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क्षेत्रीय नायकों को इतिहास की मुख्यधारा में लाने की जरूरत

क्षेत्रीय नायकों को इतिहास की मुख्यधारा में लाने की जरूरत

दीपक 4-5

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

सीनेट हॉल में विश्वविद्यालय इतिहास विभाग, बाबा साहेब भीमराव बिहार विश्वविद्यालय व काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान, पटना के संयुक्त तत्वाधान में “भारतीय स्वाधीनता के लिए संघर्षरत संग्रामी व नेताओं के योगदान का इतिहास, एक पुनर्विचार ” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई. कुलपति प्रो दिनेश चंद्र राय ने स्थानीय इतिहास लेखन के महत्ता पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्र के तासीर के अनुसार से लेखन पर जोर दिया. उन्होंने इतिहास के लेखन में कृषि, भौगोलिक विविधता व विज्ञान को शामिल करने की जरूरत पर बल दिया.

मुख्य वक्ता प्रो हितेंद्र पटेल, रवीन्द्र भारती विवि कोलकाता ने कहा कि साहित्यिक स्रोतों के जरिये गांवों, कस्बों और मुहल्लों के स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी को उजागर करने की जरूरत है. विशिष्ट वक्ता के रूप में दिल्ली विवि के इतिहासकार प्रो जेएन सिन्हा ने स्वतंत्रता आंदोलन के क्षेत्रीय नायकों व उपेक्षित आंदोलनों को इतिहास की मुख्यधारा में लाने के महत्व को रेखांकित किया और हुस्सेपुर राज के फतेह बहादुर शाही के ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ संघर्ष को साझा किया.

इस अवसर पर बाबा साहेब भीमराव बिहार विश्वविद्यालय व काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान, पटना के बीच अकादमिक उद्देशय से एक मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग पर भी हस्ताक्षर किया गया. संगोष्ठी के दौरान विभागाध्यक्ष प्रो रेणु कुमारी ने स्वागत भाषण, डॉ गौतम चंद्रा ने विषय प्रवेश, धन्यवाद ज्ञापन डॉ शिवेश व डॉ अंशु त्यागी ने मंच संचालन किया. इस अवसर पर प्रॉक्टर प्रो बीएस राय, प्रो प्रभाकर सिंह, प्रो अजीत, प्रो पंकज राय, डॉ अर्चना पांडेय, डॉ दिलीप, डॉ अमर बहादुर शुक्ला, डॉ अमानुल्लाह, शोधार्थी हिमांशु आदि शामिल हुए.

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