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नीतीश कुमार ने लगातार चौथी बार विधान परिषद के लिए दाखिल किया नामांकन, 21 मार्च को होगी वोटिंग

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार चौथी बार विधान परिषद के रास्ते सदन पहुंचेंगे. इसके लिए वो मंगलवार को नामांकन पर्चा दाखिल करेंगे.

बिहार विधान परिषद की 11 रिक्त सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई है. नामांकन के पहले दिन किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल नहीं किया है. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को अपना नामांकन फॉर्म दाखिल कर दिया है. वह लगातार चौथी बार विधान परिषद के सदस्य चुने जायेंगे. विधान परिषद के इस द्विवार्षिक चुनाव में जेडीयू को दो सीटें मिलेंगी. पहली सीट से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उम्मीदवार होंगे. वहीं दूसरी सीट से मौजूदा सदस्य खालिद अनवर ने भी पर्चा भर दिया है.

1985 में नीतीश कुमार ने जीता था पहला विधानसभा चुनाव

नीतीश कुमार सबसे लंबे समय तक बिहार के मुख्यमंत्री रहने वाले नेता हैं. उनका राजनीतिक सफर जय प्रकाश नारायण (जेपी) आंदोलन से शुरू हुआ था. नीतीश कुमार 1977 में सत्येंद्र नारायण सिन्हा की अध्यक्षता में वाली समता पार्टी में शामिल हुए. नीतीश ने पहली बार 1977 में हरनौत से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. इसके बाद 1980 के चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. आखिरकार नीतीश कुमार को विधानसभा चुनाव में पहली जीत 1985 में हरनौत से ही मिली.

नीतीश कुमार केंद्र सरकार में भी रहें मंत्री

1985 के बाद नीतीश कुमार ने कभी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा. उन्होंने अपना रुख केंद्रीय राजनीति की तरफ कर लिया. वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की. वह वाजपेयी सरकार में पहले कृषि मंत्री और फिर रेल मंत्री भी रहें.

2000 में पहली बार सीएम बने नीतीश कुमार

नीतीश कुमार पहली बार 3 मार्च 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने. हालांकि उनका यह कार्यकाल महज सात दिन का ही रहा था. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में जब एनडीए को हार मिली तो नीतीश कुमार ने एक बार फिर से अपना रुख राज्य की राजनीति की ओर कर लिया. उन्होंने बिहार में बढ़ रहे अपराध के विरुद्ध अभियान छेड़ दिया, जिसके फलस्वरूप 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बन गई और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री.

नीतीश कुमार लगातार चौथी बार बनेंगे बिहार विधान परिषद के सदस्य

2005 में जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो नीतीश कुमार सांसद थे. उन्होंने सीएम बनने के बाद सांसदी से इस्तीफा दिया और विधान परिषद के सदस्य बन गए. 2006 में नीतीश पहली बार विधान परिषद के सदस्य बने. इसके बाद 2012 और 2018 में भी वो विधान परिषद के सदस्य बने. अब 2024 में वो लगातार चौती बार बिहार विधान परिषद के सदस्य बनेंगे.

21 मार्च को विधान परिषद के लिए मतदान

बता दें कि बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए चार मार्च से नामांकन शुरू हो चुका है. नामांकन की अंतिम तिथि 11 मार्च निर्धारित की गयी है. नामांकन पत्रों की जांच 12 मार्च को जबकि नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 14 मार्च निर्धारित की गयी है. आवश्यक हुआ तो 21 मार्च को मतदान कराया जायेगा.

इन सदस्यों का कार्यकाल हो रहा समाप्त

बिहार विधान परिषद के जिन सदस्यों का कार्यकाल छह मई 2024 को समाप्त हो रहा है उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, खालिद अनवर, प्रेमचंद्र मिश्रा, मंगल पांडेय, विरोधी दल की नेता राबड़ी देवी, उप सभापति रामचंद्र पूर्वे, रामईश्वर महतो, संजय पासवान, सैयद शाहनवाज हुसैन, संजय कुमार झा और मंत्री संतोष कुमार सुमन के नाम शामिल हैं. इनमें संजय कुमार झा राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो चुके हैं.

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