नवादा : गुरुवार को विश्व जनसंख्या दिवस पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई प्रकार का जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. सदर अस्पताल परिसर में इस मौके पर परिवार विकास मेले का आयोजन किया गया. इसकी शुरुआत जिला सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ प्रसाद ने की.
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छोटे परिवार में हैं खुशियां अपार : डॉ श्रीनाथ प्रसाद
नवादा : गुरुवार को विश्व जनसंख्या दिवस पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई प्रकार का जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. सदर अस्पताल परिसर में इस मौके पर परिवार विकास मेले का आयोजन किया गया. इसकी शुरुआत जिला सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ प्रसाद ने की. मेले के माध्यम से नियोजित परिवार के दूरगामी लाभ व परिवार नियोजन […]
मेले के माध्यम से नियोजित परिवार के दूरगामी लाभ व परिवार नियोजन के उपायों के बारे में जानकारी दी गयी. साथ ही दंपतियों में परिवार नियोजन के अस्थायी साधन जैसे कंडोम व गर्भनिरोधक गोलियों का वितरण निःशुल्क किया गया. मौके पर सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ प्रसाद ने कहा कि सीमित परिवार हर मायने में खुशहाली का प्रतीक होता है.
छोटे परिवार में ही बच्चों की बेहतर परवरिश संभव होती है और उन्हें जरूरी संसाधन उपलब्ध हो पाता है. इसलिए विश्व जनसंख्या दिवस के माध्यम से आमलोगों को नियोजित परिवार के विषय में संकल्पित होने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि आज से परिवार विकास पखवारे का शुभारंभ हुआ है, जो 24 जुलाई तक चलाया जायेगा. इस दौरान जिला स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर तक विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम चलाया जायेगा.
उन्होंने खुशहाल परिवार का मंत्र बताते हुए कहा कि स्वस्थ परिवार के लिए भी परिवार नियोजन के उपाय कारगर हैं. इसके लिए परिवार नियोजन की किसी भी विधि को अपनाया जा सकता है, जो सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है. स्वस्थ जच्चा एवं बच्चा के लिए लड़की की शादी 18 साल बाद एवं लड़के की शादी 21 वर्ष के बाद ही करनी चाहिए व 20 साल के बाद ही महिला द्वारा गर्भधारण सुरक्षित होता है.
परिवार नियोजन के साधनों की दी गयी जानकारी : परिवार विकास मेले में विभिन्न काउंटर लगा कर परिवार नियोजन के स्थायी साधनों को अपनाने के लिए इच्छुक दंपतियों का पंजीयन भी किया गया. 11 से 24 जुलाई तक चलने वाले परिवार विकास मेला पखवारा में जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा प्रखंडवार टारगेट तय किया गया है. कुल मिला कर 3895 महिलाओं को
विभिन्न गर्भनिरोधक दवाओं आदि का इस्तेमाल करने का लक्ष्य बनाया गया है.
प्रसव व गर्भपात के बाद गर्भधारण की संभावना : परिवार विकास मेला में प्रसव एवं गर्भपात के बाद गर्भधारण की संभावना पर जानकारी दी गयी. इसमें पुरुषों की भी जांच की गयी व नसबंदी संबंधित जानकारी दी गयी . केवल स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए प्रसव के छह महीने बाद से, केवल स्तनपान नहीं कराने वाली महिलाओं के लिए प्रसव के छह हफ्ते बाद से, स्तनपान नहीं कराने वाली महिलाओं के लिए प्रसव के चार हफ्ते बाद से एवं जिन महिलाओं का गर्भपात हुआ है उनके लिए गर्भपात के 10 दिन बाद से गर्भधारण की संभावना होती है.
जनसंख्या नियंत्रण पर लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत :
नारदीगंज. बाजार स्थित महादलित टोले में गुरुवार को विश्व जनसंख्या दिवस पर बैठक आयोजित की गयी. इसकी अध्यक्षता सरपंच प्रवेश रविदास ने की. इस मौके पर विश्व में बढ़ती जनसंख्या पर चर्चा करते हुए सरपंच ने कहा कि विश्व में आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है, जो देश व समाज के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. बढ़ती आबादी के कारण विकास कार्य भी प्रभावित हो रहा है. मानव जाति के लिए रोटी, कपड़ा, मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होना भी मुश्किल हो रहा है. गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, चिकित्सा आदि की समस्याएं भी बढती जा रही हैं.
जनसंख्या नियंत्रण पर सरकार के साथ-साथ आमलोगों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है. मौके पर राजो रविदास, मानो देवी, कारी देवी, विनोद रविदास, वासो मांझी समेत अन्य महिला व पुरुष मौजूद रहे.
परिवार नियोजन के उपायों को जानें
मेले के माध्यम से परिवार नियोजन के कई उपायों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गयी. महिला बंध्याकरण एक स्थायी साधन है, जिसे मात्र 15 मिनट में दक्ष चिकित्सक द्वारा किया जाता है. या विधि प्रसव/ गर्भपात के सात दिनों के अंदर या छह सप्ताह बाद अपनाया जा सकता है.
पुरुष नसबंदी भी एक स्थायी साधन है, जिसे मात्र 10 मिनट में दक्ष चिकित्सक द्वारा बिना चिड़-फाड़ के किया जाता है. इसमें एक घंटा बाद लाभार्थी की छुट्टी भी हो जाती है. यह विधि कभी भी अपनायी जा सकती है व इससे किसी भी प्रकार की कमजोरी नहीं होती है. कॉपर-टी एक अस्थायी विधि है, जिससे बच्चों के जन्म में अंतर रखा जा सकता है.
कॉपर- टी विधि 10 व पांच वर्षों के लिए अपनायी जा सकती है. कॉपर-टी निकलवाने के बाद प्रजनन क्षमता तुरंत वापस आ जाती है. गर्भनिरोधक गोली माला-एन एक सुरक्षित हार्मोनल गोली है, जिसे महिला को एक गोली प्रतिदिन लेनी होती है. माहवारी शुरू होने के पांचवें दिन से गोली की शुरुआत करनी चाहिए. स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रसव के छह माह तक इस गोली का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अंतरा एवं छाया दोनों परिवार नियोजन के नवीन अस्थायी विधियां हैं. अंतरा एक सूई है, जो तीन माह तक प्रभावी रहता है. लंबे समय तक सुरक्षा के लिए हर तीन महीने में सुई लगवानी होती है. जबकि छाया एक गोली है, जिसे सप्ताह में एक बार तीन महीने तक, फिर सप्ताह में केवल एक बार जब तक बच्चा न चाहें.
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