21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मोरा तालाब के निर्मित जूते की मांग बढ़ी

बिहारशरीफ : जूता-चप्पल और सैंडिल निर्माण में आज ब्रांडेड कंपनियों का दबदबा है. इनके निर्माण व बिक्री से जुड़े अधिकांश बाजारों पर ब्रांडेड कंपनियों का ही कब्जा है. इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर एनएच 31 पर स्थित रहुई प्रखंड का मोरा तालाब इन दिनों जूता-चप्पल के बिक्रेताओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां […]

बिहारशरीफ : जूता-चप्पल और सैंडिल निर्माण में आज ब्रांडेड कंपनियों का दबदबा है. इनके निर्माण व बिक्री से जुड़े अधिकांश बाजारों पर ब्रांडेड कंपनियों का ही कब्जा है. इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर एनएच 31 पर स्थित रहुई प्रखंड का मोरा तालाब इन दिनों जूता-चप्पल के बिक्रेताओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
यहां तैयार होने वाले जूते-चप्पल व सैंडिल ब्रांडेड कंपनियों को भी मात दे रहे हैं. कम कीमत और मजबूती के कारण मोरा तालाब के बने जूते-चप्पल अपनी विशेष पहचान बनाये हुए हैं. यहां के बने उत्पाद सभी वर्ग के लोगों को बेहद पसंद आते हैं. यहीं वजह है कि यहां के जूत-चप्पल व अन्य सामग्री की बाजार में मांग बरकार है.मोरा तालाब के जूता-चप्पल निर्माण से जुड़े कारीगरों ने अपने इस परंपरागत धंधे में अपनी खास पहचान बना ली है. यहां वर्षों से जूता-चप्पल का निर्माण किया जा रहा है.
समय बीतने के साथ ही इन कारीगरों के कारोबार में तेजी आती जा रही है. जूते-चप्पल व सैंडिल के अलावा अब यहां के करीगर हाथियों के लिए भी जूते बनाने लगे हैं. जूता-चप्पल निर्माण के मामले में मोरा तालाब नालंदा में पहले स्थान पर है. मशीनीकरण के इस युग में यहां आज भी हाथ से ही मजबूत जूते-चप्पल तैयार किये जा रहे हैं. कारीगरों ने अपने बढ़ते कारोबार को देखते हुए छोटी मशीनों का प्रयोग करना शुरू कर दिया है.
कई जिलों में हैं यहां के बने जूते की मांग:यहां से तैयार जूते-चप्पल और सैंडिल की डिमांड आस पास के जिलों में काफी है. स्थानीय स्तर पर डिमांड के अलावा पटना के कच्ची दरगाह, बंकाघाट, शेखपुरा जिला से काफी है. जिले में बिहारशरीफ शहर के अलावा बिंद, करायपरसुराय, नवादा जिला से भी काफी डिमांड हैं. इन जिलों से ढेर सारे जूते-चप्पल निर्माण का ऑर्डर मोरा तालाब के कारीगरों को मिला है. इन ऑर्डरों के आधार पर समय पर तैयार जूते-चप्पल उपलब्ध कराने के लिए कारीगर दिन-रात मेहनत करने में जुटे हैं. ढेर सारे कट शू, चप्पल व सैंडिल तैयार किये जा रहे हैं.
जूता-चप्पल निर्माण से जुड़े अनिरुद्ध कुमार, कमलेश दास व सुरेश दास बताते हैं कि अभी उनका पिक टाइम है. दशहरा पूजा तक जूता-चप्पल निर्माण के काफी ऑर्डर आते हैं. बरसात के कुछ महीने में उनका धंधा मंदा रहता है. अन्य महीनों में धंधे में तेजी रहती है.
अक्तूबर तक होगा कलस्टर का निर्माण:मोरा तालाब व उसके आसपास जूता-चप्पल निर्माण के 35 से 40 दुकानें हैं. उद्योग विभाग द्वारा यहां जूता-चप्पल निर्माण से जुड़े कारीगरों का कलस्टर तैयार किया जा रहा है. इन कारीगरों ने बताया कि अक्टूबर माह तक कलस्टर का निर्माण हो जायेगा. कलस्टर के निर्माण हो जाने से इनके धंधे में और तेजी आने की संभावना जतायी जा रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें