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दर्जा अनुमंडलीय पर व्यवस्था रेफरल जैसी

हाल राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल. मरहम पट्टी करने वाला भी नहीं, हर दिन फजीहत राजगीर : सर्जन न ड्रेसर हर दिन होती मरीजों को फजीहत. बावजूद आते प्रत्येक दिन औसतन 300 मरीज. एेसे में यहां मरीजों का समुचित इलाज कैसे संभव हो पाता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. यह हाल राजगीर के अनुमंडलीय अस्पताल […]

हाल राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल. मरहम पट्टी करने वाला भी नहीं, हर दिन फजीहत

राजगीर : सर्जन न ड्रेसर हर दिन होती मरीजों को फजीहत. बावजूद आते प्रत्येक दिन औसतन 300 मरीज. एेसे में यहां मरीजों का समुचित इलाज कैसे संभव हो पाता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. यह हाल राजगीर के अनुमंडलीय अस्पताल का है. यहां प्रत्येक दिन लगभग 300 मरीजों को देखा जाता है. फिर उन्हें हॉस्पीटल के कॉउटर से दवा उपल्बध करायी जाती है. सुबह के सात बजे से यहां ओपीडी सेवा शुरू हो जाती है जो दोपहर के एक बजे तक चलती है.
इसके बाद मरीजों को सिर्फ इमरजेंसी सेवा उपलब्ध हो पाती है. ओपीडी में अभी 32 प्रकार की दवा तथा इमरजेंसी में 80 प्रकार की दवा रोगियों को दी जा रही है. हॉस्पीटल के भवन तो अच्छा है. यहां डॉक्टरों और कर्मियों के कमी के कारण रोगियों को इलाज कराने में फजीहत झलनी पड़ती है.
16 की जगह छह डॉक्टर ही कार्यरत : यहां डॉक्टरों संख्या अभी मात्र छह है जबकि 16 चिकित्सकों का पद सृजित है. इन छह डॉक्टरों में भी दो डॉक्टर अनुबंध पर बहाल हैं. इन छह चिकित्सकों में एक प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के पद भार संभाल रहे हैं. दो विशेषज्ञ डॉक्टर हैं जिनमें एक आंख और दूसरे दांत के डॉक्टर हैं. एक महिला चिकित्सक कार्यरत हैं. इस का दर्जा अनुमंडलीय का पर सुविधाएं रेफरल अस्पताल जैसी भी नहीं. यहां पर एक सौ बेड की व्यवस्था होनी चाहिए पर अभी महज 38 बेड ही उपलब्ध हैं. आये दिन रोगियों को परेशानी झेलनी पड़ती है. कम डॉक्टर की वजह से ओपिडी में भी होती है परेशानी. राजगीर एक अंतराष्ट्रीय पर्यटक स्थल है. इस वजह से यहां पर प्रमुख लोगों का आगमन आय दिन होत रहता है. ऐसे में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी समय पर खलती है. कभी-कभी कुछ डॉक्टर छुट्टी पर भी जाते है़. लिहाजा ओपीडी में भी डॉक्टरों की कमी देखी जाती है.
आउटसोर्सिग से होता है अल्ट्रासाउंड
यहां अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था आउटसोर्सिंग के माध्यम से किया जाता है. जो लोगों को नि:शुल्क सेवा उपलब्ध करायी जाती है. खून पेशाब आदि की जांच मुफ्त में की जाती है. साफ सफाई, बिजली की सप्लाइ व गार्ड की व्यवस्था भी यहां आउटसोर्सिंग से होती है. इस अस्पताल में मात्र एक ही एंबुलेंस की व्यवस्था है. जिससे इमरजेंसी में रोगियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. विशिष्ठ लोगों के आगमन के वक्त एंबुलेंस बाहर से मंगायी जाती है. एक ही साथ यहां चलता है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अनुमंलीय अस्पताल. जिससे कुछ हद तक डॉक्टरों व कर्मियों की कमी को पूरा किया जाता है. डॉक्टरों की कमी से हल्के रूप से गंभीर रोगियों को भी बाहर रेफर कर दिया जाता है.
व्यवस्था और होनी चाहिए सुदृढ़: सिलाव के खार पर सबरैत टोला के मरीज आशा देवी कहती हैं कि यहां चिकित्सा की ठीक है. लेकिन और सुविधाएं होनी चाहिए. राजगीर थाना के पास निवासी संजना कुमारी कहती हैं खासी और माथा में दर्द है यहां दिखाने आयी हूं पर डॉक्टर बिना देखे बिना कुछ चेक किये ही परची पर दवा लिख दी. राजगीर बड़ी मिल्की पर की प्रसूता अनुराधा कुमारी कहती हैं कि यहां नियमित इलाज करा रही हूं. सुविधा मिल रही है. नयी पोखर निवासी आशा देवी कहती हैं कि मैं ब्लड की जांच करानी आयी हूं. जांच के लिए कतार में हूं. बैठने की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है.
क्या कहते हैं अधिकारी
कम संसाधन के बावजूद मरीजों को बेहतर सेवा दी जाती है.यहां लगभग 300 मरीजों का इलाज प्रत्येक दिन होता है.वहीं अल्ट्रासाउंड व पैथोलॉजी सेवा लोगों को मुफ्त में दी जा रही है.
डा़ॅ उमेश चंद्रा, उपाधीक्षक, राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल

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