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मुजफ्फरपुर नगर निगम में 63.01 लाख का जीएसटी घोटाला: मेयर ने तलब की रिपोर्ट, मचा हड़कंप

Mayor summoned the report, there was commotion

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मुजफ्फरपुर नगर निगम में 63.01 लाख का जीएसटी घोटाला: मेयर ने तलब की रिपोर्ट, मचा हड़कंप

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ऑटो टिपर खरीद में लगभग पौने चार करोड़ रुपये का घोटाला सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा था,

डस्टबिन, सुपर सकर मशीन, स्ट्रीट लाइट और बिजली पोल की नंबरिंग में भी हो चुकी है अनियमितता

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर नगर निगम में 63.01 लाख रुपये के जीएसटी घोटाले के खुलासे के बाद नगर निगम का राजनीतिक माहौल लंबे समय बाद गरमा गया है. निगम के गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी है. चर्चा यह भी है कि 63.01 लाख रुपये का घोटाला सिर्फ एक मद में है. महालेखाकार की आखिरी ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर कई अन्य मदों में भी करोड़ों रुपये का घोटाला (वित्तीय अनियमितता) उजागर होगा, जिसमें कई तत्कालीन अधिकारी व कर्मियों की गर्दन फंसेगी. हालांकि, 63.01 लाख रुपये का जीएसटी घोटाला उजागर होने के बाद इसे दबाने की पूरी कोशिश की जा रही है. दूसरी तरफ, निगम सरकार इसे सार्वजनिक करने की बात कह रही है. मामले का खुलासा होने के बाद महापौर निर्मला साहू ने अधिकारियों से इसकी रिपोर्ट तलब कर दी है. महापौर का कहना है कि मुझे इसकी भनक पहले से थी. लेकिन, समझ में नहीं आ रहा है कि मामले को क्यों दबाया जा रहा है. सशक्त स्थायी समिति से पूर्व में कई बार आखिरी महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट की मांग की गयी. लेकिन, तब से लेकर अब तक के अधिकारी इसे दबाते चले आ रहे हैं. तरह-तरह की दलील पेश करते हैं. अब राज्य सरकार ही रिपोर्ट तलब कर दी है. नगर विकास एवं आवास विभाग से जो पत्र नगर निगम में आया है. इसे देखने से यह स्पष्ट हो गया है कि ऑडिट के दौरान खुलासा हुए 63.01 लाख रुपये के घोटाले में शामिल तत्कालीन अधिकारी व कर्मियों को बचाने के लिए नगर निगम से साक्ष्य सहित जांच रिपोर्ट भेजने में जानबूझकर देरी की जा रही है. यह नगर निगम के हित में सही नहीं है. महापौर निर्मला साहू ने जल्द ही इन मुद्दों पर एक हाईलेवल मीटिंग करने की बात कही है.

बॉक्स ::: फिर आया सुर्खियों में, नगर निगम का घोटाले से है पुराना नाता

मुजफ्फरपुर नगर निगम का घोटाले से काफी पुराना नाता रहा है. ऑटो टिपर खरीद में हुई लगभग पौने चार करोड़ रुपये का घोटाला सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा था. विजिलेंस जांच और प्राथमिकी दर्ज होने के बाद इसमें तत्कालीन नगर आयुक्त, एडीएम, कार्यपालक अभियंता सहित कई की नौकरी जा चुकी हैं. जेल जाने की नौबत आ गयी थी. अधिकारी भागे-भागे फिर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिली थी. इसके अलावा डस्टबिन, सुपर सकर मशीन, स्ट्रीट लाइट एवं बिजली पोल की नंबरिंग में बड़ा खेल हुआ था. बाद के दिनों में आईएएस अधिकारियों की तैनाती के बाद इस पर लगाम लगा. लेकिन, जीएसटी घोटाले के बाद एक बार फिर नगर निगम अपने पुराने कारनामों को लेकर सुर्खियों में आ गया है.

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