संतों का संग परम उपयोगीनरहट. आज हमारी संस्कृति का ह्रास हो रहा है़ हिंदुओं में आचार-विचार व संस्कार की कमी होती जा रही है़ आलस्यपन आ रहा है़ इसके कारण उन लोगों की दुर्दशा हो रही है़ यह बातें शुक्रवार को प्रवचन के दौरान बेरौटा में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में गुजरात से आये श्रीश्री 1008 महामंडलेश्वर राम भूषण दास वेदांती महराज ने कहीं. उन्होंने कहा कि हिंदू-मुसलमान सिख इसाई हम लोग सब एक साथ रहते थे़ हमारी संस्कृति एक है़ सिद्धांत एक है़ मानवता के नाते हम जो मानव है और हिंदुत्व अहिंसा परमोधर्म का रीढ़ है़ हिंदुत्व कोई संप्रदाय नहीं है़ भागवत में सभी को एक साथ रहने को बताया गया है़ हमारे कृष्ण का परम भक्त रसखान हुए है़ काले खां हुए है़ं उन लोगों ने भी कृष्ण की पूजा किया़ पूजा कर परम गति को प्राप्त किया़ कृष्ण साक्षात परमात्मा के रूप हैं. आज लोग इससे भटक रहें हैं. नामकरण जातकरण की जो संस्कारें थी वह भी नष्ट हो गयी है़ पहले लोग भगवान के नाम पर नाम रखते थे, लेकिन आज हम पाश्चात्य सभ्यता में एेसे पड़ गये हैं कि विदेशियों के नाम रखने लगे है़ं पप्पू मिंटू, सिंटू मम्मी-पापा कहना हमारे संस्कृति से अलग है़ इसका नकारात्मक भाव है़ इसका सकारात्मक क्रिया नहीं है़ हमारे भारतीय सभ्यता में संधिकरण की जो क्षमताएं थी नष्ट होती जा रही है़ इस लिए कलयुग में भागवत परम उपयोगी है़ संतों का सत्संग परम उपयोगी है़ प्रति दिन भागवत कथा प्रवचन कर रहे डाॅ राघवेंद्रचार्य जी महाराज उर्फ श्री लाल दास त्यागी जी महराज ने कहा की व्यक्ति को क्लेश को मिटाना है, तो भगवान का भजन करना पड़ेगा़ श्रीमन नारायण श्रीमन नारायण के जय घोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था.
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संतों का संग परम उपयोगी
संतों का संग परम उपयोगीनरहट. आज हमारी संस्कृति का ह्रास हो रहा है़ हिंदुओं में आचार-विचार व संस्कार की कमी होती जा रही है़ आलस्यपन आ रहा है़ इसके कारण उन लोगों की दुर्दशा हो रही है़ यह बातें शुक्रवार को प्रवचन के दौरान बेरौटा में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में गुजरात […]
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