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जिउतिया का निर्जल व्रत आज, खरीदारी के लिए गुलजार रहे बाजार

NAWADA NEWS.हिंदू धर्म में पुत्रों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना से महिलाएं जिउतिया व्रत करती हैं. यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को निर्जला उपवास के रूप में रखा जाता है. इस बार 14 सितंबर को महिलाएं दिनभर निर्जल रहकर जिउतिया व्रत रखेंगी और 15 सितंबर को पारण कर व्रत का समापन करेंगी.

महिलाओं ने सब्जी और जिउतिया की खरीदारी की, बाजारों में रही भीड़

प्रतिनिधि, नवादा नगरहिंदू धर्म में पुत्रों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना से महिलाएं जिउतिया व्रत करती हैं. यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को निर्जला उपवास के रूप में रखा जाता है. इस बार 14 सितंबर को महिलाएं दिनभर निर्जल रहकर जिउतिया व्रत रखेंगी और 15 सितंबर को पारण कर व्रत का समापन करेंगी. इसी को लेकर शनिवार को नवादा शहर का बाजार देर रात तक गुलजार रहा. शहर की चौक-चौराहों से लेकर ग्रामीण हाट-बाजार तक हर जगह महिलाओं की चहल-पहल रही. व्रत के लिए जरूरी हरी सब्जियों की खरीदारी के लिए महिलाएं सुबह से ही मंडियों में पहुंचीं. हालांकि भीड़ बढ़ने से सब्जियों के दामों में जबरदस्त तेजी देखी गयी.

शनिवार को सब्जियों के भाव प्रति किलो इस प्रकार रहे.

बैंगन 60 रुपये किलो, ओल 60 रुपये प्रति किलो, पटल 60 रुपये, झींगा 60, कंदा 60, फूलगोभी 120, पत्तागोभी 50, कद्दू 60, भिंडी 40, गोलवा साग 40 और बोड़ा 60 रुपये प्रति किलो बिका. महिलाएं इन सब्जियों के अलावा सत्तू, मड़ुआ का आटा, चूड़ा, मखाना व मौसमी हरी सब्जियां भी खरीदती नजर आयीं. दुकानदारों ने बताया कि जिउतिया पर्व पर मांग अचानक बढ़ने से दामों में बढ़ोतरी स्वाभाविक रही.

पूजा सामग्री और जिउतिया की बढ़ी मांग

पुत्रों की दीर्घायु की कामना में महिलाएं पारंपरिक रूप से सोने-चांदी के बने जिउतिया धारण करती हैं. इस बार बाजार में हल्के वजन और बारीक डिजाइनों वाले जिउतिया की मांग सबसे अधिक रही. लॉकटनुमा डिजाइन के जिउतिया ग्राहकों की पहली पसंद बने. ज्वेलर्स ने भी बाजार की मांग देखते हुए अनेक लेटेस्ट डिजाइन उपलब्ध कराये. जेवर व्यापारी भोला ने बताया कि जिउतिया पर्व पर लोग बेटे की संख्या के अनुसार जिउतिया खरीदते हैं. इस बार विशेष रूप से लॉकटनुमा जिउतिया की मांग बढ़ी है. वहीं इन्होंने कहा कि ग्राहकों की जरूरत को देखते हुए हर वजन और डिजाइन के जिउतिया हमारी दुकान पर उपलब्ध हैं.

धार्मिक मान्यता और कथा

जिउतिया व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी मानी जाती है. कहा जाता है कि अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने पांडवों के सोए हुए पांचों पुत्रों का वध कर दिया था. भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से उन बच्चों को पुनर्जीवित किया गया. तभी से इस व्रत को जीवितपुत्रिका व्रत कहा जाने लगा. इस व्रत में माताएं संतान की लंबी आयु, निरोगी जीवन और उन्नति की कामना करती हैं.

वैज्ञानिक दृष्टि से लाभकारी

नहाय-खाय के दिन विशेष हरी सब्जियों का सेवन किया जाता है. इसमें झींगा, सत्पुतिया, कंदा, नेनी साग, बोड़ा, लाल साग आदि प्रमुख हैं. वैज्ञानिक दृष्टि से इन सब्जियों में कैल्शियम और आयरन की भरपूर मात्रा होती है, जिससे महिलाओं को पोषण मिलता है. यही कारण है कि परंपरा के साथ-साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इनका विशेष महत्व है.

पारंपरिक आस्था से जुड़ा पर्व

शहर के बाजारों में शनिवार को देर रात तक रौनक बनी रही. महिलाएं बच्चों की दीर्घायु के लिए सजगता और आस्था के साथ आवश्यक सामग्री जुटाती रहीं. सब्जियों और जिउतिया की बढ़ी खरीदारी ने पूरे बाजार को त्योहारमय बना दिया. 14 सितंबर को महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास रखकर व्रत करेंगी और 15 सितंबर की सुबह संकल्पपूर्वक पारण कर अपने पुत्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करेंगी.

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