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विकसित ही नहीं, पड़ोसी राज्यों के मुकाबले भी महंगे हैं बिहार में बिजली, पेट्रोल, डीजल व एलपीजी

भुवनेश्वर, कोलकाता और रांची में घरेलू ग्राहकों को 100 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करने पर प्रति यूनिट 6 से 6.30 रुपये की लागत आती है, वही बिहार में इसके लिए 9.10 रुपये लगते हैं. राज्य सरकार प्रति यूनिट 3.43 रुपये की सब्सिडी देकर उपभोक्ताओं को 5.67 रुपये में बिजली उपलब्ध कराती है.

सुमित, पटना. देश के समृद्ध राज्य ही नहीं, पड़ोसी राज्यों के मुकाबले भी बिहार जैसे गरीब प्रदेश में बिजली, पेट्रोल, डीजल और एलपीजी (रसोई गैस) की दर काफी अधिक है. पूरे देश में एक ग्रिड से बिजली आपूर्ति होने के बावजूद पड़ोसी राज्यों की राजधानी भुवनेश्वर, कोलकाता और रांची में घरेलू ग्राहकों को 100 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करने पर प्रति यूनिट 6 से 6.30 रुपये की लागत आती है, वही बिहार में इसके लिए 9.10 रुपये लगते हैं. राज्य सरकार प्रति यूनिट 3.43 रुपये की सब्सिडी देकर उपभोक्ताओं को 5.67 रुपये में बिजली उपलब्ध कराती है.

केंद्र सरकार अलग से देती है ऑनलाइन सब्सिडी

पड़ोसी राज्यों की बात करें तो रांची और लखनऊ में पेट्रोल की दर क्रमश: 99.82 रुपये और 96.57 रुपये प्रति लीटर है, जबकि बिहार में इसके लिए सबसे अधिक 107.42 रुपये देने होते हैं. डीजल दर के मामले में भी लखनऊ, कोलकाता, बेंगलुरू और अहमदाबाद राज्य बिहार के मुकाबले सस्ते हैं. साथ ही एलपीजी की दर बिहार में 1001 रुपये है, जिसके मुकाबले रांची में इसकी दर 960 रुपये, लखनऊ में 940 रुपये, भुवनेश्वर में 929 रुपये और बेंगलुरू में 905 रुपये है. इस पर केंद्र सरकार अलग से ऑनलाइन सब्सिडी देती है.

उत्पादन लागत के चलते बिजली की दर राज्यों में अलग-अलग

विद्युत क्षेत्र के विशेषज्ञों के मुताबिक जेनरेशन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लागत के चलते अलग-अलग राज्यों में बिजली की कीमतों में अंतर हो जाता है. मसलन जिन राज्यों में थर्मल पावर प्लांटों के आस पास कोल लिंकेज होता है, उन प्लांटों की बिजली दूसरे के मुकाबले सस्ती होती है. इसी तरह, नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से उत्पादित बिजली भी थर्मल के मुकाबले सस्ती उपलब्ध होती है. एक आंकड़े के मुताबिक मध्यप्रदेश को 3.49 रुपये, गुजरात को 3.74 रुपये, महाराष्ट्र को 4.32 रुपये और राजस्थान की बिजली कंपनियों को 4.46 रुपये प्रति यूनिट के दर बिजली मिलती है.

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सब्सिडी दिये जाने से भी बिजली सस्ती हो जाती

बिहार को 5.82 रुपये प्रति यूनिट के दर से बिजली मिलती है. इस कारण से भी उपभोक्ताओं तक पहुंचते-पहुंचते इसकी लागत बढ़ती चली जाती है. विशेषज्ञों के मुताबिक कुछ राज्यों में राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी दिये जाने से भी बिजली सस्ती हो जाती है. इसके अलावा बिजली की मांग-आपूर्ति का अंतर भी किसी विशेष राज्य में बिजली की कीमत को प्रभावित कर सकता है. बिजली की कीमत निर्धारित करने के लिए प्रत्येक राज्य का अपना नियामक ढांचा है. इसमें कर, टैरिफ और अधिभार जैसे कारक शामिल होते हैं.

एक्साइज व वैट दरों के चलते पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अंतर

पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. इस वजह से इस पर लगने वाला टैक्स हर राज्य में अलग-अलग है. पेट्रोल-डीजल के पेट्रोल पंपों तक पहुंचने के बाद उस पर केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार का वैल्यु एडेड टैक्स यानि वैट जुड़ जाता है. केंद्र सरकार एक्साइज़ ड्यूटी, पेट्रोल के बेस प्राइस, डीलर का मुनाफा और फ्रेट चार्ज को जोड़ कर लगती है. साल 2014 में पेट्रोल पर 9.48 रुपये प्रति लीटर एक्साइज़ ड्यूटी लगती थी, जो अब बढ़ कर 32.90 रुपये प्रति लीटर हो गयी है.

अधिक दर के पीछे केंद्र की बेस रेट जिम्मेदार

बिहार सरकार का मानना है कि राज्य में पेट्रोल-डीजल की अधिक दर के पीछे केंद्र की बेस रेट है, जो उत्तर प्रदेश और गुजरात की तुलना में बिहार के लिए अधिक निर्धारित की गयी है. अमीरों की मदद करने वाले राज्य पेट्रोल पर वैट की दर कम रखते हैं, जबकि बिहार में डीजल का गरीबों के द्वारा सर्वाधिक उपयोग को देखते हुए इस पर वैट दर कम रखी गयी है.

बिहार सरकार ने एक देश-एक बिजली दर की रखी मांग

देश भर में बिजली दरों की असमानता को देखते हुए ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक देश-एक बिजली दर की मांग उठायी थी. इसके पीछे तर्क है कि जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल का किराया दूरी के हिसाब से एक समान होता है तो एक ग्रिड से दी जाने वाली बिजली की दरें अलग अलग क्यों हैं? बिजली बिल दो हिस्सों से मिलकर बनता है. एक फिक्स्ड चार्ज और दूसरा एनर्जी चार्ज. फिक्स्ड चार्ज में उत्पादन, पारेषण, ट्रांसमिशन, मेंटेनेंस लागत एवं पूंजी पर रिटर्न वसूला जाता है, जबकि ऊर्जा प्रभार उपभोक्ताओं द्वारा वास्तविक बिजली खपत की कीमत पर आधारित होता है. फिक्स्ड चार्ज से जब डिस्कॉम की लागत नहीं निकल पाती है, तो कंपनियां ऊर्जा प्रभार बढ़ाने के विकल्प चुनकर बिजली महंगी कर देती हैं.

राज्य बिजली/ पेट्रोल/लीटरडीजल/लीटर एलपीजी/सिलेंडर

  • बिहार @9.10@107.42@94.21@1001

  • रांची @6.30@99.82@94.64@960.50

  • कोलकाता @6.33@106.03@92.76@1000

  • लखनऊ @7.19@96.57@89.76@940.50

  • भुवनेश्वर @6.00@103.19@94.76@929

  • बेंगलुरू @7.00@101.94@87.89@905.50

  • अहमदाबाद @5.08@96.70@92.17@910

राज्य बिजली (प्रति यूनिट घरेलू 100 यूनिट से ऊपर की खपत पर)

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