पटना : पूर्व मंत्री की बेटी के साथ यौन शोषण मामले में आरोपित निखिल प्रियदर्शी के पिता कृष्ण बिहारी और भाई मनीष प्रियदर्शी को पटना हाइकोर्ट ने जमानत दे दी है. निचली अदालत में प्रिया से शादी करने के समझौता पत्र स्वीकार होने के बाद न्यायाधीश अरविंद श्रीवास्तव की कोर्ट ने दोनों को जमानत दे दी. इससे पूर्व 25 मई को दोनों ने कोर्ट के समक्ष एक समझौता पत्र पेश किया था और उसमें पीड़ित युवती और निखिल ने अपने आपको बालिग बताया था. पत्र में दोनों ने यह भी कहा था कि अब वे साथ में हैं, उनके बीच किसी तरह का विवाद नहीं रह गया है. दोनों ने अपनी मर्जी से जीवन साथी के रूप में एक दूसरे के साथ जिंदगी गुजारने का फैसला लिया है. उसी समय यह कयास लगाया जा रहा था कि निखिल के परिजनों को अब जमानत मिल जायेगी.
समझौते में बड़े राजनेता का हाथ
हालांकि, टीवी रिपोर्ट की मानें तो पूर्व में हुए इस समझौतेकेपीछे बिहार के बड़े और कद्दावर नेता का हाथ बताया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी के एक पूर्व मंत्री की बेटी के साथ यौनशोषण का मामला मीडिया में काफी चर्चा में रहा और बिहार पुलिस ने विशेष टीम का गठन कर निखिल और उसके रिटायर्ड आइएएस पिता को उत्तराखंड से गिरफ्तार किया था. निखिल प्रियदर्शी पर पीड़ित युवती ने आरोप लगाया था कि निखिल ने उसका यौन शोषण किया है और वह नाबालिग है. 22 दिसंबर 2016 को एससी/ एसटी थाने में निखिल और उसके परिजनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी गयी. साथ ही, राजधानी के बुद्धा कॉलोनी थाने में पहचान उजागर करने को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. बिहार पुलिस ने निखिल की गिरफ्तारी के लिए विशेष अभियान चलाया और उसे आखिर में गिरफ्तार कर पटना लाई.
कांग्रेस के नेता भी फंसे हैं इस कांड में
मामले में पुलिस ने मार्च में निखिल और उसके पिता केबीपी सिन्हा को भी गिरफ्तार कर लिया. यौनशोषण के इस चर्चित कांड में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष ब्रजेश पांडेय के शामिल होने का भी आरोप लगा और उन्होंने प्रदेश उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा. मामले की जांच चल रही है. इसी बीच बेऊर जेल में बंद निखिल प्रियदर्शी से लगातार पीड़िता के मिलने की खबर मिलती रही और अब यह बताया जा रहा है कि दोनों के बीच प्यार बढ़ गया है और दोनों एक दूसरे के साथ जीवन गुजारने के लिये राजी हैं. दो तीन दिन पहले भी पीड़िता को कोर्ट में देखा गया था, जिस दिन निखिल की पेशी थी. दोनों ने अपने संयुक्त हस्ताक्षर से कोर्ट में समझौता पत्र दाखिल कर मामले को नया मोड़ दे दिया.
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