हिसुआ में भारतीय जनवादी महिला समिति के जिला सम्मेलन में महिला उत्पीड़न का विरोध
हिसुआ : केंद्र सरकार महिला सशक्तीकरण और बेटी बचाओ को नारा दे रही है और उसका खूब ढोल पीट रही है, लेकिन महिलाओं के 33 फीसदी आरक्षण के मामले में सरकार चुप्पी साधे हुए है. महिलाओं का लगातार उत्पीड़न व शोषण जारी है. दिल्ली के निर्भया कांड के बाद देश में 28 फीसदी घटनाओं में वृद्धि हुई है. सरकार कम मानदेय देकर महिलाओं का श्रम शोषण कर रही है.
यह बातें गुरुवार को हिसुआ में जनवादी महिला समिति की प्रदेश अध्यक्षा रामपरी देवी ने कहीं. राजकीयकृत मध्य विद्यालय में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति का नौवां जिला सम्मेलन का आयोजन था. उन्होंने महिला उत्पीड़न व शोषण के लिए केंद्र व राज्य दोनों सरकार को दोषी ठहराया. जिलाध्यक्ष पुष्पा ने कहा कि देश में समृद्धि व विकास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, लेकिन आज भी 69 फीसदी महिला व 49 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. राज्य सरकार के सात निश्चयों में महिला व किसान के हित की बातें नहीं है. महिला आंदोलन की वजह से शराबबंदी हुई, लेकिन आज भी शराब आ रही हैं और बिक रही हैं. अन्य वक्ताओं ने भी केंद्र व राज्य सरकार की महिला विरोधी और शोषण की नीतियों पर जम कर प्रहार किया.
सेविका और सहायिका, आशा सहित अन्य महिलाओं को कम मानदेय देकर अधिक श्रम करवाने का आरोप लगाया गया.
स्वागत भाषण किसान सभा के रामयतन सिंह ने दिया, जबकि मौके पर कम्युनिस्ट नेता नरेश चंद शर्मा, उमेश प्रसाद, दानी विद्यार्थी, पेंशनर समाज के भुनेश्वर प्रसाद सिंह आदि उपस्थित थे. सम्मेलन में एडवा राज्य कमेटी की सदस्य अलका मिश्रा, मंडल अध्यक्ष प्रभा देवी, इंदु देवी, अनुप्रिया, सोनी आदि ने संबोधित किया. 15 सदस्यीय समिति का चयन किया गया. इसमें पुष्पा को सचिव, टूप्पी को अध्यक्ष, रूक्मिणी को उपाध्यक्ष चुना गया. कमेटी में बिनू, रोशन काजमी, रीना, चुन्नी आदि को रखा गया.