी विद्यार्थियों को बेवकूफ और गदहा कहना शिक्षकों को भारी पड़ सकता है. सीबीएसइ ने तमाम स्कूलों को एक दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसके अनुसार किसी भी विद्यार्थी को अगर कोई शिक्षक परेशान कर रहा हो या किसी तरह के अपशब्द का इस्तेमाल कर रहा हो, तो ऐसे शिक्षकों को सस्पेंड किया […]
पटना: मजाक में भी विद्यार्थियों को बेवकूफ और गदहा कहना शिक्षकों को भारी पड़ सकता है. सीबीएसइ ने तमाम स्कूलों को एक दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसके अनुसार किसी भी विद्यार्थी को अगर कोई शिक्षक परेशान कर रहा हो या किसी तरह के अपशब्द का इस्तेमाल कर रहा हो, तो ऐसे शिक्षकों को सस्पेंड किया जायेगा. इसके लिए अभिभावक को शिकायत दर्ज करानी होगी. गरमी की छुट्टी समाप्त होने के साथ ही स्कूलाें को यह दिशा-निर्देश जारी कर दिया गया है.
रीजनल ऑफिस के अलावा ऑनलाइन भी शिकायत कर सकते हैं दर्ज : सीबीएसइ ने छात्रों को शिकायत करने की सुविधा संबंधित रीजनल ऑफिस के साथ ऑनलाइन भी दिया है. जिन शहरों में रीजनल आॅफिस नहीं है, वहां के विद्यार्थी ऑनलाइन भी शिक्षक की शिकायत कर सकते हैं. बोर्ड ने एक ऑनलाइन फीडबैक फाॅर्म जारी किया है. इस फाॅर्म में विद्यार्थी अपनी समस्या को लिख कर सीबीएसइ को भेज सकते हैं.
आये दिन आती हैं शिक्षकों की शिकायतें
सीबीएसइ के अनुसार आज भी स्कूलों में शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना छात्रों के साथ होती है. समय-समय पर स्कूल परिसर में शिक्षकों और प्रिसिंपल की यह शिकायत बाेर्ड के पास पहुंचती है, लेकिन बोर्ड ने अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है. मानसिक प्रताड़ना से भी विद्यार्थी परेशान रहते हैं. कई बार तो काउंसेलर तक के पास जाना पड़ता है. इन तमाम बातों को ध्यान में रख कर सीबीएसइ ने यह दिशा निर्देश जारी किया है.
शिक्षा का अधिकार बेअसर : सीबीएसइ ने अनुसार 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून लागू हुआ था. इस कानून के तहत स्कूल परिसर में बच्चों को किसी तरह का दंड देने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गयी थी. आठ साल के बाद भी इसका कोई असर स्कूल में नहीं दिखता है. स्कूली छात्रों को अभी भी दंड दिये जाते हैं. ज्ञात हो कि शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के पहले बच्चों के यौनशोषण, आर्थिक शोषण, बालश्रम पर रोक के लिए बाल अधिकार एक्ट, 2005 को बचाने के लिए 2007 में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग का गठन किया गया था. इससे पहले 2000 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्कूलों में बच्चों को दंड देने पर रोक लगायी गयी थी.
शिकायतों की होगी जांच, फिर कार्रवाई : स्कूलों में शिक्षक और विद्यार्थियों में स्वच्छ वातावरण बने, विद्यार्थी खुद को सुरक्षित समझे व शिक्षक के साथ विद्यार्थी का रिश्ता खुशनुमा बने, इसके लिए सीबीएसइ यह प्रयास करने जा रहा है. विद्यार्थी जो भी शिकायत बोर्ड के पास करेंगे, उसकी जांच सीबीएसइ अपने स्तर से करेगा. जांच में शिक्षक दोषी पाये जायेंगे, तो ऐसे शिक्षक को तुरंत सस्पेंड किया जायेगा.
गोपनीय रखी जायेगी विद्यार्थियों की पहचान : दुर्व्यवहार या अपशब्द की शिकायत करनेवाले विद्यार्थियों के नाम पूरी तरह गोपनीय रखी जायेगी. इससे विद्यार्थी या अभिभावक को स्कूल में किसी तरह की परेशानी या विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा.
शिकायत की केटेगरी
– तुम बेवकूफ हो, तुम्हें कुछ नहीं आता
– विद्यार्थी को चिढ़ा कर उनका नाम पुकारना
– गंदे इशारे कर विद्यार्थियों को बुलाना
– अन्य विद्यार्थियों से हट कर व्यवहार करना
– शारीरिक तथा मानसिक रूप से परेशान करना
– खुलेआम गुस्से में विद्यार्थियों को डांट-फटकार लगाना
विद्यार्थी या अभिभावक हमारे पास भी शिकायत कर सकते हैं. अपनी शिकायत वे मेल या हार्ड कॉपी के माध्यम से कर सकते हैं. उनकी शिकायत पर हम अपने स्तर से जांच करवायेंगे. शिक्षकों पर कार्रवाई भी की जायेगी. विद्यार्थियों को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देना स्कूलों को बंद करना पड़ेगा.
एलएल मीणा, रीजनल ऑफिसर, सीबीएसइ, पटना
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