अकबरपुर : मौसम की मार किसानों पर ऐसी पड़ी कि अब फसल के साथ-साथ किसानों के चेहरे भी सूखने लगे हैं. एक, तो अनुमान से कम बारिश हुई, उस पर से सरकारी नलकूप भी खराब पड़े हैं. फसल अच्छी होने की उम्मीद लगाये किसान अब कर्ज चुकाने की चिंता में डूबे हैं. फतेहपुर के किसान नवल किशोर प्रसाद ने बताया कि सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने पर खेत में लगी धान की फसल को ट्रैक्टर से जुतवा दिया. यह स्थिति केवल फतेहपुर की ही नहीं बल्कि पूरे प्रखंड की हो गयी है
. यहां खेत सूखे हैं. उनमें दरारें पड़ गयी हैं. ऐसा जैसे अप्रैल का महीना हो. अधिकतर किसान, तो रोपनी ही नहीं कर पाये थे. जिन्होंने किसी तरह धनरोपनी की भी, तो उनकी धान की फसल जल रही है. जुलाई तक थोड़ी-बहुत बारिश होती रही, तो वह अगस्त में बारिश होने की आस लगाये बैठे थे. लेकिन, सर्वाधिक बारिशवाले इस माह में प्रखंड में औसतन 17 फीसदी ही वर्षा हुई. सामान्य तौर पर 292 मिलीमीटर वर्षा होनी चाहिए थी, जबकि अब तक सिर्फ 50 मिमी बारिश हुई है. किसान अब मायूस हो चुके हैं. प्रखंड में भयंकर सूखा है, लेकिन सरकारीस्तर पर भी अब तक सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. किसानों का कहना है कि पानी के अभाव में धान के पौधों में कल्ला नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में यदि बाद में वह फसल बचा भी लेंगे, तो उत्पादन आंशिक ही होगा.
कम वर्षा होने से खरीफ व सब्जी की फसल सूख रही है. प्रखंड में ज्यादा संख्या में किसान लाभ के लिए सब्जी की खेती करते हैं. लेकिन, पानी के अभाव में खेतों में लगी गोभी, मूली, साग, कद्दू, करैला, मिर्च समेत धान, मकई, मडुआ की फसलें सूख रही हैं. नोनाई गांव के किसान श्याम सुंदर सिंह ने बताया कि एक एकड़ में गोभी की खेती की थी. वर्षा नहीं होने से गोभी की फसल सूख रही है. इसी प्रकार कुलना गांव के सोनू कुमार ने तीन एकड़ में लगाये करैले की फसल के सूखने तथा बरेब गांव के तपेश सिंह ने डेढ़ कट्ठा में मूली, गोभी बैगन की फसल पानी के अभाव में बेकार होने की बात कही है. पचरूखी गांव के रौशन कुमार ने बताया कि आठ कट्ठे जमीन में गोभी लगाने में 8000 रुपये खर्च हुए थे.