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उद्यान महाविद्यालय नूरसराय में नीरा आधारित कार्यशाला का आयोजन

बिहारशरीफ : ताड़ के वृक्ष के सभी उत्पाद बेहद महत्वपूर्ण है. लोगों के बीच जानकारी फैला कर रोजगार के साधन उत्पन्न करने के साथ-साथ पौष्टिक पदार्थों की भी प्राप्ति की जा सकती है. उक्त बातें सांसद श्री कौशलेंद्र कुमार ने उद्यान महाविद्यालय नूरसराय में ताड़ आधारित उत्पाद प्रशिक्षण के अवसर पर कही. उन्होंने कहा कि […]

बिहारशरीफ : ताड़ के वृक्ष के सभी उत्पाद बेहद महत्वपूर्ण है. लोगों के बीच जानकारी फैला कर रोजगार के साधन उत्पन्न करने के साथ-साथ पौष्टिक पदार्थों की भी प्राप्ति की जा सकती है. उक्त बातें सांसद श्री कौशलेंद्र कुमार ने उद्यान महाविद्यालय नूरसराय में ताड़ आधारित उत्पाद प्रशिक्षण के अवसर पर कही. उन्होंने कहा कि ताड़ का रस अपने मूल रूप में फायदेमंद होता है. इसे नीरा कहते हैं. पर जब इसमें फरमेंटेशन हो जाता है तो एक तरफ तो यह नशीला बन जाता है, दूसरी तरफ यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो जाता है. सांसद ने कहा कि लोगों के बीच जागरूकता फैला कर नीरा के उत्पादन तथा बिक्री की जानकारी देनी आवश्यक है.

इसके साथ ही ताड़ के फल तथा उसके अन्य अंगों से बनने वाले उत्पाद की जानकारी देकर इसे काफी उपयोगी बनाया जा सकता है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी डॉ. त्याग राजन एसएम ने कहा कि पूरे राज्य में 92 लाख ताड़ एवं 65 लाख खजूर के पेड़ है. यहां ताड़ के प्रजाति के पौधों से विभिन्न उत्पाद के बनाने एवं उसके उपयोग की संभावना काफी अधिक है. जिला पदाधिकारी ने कहा कि नालंदा जिला में आठ लाख ताड़ के पौधे हैं.
इससे लोगों के लिए रोजगार की नई संभावना उत्पन्न की जा रही है. जिलाधिकारी ने कहा कि वैज्ञानिक रिसर्च से यह सिद्ध हो चुका है कि नीरा काफी पौष्टिक है. इसमें नशा नहीं होता तथा यह हॉर्लिक्स या बॉर्नविटा से ज्यादा उपयोगी है. उन्होंने कहा कि नीरा एवं ताड़ के अन्य उत्पादों पर आधारित यह राज्य में की जानी वाली पहली ट्रेनिंग है. उन्होंने इस ट्रेनिंग को पंचायत स्तर पर ले जाने का अनुरोध वैज्ञानिकों से किया. जिलाधिकारी ने कहा कि अगले साल सीजर शुरू होने से पहले ही नीरा का प्लांट बन कर तैयार हो जायेगा. यह सुधा डेयरी के बगल में बनेगा. कम्फेड ही नीरा उत्पादों के निर्माण संग्रहण एवं बिक्री की व्यवस्था करेगा.
उन्होंने कम्फेड, जीविका, वैज्ञानिकों तथा उद्यान महाविद्यालय को संयुक्त रूप से इस दिशा में गांव-गांव तक कार्यक्रम आयोजित करने को कहा. जिलाधिकारी ने कहा कि ताड़ के उत्पादों पर आधारित यह ट्रेनिंग सिर्फ नशा से दूर करने में ही प्रभावी नहीं होगा, बल्कि इससे रोजगार के नये अवसर बनेंगे तथा इस पेशे से जुड़े लोगों का आर्थिक विकास होगा.
उन्होंने कहा कि ताड़ के पेड़ के उत्पादों से अभी एक वर्ष में जितनी आमदनी होती है, अगर वैज्ञानिक विधियों एवं तकनीक का प्रयोग किया जाय यह आमदनी 10 गुनी बढ़ जायेगी. कार्यक्रम का उद्घाटन सांसद कौशलेंद्र कुमार ने किया. कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय सबौर के विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. एमए आफताब, डॉ. प्रेम प्रकाश, डॉ. वसीम सिद्दीकी तथा प्राचार्य डॉ. पंचम कुमार सिंह ने भी प्रतिभागियों को ताड़ के उत्पाद एवं उसके मूल्य संवर्धन के तरीकों की जानकारी दी. जिलाधिकारी डॉ. त्याग राजन एसएम ने इस अवसर पर ताड़ के वृक्ष एवं उसके उत्पाद तथा ताड़ के मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाने की विधि नामक दो पुस्तिकाओं का विवेचन भी किया. इस अवसर पर कंफेड के डॉ. ए.के. सिंह, कृषि वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार जीविका के सदस्य एवं ताड़ के उत्पाद पर आधारित व्यवसाय से संबंधित लोग उपस्थित थे.

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