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नालंदा विवि : सहभागी देशों से तीन वर्षों से अंशदान नहीं

नयी दिल्ली : नालंदा विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए भारत, चीन, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, लाओस जैसे देशों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये थे, लेकिन पिछले तीन वर्षों में भारत के अलावा किसी अन्य देश ने कोई योगदान नहीं दिया. विदेश मंत्रालय ने संसद की एक समिति को यह जानकारी दी. समिति ने कहा […]

नयी दिल्ली : नालंदा विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए भारत, चीन, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, लाओस जैसे देशों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये थे, लेकिन पिछले तीन वर्षों में भारत के अलावा किसी अन्य देश ने कोई योगदान नहीं दिया. विदेश मंत्रालय ने संसद की एक समिति को यह जानकारी दी. समिति ने कहा है कि मंत्रालय को इस कार्य में सहायता के लिए अन्य सहभागी देशों से अंशदान प्राप्त करने की संभावनाएं तलाशनी चाहिए.
संसद में हाल ही में पेश विदेश मंत्रालय की अनुदान की मांगों पर विचार संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, भारत द्वारा योगदान की आखिरी किस्त जुलाई, 2019 में जारी की गयी थी. अगस्त, 2016 के बाद से किसी अन्य देश से कोई योगदान नहीं मिला. रिपोर्ट में ‘नालंदा विश्वविद्यालय’ शीर्षक के तहत यह ब्योरा दिया गया है.
विदेश मंत्रालय ने संसद की समिति को बताया कि सिंगापुर ने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय के निर्माण के लिए 50 लाख से एक करोड़ डॉलर का योगदान देने का वादा किया था लेकिन अब तक कोई भुगतान नहीं मिला है. इसमें कहा गया है, ‘‘चूंकि भारत के अलावा अन्य देशों से नालंदा विश्वविद्यालय के संचालन और पूंजीगत लागत में योगदान स्वैच्छिक प्रकृति का है और पिछले तीन वर्षों के दौरान अन्य देशों से कोई योगदान प्राप्त नहीं हुआ है. इसलिए अन्य देशों से प्राप्त होने वाले योगदान की गुंजाइश सीमित है.”
रिपोर्ट के अनुसार, नालंदा विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए भारत, चीन, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, लाओस जैसे देशों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये थे. भारत ने इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए 684.74 करोड़ रुपये का योगदान दिया. चीन ने 10 लाख डाॅलर का योगदान दिया, जबकि आॅस्ट्रेलिया ने 10 लाख डाॅलर, थाईलैंड ने 1.32 लाख डॉलर और लाओस ने 50,000 डाॅलर का योगदान दिया.
समिति ने कहा कि नालंदा विवि के लिए 2018-19 के बजट में 200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जिसे संशोधित चरण पर घटाकर 190 करोड़ रुपये कर दिया गया. 2019-20 के बजट में आवंटन 220 करोड़ रुपये था. समिति ने कहा कि मंत्रालय का यह अनुमान है कि इस परियोजना पर खर्च 400 करोड़ रुपया होगा, लेकिन 220 करोड़ रुपये का आवंटन जानबूझकर किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति को यह बताया गया कि इस विवि का वास्तविक निर्माण कार्य मई, 2017 में शुरू हुआ.
इसका निर्माण कार्य 2021-22 तक पूरा होने का अनुमान है. लेकिन, मंत्रालय ने परियोजना को पूरा करने में लागत वृद्धि के बारे में कोई अनुमान नहीं लगाया है. समिति ने कहा, नालंदा विवि बौद्धिक, दार्शनिक व ऐतिहासिक अध्ययन करने के लिए उत्कृष्ट संस्था है और उसे पूरा करने में विलंब अत्यधिक निंदनीय है. समिति ने कहा कि मंत्रालय को इस कार्य में सहायता के लिए अन्य सहभागी देशों से अंशदान प्राप्त करने की संभावनाएं तलाशनी चाहिए.
अब तक मिला योगदान
भारत 684.74 करोड़ रुपये
चीन 10 लाख डाॅलर
आॅस्ट्रेलिया 10 लाख डाॅलर
थाईलैंड 1.32 लाख डॉलर
लाओस 50 हजार डाॅलर

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