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घर में सिलिंडर है पर मिट्टी के चूल्हे पर बन रहा खाना

पैसों की कमी के कारण गरीब परिवार नहीं कर रहा गैस का उपयोग जिले के 60 हजार से अधिक परिवारों को मिला था योजना का लाभ गैस एजेंसी की गाड़ी दौड़ रही गांव में, नहीं मिल रहा सिलिंडर लेनेवाला बिहारशरीफ : उज्ज्वला योजना के तहत जिले के करीब 60 हजार से ज्यादा परिवारों को मुफ्त […]

पैसों की कमी के कारण गरीब परिवार नहीं कर रहा गैस का उपयोग

जिले के 60 हजार से अधिक परिवारों को मिला था योजना का लाभ
गैस एजेंसी की गाड़ी दौड़ रही गांव में, नहीं मिल रहा सिलिंडर लेनेवाला
बिहारशरीफ : उज्ज्वला योजना के तहत जिले के करीब 60 हजार से ज्यादा परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन के साथ भरा हुआ गैस सिलिंडर व चूल्हे उपलब्ध कराये गये थे. योजना का उद्देश्य गरीब परिवारों को खाना के दौरान धुएं से बचाना था. मगर इस योजना का लाभ गरीबी के कारण लोग नहीं उठा पा रहे हैं. पहली बार जब परिवारों को मुफ्त में सिलिंडर मिला है, उसके बाद से लोग उसका रिफिलिंग नहीं करा पा रहे हैं. गैस एजेंसी की गाड़ियां भरे हुए गैस सिलिंडर लेकर घूम रही हैं. लेकिन,
उसे लेने वाला कोई नहीं है. इसकी जब पड़ताल की गयी तो अधिकतर परिवारों ने पैसों की कमी का हवाला दिया. लोगों ने बताया कि गैस सिलिंडर महंगा होने और ईंधन का विकल्प मौजूद होने के वजह से खाना बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. यह स्थिति ग्रामीण क्षेत्र के केवल गरीब परिवारों की नहीं है, ग्रामीण क्षेत्र के संपन्न परिवारों की भी यही स्थिति है. लोगों ने बताया कि गैस सिलिंडर में करीब 850 रुपये लगते हैं, इतना पैसा कहां से लाएं. उनके पास इतना पैसा ही होता तो पैसा लगाकर गैस कनेक्शन ले लेते और गैस सिलिंडर भी भरवाते रहते. फसल के अवशेष गोइठा और लकड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाता है, ऐसे में महंगे गैस सिलिंडर का उपयोग करने की हिम्मत कैसे करें.
अप्रैल से उज्ज्वला टू की होनी है शुरुआत
बचे बीपीएल परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने के लिए अप्रैल माह से उज्ज्वला योजना टू की शुरुआत होनी है. पहले चरण में बहुत से गरीब परिवार इस योजना के लाभ से वंचित रह गये थे. ऐसे लोगों को भी इसका लाभ देने की व्यवस्था की गयी है.
10% बीपीएल परिवार ही कर रहा है उपयोग
जिन गांवों में संपन्न परिवारों की संख्या ज्यादा है, वैसे गांवों के गरीब परिवार भी देखा-देखी एलपीजी गैस का इस्तेमाल खाना बनाने में कर रहे हैं. गरीब के मोहल्ले व गांवों में इसका इस्तेमाल न के बराबर हो रहा है. दलित व महादलित टोले के लोग तो उज्ज्वला योजना का लाभ लिये हैं, मगर उनका परिवार रोजी-रोटी के लिए पलायन कर गये हैं.
सदर के किशुनपुर एक ऐसा गांव है, जहां के करीब 80 परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन मिला है. इस गांव के अधिकांश परिवार ईंट-भट्ठा पर कार्य करने के लिए बाहर चले गये हैं. जो परिवार हैं यहां हैं. उनके गैस पासबुक में दोबारा गैस की इंट्री नहीं हुई और पासबुक सादे पड़े हुए हैं. मुफ्त एलपीजी लेने वाले परिवारों के गांवों में गैस एजेंसी की गाड़ियां हरेक 15 दिन पर चक्कर लगाती रहती है, मगर कोई गैस लेने वाला नहीं है. गैस एजेंसी प्राप्त जानकारी के अनुसार मात्र 10 फीसदी परिवार ही रसोई गैस का प्रयोग खाना बनाने के लिए कर रही है.
क्या कहती हैं महिलाएं
उज्ज्वला योजना का लाभ तो मिला है, मगर अब गैस सिलिंडर भरवाने के लिए पैसे नहीं हैं. हमलोगों की गैस एजेंसी बिहारशरीफ है. गांव में होम डिलिवरी की सुविधा नहीं है, बिहारशरीफ आने-जाने और सिलिंडर भरवाने का पैसा कहां से लाऊं.
चुनूर देवी, गृहिणी, जोरारपुर गांव, हरनौत
गरीब परिवार के लिए यह योजना लायी तो गयी है, लाभुक परिवार गैस सिलिंडर कहां से भरवाएं, पैसा कहां से लाएं . मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया था तो रियायती दर पर गैस सिलिंडर देने की भी व्यवस्था करनी चाहिए थी.
तेतरी देवी, गृहिणी, जोरारपुर, हरनौत
गांव के कुछ परिवारों को मुफ्त एलपीजी का कनेक्शन मिला है, लेकिन अभी 30-40 परिवार ऐसे हैं जिन्हें यह लाभ नहीं मिला है. वंचित लोगों को भी मुफ्त एलपीजी का कनेक्शन मिलना चाहिए. ऐसे में असहाय महसूस कर रहे हैं.
गंगा देवी, जोरारपुर, हरनौत

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