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व्हाट्स एप व फेसबुक के जरिये नि:शक्तों की सहायता

दिव्यांगों के जीवन में भर रहा खुशियां इस अभियान में पटना की संस्था कर रही मदद अब तक तीन दिव्यांगों को दिलवाया है कृत्रिम अंग विकलांग मुक्त भारत का है सपना बिहारशरीफ : जिले के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र मानपुर थाना क्षेत्र के तेतरावां गांव निवासी प्रकाश कुमार ने दिव्यांगों की संवा करने का व्रत लिया […]

दिव्यांगों के जीवन में भर रहा खुशियां

इस अभियान में पटना की संस्था कर रही मदद
अब तक तीन दिव्यांगों को दिलवाया है कृत्रिम अंग
विकलांग मुक्त भारत का है सपना
बिहारशरीफ : जिले के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र मानपुर थाना क्षेत्र के तेतरावां गांव निवासी प्रकाश कुमार ने दिव्यांगों की संवा करने का व्रत लिया है. गिरियक बाजार में छोटा -मोटा काम करने वाले 25 वर्षीय प्रकाश व्हाट्स एप एवं फेसबुक पेज पर दिव्यांग लोगों से संपर्क करता है और उन्हें मुफ्त कृत्रिम अंग लगवाने की व्यवस्था करता है.
अब तक प्रकाश ने तीन दिव्यांगों को कृत्रिम अंग लगवा चुका है. प्रकाश को दिव्यांगों की सेवा करने की प्रेरणा झारखंड के अंकित से फेसबुक पर एकाउंट खोल रखे हैं. वह व्हाट्स एप एवं फेसबुक के अपने दोस्तों से चैट करते समय आस पास के दिव्यांगों की जानकारी प्राप्त करता है. मिली इस जानकारी के आधार पर प्रकाश उस दिव्यांग से संपर्क करता है और जरूरी सुविधाओं की जानकारी उन्हें देकर उसे पटना भेजने की व्यवस्था करता है.
पटना में प्रकाश के साथ भूतनाथ रोड स्थित टीसीआई जयपुयिार फुट सेंटर पहुंचाते हैं. वहां पर केंद्र के संचालक हरपाल सिंह राठौर व अन्य उस दिव्यांग को कृत्रिम अंग बना कर दे देते हैं.
इस आने जाने व खाने का सारा खर्च प्रकाश व उसकी संस्था द्वारा वहन किया जाता है. सिर्फ व्हाट्स एप और फेसबुक के दोस्तों के सहारे ही प्रकाश इस कार्य को अंजाम नहीं देते हैं. बल्कि राह चलते किसी दिव्यांग पर नजर पड़ते ही उसकी मदद के लिए प्रकाश आगे आता है. अंकित अब तक तीन दिव्यांगों को कृत्रिम अंग बिल्कुल मुफ्त दिलवा चुका है.
नवादा के सूरज, बेगुसराय के गणेश व जहानाबाद का के कुमार इसमें शामिल हैं. दिव्यांग सूरज कुमार बताते हैं कि कुछ वर्ष पूर्व एक हादसे में उसका पैर कट गया था. तब से दिव्यांग का जीवन यापन वैशाखी के सहारे चल रहा था.
कुछ दिन पहले मेरी मुलाकात प्रकाश से पावापुरी में हुई. सूरज बताता है कि आज वह कृत्रिम पैर के सहारे सामान्य जीवन जी रहा हूं. इधर प्रकाश बताते हैं कि आठ माह पहले मैं इस विकलांगमुक्त भारत मुहिम से जुड़े हैं. पहले लोग मुझे पागल कहते थे. मगर आज विकलांगमुक्त भारत के मेरे सपने को व्हाट्स एप एवं फेसबुक के मित्र पूरा करने में सहयोग कर रहे हैं. मैंने जगह-जगह बैनर लगाये हैं, जिससे कि दिव्यांगों तक पहुंच बनाने में मदद मिले.

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