हिलसा (नालंदा) : अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अनिल कुमार ने एक अनुसूचित जाति की महिला की जमीन की मापी नहीं कराने के मामले में हिलसा के अंचल अधिकारी अखिलेश प्रसाद शर्मा को दोषी करार देते हुए अर्थदंड की अनुशंसा की है.
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जमीन मापी नहीं कराने में हिलसा सीओ पाये गये दोषी, अर्थदंड की हुई अनुशंसा
हिलसा (नालंदा) : अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अनिल कुमार ने एक अनुसूचित जाति की महिला की जमीन की मापी नहीं कराने के मामले में हिलसा के अंचल अधिकारी अखिलेश प्रसाद शर्मा को दोषी करार देते हुए अर्थदंड की अनुशंसा की है. सूत्रों के अनुसार 24 जून, 2019 को दामोदरपुर सराय मानपुर की धर्मशीला देवी […]
सूत्रों के अनुसार 24 जून, 2019 को दामोदरपुर सराय मानपुर की धर्मशीला देवी ने अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के न्यायालय में हिलसा के अंचल अधिकारी अखिलेश प्रसाद शर्मा के विरुद्ध परिवाद दायर कराया था, जिसमें आरोप लगाया था कि उन्होंने हिलसा अंचल अधिकारी के पास अपनी जमीन की मापी के लिए आवेदन दिया था.
नौ दिसंबर, 2018 को मापी कराने का शुल्क 1950 रुपये जमा किया था. लेकिन, उक्त तिथि से वह लगातार अंचल अधिकारी से मिलकर जमीन की मापी के लिए अनुरोध करती रही, पर टालमटोल किया जाता रहा. इस मामले में अनुमंडलीय लोक निवारण पदाधिकारी अनिल कुमार ने सुनवाई करते हुए पाया कि जमीन की मापी के लिए शुल्क जमा किये जाने के आठ महीने के बाद भी हिलसा के अंचल अधिकारी ने परिवादी की जमीन की मापी नहीं करायी और उन्हें परेशान किया.
इससे स्पष्ट होता है कि हिलसा के अंचल अधिकारी अखिलेश प्रसाद शर्मा ने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम 2015 के प्रति संवेदनशील नहीं हैं, न ही परिवाद के निवारण में उनकी कोई अभिरुचि है. उनका यह कृत्य कार्य के प्रति लापरवाही, आदेश की अवहेलना एवं स्वेच्छाचारिता का द्योतक है.
इसलिए अंचल अधिकारी हिलसा के इस कृत्य के विरुद्ध आर्थिक दंड आधितरोपित करने की अनुशंसा के साथ वाद की कार्रवाई बंद की जाती है. परिवादी लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी नालंदा के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं. परिवादी धर्मशीला देवी को राज्य सरकार ने सीलिंग एक्ट के तहत प्राप्त की गयी जमीन में से 50 डिसमिल जमीन का बासगीत पर्चा दिया था.
धर्मशीला देवी के नाम से बंदोबस्त की गयी जमीन का हिलसा अंचल कार्यालय में जमाबंदी कायम है और वह राजस्व लगान भी दे रही है. उसके जमीन को असामाजिक तत्वों द्वारा जबर्दस्ती दखल कब्जा कर लिया गया था, जिसके संदर्भ में कई बार मारपीट की घटनाएं दोनों पक्षों के बीच हो चुकी है और अब तक संबंधित थानों में तीन प्राथमिकियां दर्ज हो चुकी हैं, जिसका विचारण अनुसूचित जाति, जनजाति न्यायालय बिहारशरीफ में चल रहा है.
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