धर्मरक्षार्थ होता है परमात्मा का अवतारफोटो-5 नरहट. जब-जब धर्म की हानि होती है, अधर्म का प्रभाव बढ़ता है़, तब-तब परमात्मा इस धरा धाम पर कभी राम कभी कृष्ण के रूप में अवतरित हो कर धर्म की स्थापना करते हैं. उक्त बातें सोमवार की शाम श्री वैष्णव सिद्ध पीठ ठाकुरबाड़ी में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ में पाचवें दिन श्री स्वामी रंगानाथाचार्य जी महराज ने प्रवचन के दौरान कही़ं श्री स्वामी जी ने कहा की व्यक्ति को इस संसार में आने के बाद उसे आचरण शिक्षा भगवान श्रीराम के चरित्रों से लेनी चाहिए़ जैसा भगवान ने माता-पिता का आदेश का पालन किया़ भाइयों के साथ व्यवहार किया व प्रजा का पालन किया़ यह मानव मात्र के लिए अनुकरणीय है़ रावण आदि राक्षसी प्रवृत्ति वालों का आचरण है. वह कल्याणप्रद नही है़ स्वामी जी ने महाराज ने कृष्ण जन्म का प्रसंग में कहा कि श्री रामचंद्र जी ने जो किया है. मनुष्य को वे करना चाहिए और कृष्ण ने कहा है वह करना चाहिए़ कृष्ण द्वारा अर्जुन के प्रति दिया गया गीता का उपदेश है. यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए कर्तब्य है़ भगवान नारायण भक्तों के लिए जब जैसी आवश्यकता होती है़ तब उस प्रकार के रूप को धारण कर भक्तों के लिए प्रकट हो जाते हैं. उसके लिए भगवान अपने मान सम्मान का कोई ख्याल नही रखते़ भगवान भक्तों का ही मान सम्मान को देखते है़ इस मौके पर श्री कृष्ण जन्म उत्सव की झाकी निकाली गयी. श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड उमड़ रही है़ कथा के अंतिम दिन बुधवार को श्रीराम जानकी विवाह महोत्सव मनाया जायेगा़ प्रवचन व भजन से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है़
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धर्मरक्षार्थ होता है परमात्मा का अवतार
धर्मरक्षार्थ होता है परमात्मा का अवतारफोटो-5 नरहट. जब-जब धर्म की हानि होती है, अधर्म का प्रभाव बढ़ता है़, तब-तब परमात्मा इस धरा धाम पर कभी राम कभी कृष्ण के रूप में अवतरित हो कर धर्म की स्थापना करते हैं. उक्त बातें सोमवार की शाम श्री वैष्णव सिद्ध पीठ ठाकुरबाड़ी में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ में […]
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