– सूरज कुमार –
समाज के लिए अभिशाप है महिलाओं का उत्पीन
नवादा : महिलाओं का उत्पीन समाज में अभिशाप की तरह है. इसे समाप्त करने के लिए कानून बनाने की नहीं बल्कि, सोच में बदलाव लाने की जरूरत है. ऐसा नहीं है कि महिलाओं के उत्पीन के लिए केवल पुरुष ही दोषी है. इसमें महिलाएं भी शामिल हैं. देखा जाये तो जब लड़कियां शादी कर ससुराल जाती हैं, तो उनके साथ किसी प्रकार का र्दुव्यवहार या जुल्म सास या ननद द्वारा ही करने का मामला अधिक आता है, जो इस बात का गवाह है कि महिलाएं ही दूसरी महिलाओं पर जुल्म करती हैं.
इसी प्रकार एक मां अपनी बेटी की तुलना में बेटों को अधिक ला-प्यार करती है. ऐसे कई उदाहरण है, जिससे बेटियों को कमजोर किया जाता है. कहीं न कहीं पुरुषों के शोषण का शिकार हो जाती हैं. शिक्षा हो या खान-पान हर तरफ आज भी भेदभाव की स्थिति बनी हुई है. लाख कोशिशों के बाद भी लिंग परीक्षण जारी है.
रंजिश से जुड़े होते हैं मामले: महिलाओं के साथ हो रहे र्दुव्यवहार को रोकने के लिए कई नियम बने हैं. साथ ही महिला हेल्पलाइन, महिला थाना, बाल कल्याण समिति आदि संस्थाओं के माध्यम से पीडि़त महिलाओं व लकियों को संरक्षण दिया जाता है. खासकर मानव व्यापार, यौन शोषण व घरेलू हिंसा से बचाने का काम हो रहा है. कोर्ट में भी यौन शोषण के काफी मामले आते हैं. ऐसे मामलों में एक-तीहाई मामले पुराने रंजिश को लेकर जुड़ा होता है, जिसमें लोगों को फंसाया जाता है. कुल मिला कर कहा जाये, तो महिलाओं को जो अधिकार मिला है, उसका उल्लंघन भी काफी किया जाने लगा है. किसी को भी फंसाने के लिए छेड़-छाड़ का मामला दर्ज करा दिया जाता है.
पिछले दिनों शहर के न्यू एरिया में इसी तरह के मामले में कोचिंग संस्थान के छात्रों ने विरोध करने वाले एक व्यक्ति पुरुषोत्तम सिंह की पिटाई कर दी थी. बाद में वहीं लड़का व लकी एक साथ कोचिंग में पढ.ने जाते देखे गये. एक ताजा घटना शहर के प्रसाद बिगहा मुहल्ला में एक होटल के दो अलग-अलग कमरों से दो लके व लकियों को आपत्तिजनक हालत पुलिस ने गिरफ्तार कर जले भेज दिया. घटना 30 दिसंबर की है. बताया गया कि दोनों युगल स्वेच्छा से होटल में गये थे, परंतु इस में होटल संचालक फंस गये. ऐसा ही एक बडा मामला 16 अक्तूबर, 2012 को न्यू एरिया में मॉडर्न इंगलिश स्कूल में हुआ था.
जहां निदेशक पर एक छात्र के साथ अभद्र व्यवहार करने का मामला दर्ज कराया गया था. मामले ने इतना तूल पकड़ा कि देखते ही देखते आम लोगों ने ट्रैक्टर शोरूम व मोबाइल दुकान को आग के हवाले कर दिया था.
महिला थाने में दर्ज हुए 40 मामले : महिला थाने की स्थापना 20 अप्रैल, 2012 को नगर थाना परिसर में हुई. यहां अभी तक 40 मामले दर्ज किये गये. इसका थाना प्रभारी सीमा कुमारी को बनाया गया. महिला थाना बनने के बाद पुलिस के डर से घटनाएं कम होने लगी. सरकार का निर्देश है कि अधिक से अधिक समझौता करा कर मामले को रफा-दफा करा देना है. हर साल दो से ढाई सौ मामलों का समझौता करा कर निबटारा कराया जा रहा है. महिला थाने में वर्ष 2012 में छह मामले, 2013 में 30 मामले व 2014 में 28 जनवरी तक चार मामले दर्ज हुए हैं.