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मट्टिी के दीये की जगह सतरंगी बल्ब

मिट्टी के दीये की जगह सतरंगी बल्ब काशीचक. दीपावली त्योहार को लेकर बाजार में मिट्टी के दीये व लक्ष्मी गणेश की मूर्ति की दुकानें सज गयी है़ दीपावली को लेकर लोग घरों के रंग रोगन व साफ-सफाई कर रहे है़ं दुकानदार अर्जुन लाल ने बताया कि आज के आधुनिकता के दौर में मिट्टी के दीये […]

मिट्टी के दीये की जगह सतरंगी बल्ब काशीचक. दीपावली त्योहार को लेकर बाजार में मिट्टी के दीये व लक्ष्मी गणेश की मूर्ति की दुकानें सज गयी है़ दीपावली को लेकर लोग घरों के रंग रोगन व साफ-सफाई कर रहे है़ं दुकानदार अर्जुन लाल ने बताया कि आज के आधुनिकता के दौर में मिट्टी के दीये की जगह इलेक्ट्रॉनिक बल्ब ने ले लिया है़ ऐसे तो मिट्टी से दिये बनाने वाले कुम्हार ने भी विलुप्त पुरानी प्रथा को समाप्त होते देख अपना करोबार समेट दिये है़ ग्रामीण महिला सविता देवी की माने, तो हमारे जमाने में मिट्टी के दीये और तिसी के तेल या गाय के घी से दिया जलाकर देवी देवताओं की पूजा की जाती थी. इससे प्रदूषण से बचाव होता था. आज मिट्टी के दीये केवल धार्मिक कार्य जैसे देवी पूजा तक ही सिमट कर रह गया है़ आज के दौर में इसका जगह इलेक्ट्रॉनिक बल्ब ने ले लिया है़ हालांकि, मिट्टी के दीये की लागत कम पड़ती थी़ लेकिन, तिसी का तेल व घी महंगा होने व नये युवा व युवतियों में बल्ब के प्रति झुकाव ने मिट्टी के दीये का महत्व को समाप्त कर दिया है़

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