देश का पहला बालश्रम मुक्त प्रखंड बनने का गौरव प्राप्त हुआ था हिसुआ को
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इच्छाशक्ति की कमी से लग रहा धब्बा
देश का पहला बालश्रम मुक्त प्रखंड बनने का गौरव प्राप्त हुआ था हिसुआ को नवादा (सदर) : वर्ष 2002 में हिसुआ को बालश्रम मुक्त प्रखंड क्षेत्र घोषित किया गया था, इस दौरान राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने पूरे बिहार को बालश्रम मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाने की बात कही थी. पूरे बिहार तो दूर […]
नवादा (सदर) : वर्ष 2002 में हिसुआ को बालश्रम मुक्त प्रखंड क्षेत्र घोषित किया गया था, इस दौरान राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने पूरे बिहार को बालश्रम मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाने की बात कही थी. पूरे बिहार तो दूर नवादा जिले का हिसुआ प्रखंड को ही बालश्रम मुक्त बनाये नहीं रखा गया. आज की तारीख में हिसुआ सहित जिले के सभी क्षेत्रों में बालश्रम धड़ल्ले से किया जा रहा है. कभी गौरव बना हिसुआ प्रखंड में भी होटलों व गैराजों में बालश्रमिकों को काम करते देखा जा सकता है. जिले में श्रम विभाग की ओर से बालश्रम उन्मूलन अभियान को लेकर कोई भी काम नहीं किया जा रहा है.
इसके परिणाम स्वरूप जिला मुख्यालय के साथ ही सभी प्रखंड मुख्यालयों व ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे बच्चों से काम कराया जा रहा है. शहर का कोई भी ऐसा वर्कशॉप नहीं है, जहां छोटे बच्चों से काम नहीं कराया जाता है. होटलों , गैराजों व विभिन्न कारखानों में भी कच्चे उम्र के बच्चों से काम लिया जा रहा है.
पढ़ने की उम्र में बच्चे कर रहे श्रमिक का काम : कई होटलों व गैराजों में काम करनेवाले बच्चों की उम्र पढ़ाई करने की है. परंतु अपना नाम नहीं लिख पानेवाले ऐसे बच्चे महज 10 वर्ष की उम्र में बालश्रम कर रहे है.
ऐसे बच्चों के अभिभावकों की ओर से कुछ बच्चों का नाम स्कूल ब मदरसा में लिखा दिया गया है, फिर भी ऐसे बच्चे पढ़ाई छोड़कर कमाई में लगे हैं. वहीं कई घरों के अभिभावक घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने पर छोटे बच्चों को होटलों व गैराजों में काम करने को भेज रहे हैं. ऐसे बच्चे अपना नाम भी नहीं लिख पा रहे हैं. कुछ बच्चे मजबूरी तो कुछ बच्चे पैसे कमाने की लालच में कारखानों में काम करते है. गैराजों में काम करनेवाले बच्चे का जीवन गैराजों तक ही सिमट कर रह जाता है. ऐसे बच्चों के लिए सरकार द्वारा खोले गये बाल श्रमिक विद्यालय भी बंद होने जाने से उनकी पढ़ाई व्यवस्था चौपट हो गयी है.
श्रम विभाग नहीं चला रहा बालश्रम उन्मूलन कार्यक्रम: जिले में दिन प्रतिदिन बालश्रमिकों की संख्या में वृद्धि हो रही है. कहने को तो श्रम विभाग अन्य दूसरे प्रदेशों में काम करनेवाले बाल मजदूरों को छुड़ाकर नवादा ला रहा है, परंतु जिले में ही बाल श्रम कर रहे बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठा रहा है. चार साल पहले तक श्रम विभाग का दावा दल जिले के विभिन्न ईंट भट्ठों पर काम करनेवाले बच्चों को छुड़ाने के लिए अभियान चलाया जाता था.
टेलरिंग की दुकानों में काफी संख्या में काम करते हुए छोटे-टोटे बच्चे देखने को मिल जायेंगे. श्रम विभाग द्वारा पिछले साल से ही अभियान नहीं चलाये जाने के कारण जिले में बालश्रमिकों की संख्या में इजाफा हो गया है.
सौ दिनों में ही हिसुआ बना था बालश्रम मुक्त प्रखंड
देश का पहला बालश्रम मुक्त प्रखंड बनने का गौरव हिसुआ को प्राप्त हुआ था. तत्कालीन जिलाधिकारी डाॅ एन विजय लक्ष्मी व श्रम विभाग के साथ ही अन्य अधिकारियों के सहयोग से हिसुआ को बालश्रम मुक्त प्रखंड बनाया गया था. राजद सुप्रीमों ने हिसुआ को बालश्रम मुक्त श्रेत्र घोषित किया था. इस मौके पर मगध प्रमंड के आयुक्त हेमचंद्र सिरोही, श्रम आयुक्त विवेक कुमार सिंह, श्रम राज्य मंत्री राजवल्लभ प्रसाद
, हिसुआ विधायक आदित्य सिंह, बचपन बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलास सत्यार्थी, स्वास्थ्य राज्य मंत्री अखिलेश सिंह भी मौजूद थे. हिसुआ को सौ दिनों में ही बालश्रम मुक्त बनाया गया था. आज फिर से बिहार की सत्ता में लालू प्रसाद शामिल है. ऐसे में बिहार को बालश्रम मुक्त बनाने की योजना पर कोई पहल नहीं हो रही है.
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