मजहब का रास्ता अमन व शांति काईशदूत हजरत मोहम्मद की जीवनी व संदेशों पर हुई परिचर्चाफोटो प्रतिनिधि, हिसुआमजहब दिलों को जोड़ने के लिए है न की दिलों में नफरत व अदावत फैलाने के लिए. मजहब का रास्ता अमन व शांति का है. मजहब का इस्तेमाल राजनीति में न हो. यह बातें पटना से पहुंचे मौलाना साहित ए काजमी ने हिसुआ के फरान एकेडमी में शनिवार की रात कहीं. मौका ईशदूत हजरत मोहम्मद के जीवन व संदेशों पर परिचर्चा का था. उन्होंने कहा कि मजहब इंसान, घर-समाज, मंदिर, मसजिद, गुरुद्वारे व चर्च तक ही रहे इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. मजहब मुहब्बत व सौहार्द जगाने का रास्ता है. खुदा की बंदगी का रास्ता है, मुल्क बसाने का रास्ता है, अमन का रास्ता है न कि बस्तियां उजाड़ने व नफरत की आग भड़काने का. उन्होंने हजरत मोहम्मद की जीवन से यह प्रेरणा लेने की बात कही जिन्होंने सितम सह कर इंसानियत का पैगाम देने का काम किया. उन्होंने साफ कहा कि जो किसी मजहब को नहीं मानता उसे इंसानियत का दर्द नहीं होता. पटना के ही मौलाना रिजवान ए इसलाही ने कहा कि मोहम्मद की जीवनी में आदर्श है और उसे बार–बार पढ़ा जाना चाहिए. जीने के लिए किसी न किसी आदर्श की जरूरत होती है तो हम उस आदर्श को क्यों नहीं अपनाये जो इसलाम में ऊपर है. मंच संचालक निसार अहमद ने हजरत मोहम्मद की जीवनी से प्रेरणा लेकर सच्चा मुसलमान बनने व अमन, शांति का संदेश देने को कहा. मौके पर डॉ सगीर अहमद, सईद अनवर, अहसान अहमद, सईद आलम, महमूद आलम, मंसूर आलम, अरशद आलम, मसूद आलम, मेराज अहमद, मिथिलेश कुमार सिन्हा, प्रो मुन्नी लाल, जयनारायण प्रसाद आदि उपस्थित थे.
मजहब का रास्ता अमन व शांति का
मजहब का रास्ता अमन व शांति काईशदूत हजरत मोहम्मद की जीवनी व संदेशों पर हुई परिचर्चाफोटो प्रतिनिधि, हिसुआमजहब दिलों को जोड़ने के लिए है न की दिलों में नफरत व अदावत फैलाने के लिए. मजहब का रास्ता अमन व शांति का है. मजहब का इस्तेमाल राजनीति में न हो. यह बातें पटना से पहुंचे मौलाना […]
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