:: बकुची में पीपा पुल पर चढ़ गया था पानी, शाम तक फिर आवागमन हुआ सुचारू
प्रतिनिधि, कटरा प्रखंड के प्रमुख नदी बागमती के जलस्तर में अचानक लगभग पांच फुट की वृद्धि हो जाने से पीपा पुल के दक्षिण भाग में सड़क के ऊपर बाढ़ का पानी चढ़ गया. इससे प्रखंड के उत्तरी हिस्से के 14 पंचायतों के लोगों को प्रखंड मुख्यालय से लगभग छह घंटे तक सड़क संपर्क भंग रहा. बकुची निवासी धर्मेंद्र कमती ने बताया कि सुबह लगभग चार बजे से बारह बजे दिन तक पीपा पुल बंद रहने के कारण प्रखंड के उत्तरी हिस्से के बसघट्टा, चंगेल, कटाई, पहसौल, लखनपुर, यजुआर मध्य, यजुआर पश्चिम, यजुआर पूर्वी, बंधपुरा, तेहबारा, बर्री,तेहबारा, नगबारा, बेलपकौना पंचायत के लगभग 50 गांवों के लोगों को प्रखंड मुख्यालय तक आने के लिए दो से पंद्रह किलोमीटर की जगह लगभग चालीस किलोमीटर दूरी तय कर प्रखंड मुख्यालय आना पड़ा. हालांकि देर शाम तक जलस्तर में कमी आने पर फिर से पीपा पुल को चालू कर दिया गया.
कटरा, औराई व गायघाट के लिए पीपा पुल अहमसताने लगी बाढ़ की चिंता
बागमती नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी रहने के कारण प्रखंड के बकुची, पतारी, नवादा, परती टोला, बर्री, चंदौली, बलुआ, माधोपुर, अंदामा सहित अन्य गांव के लोगों को बा़ढ की विभीषिका की चिंता सताने लगी है. बकुची निवासी हंसराज भगत, पूर्व मुखिया रामसकल भगत सहित अन्य लोगों का कहना है कि जलस्तर में वृद्धि जारी रही तो बकुची, पतारी, अंदामा, पतारी, नवादा सहित अन्य गांव के खेतों में लगे सैकड़ों एकड़ सब्जी फसल बर्बाद हो जायेगी.
15 दिन में दो बार अतरार घाट पर चचरी पुल बहा औराई. बागमती नदी के जलस्तर में तेज गति से बढ़ोतरी होने के कारण अतरार घाट पर बना चचरी पुल एक बार फिर से ध्वस्त हो गया. नेपाल के जल अधिग्रहण वाले क्षेत्र में विगत 24 घंटे से हो रही बारिश के कारण बागमती और इसकी सहायक नदियों के जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गयी. कटौझा में बागमती नदी के जलस्तर में विगत रात्रि से सुबह तक 54 सेमी की बढ़ोतरी हुई. इस बीच दक्षिणी उपधारा पर पानी का दबाव होने के बाद अतरार घाट चचरी पुल जो कि मरम्मत के बाद चालू किया गया था, वह पुनः एक बार फिर से पानी में बह गया. अब प्रखंड मुख्यालय जाने के लिये इस इलाके के लोगों को लगभग 30 किमी. की अतिरिक्त दूरी तय करनी होगी. इस बीच बागमती तटबंध की मरम्मत किये जाने के कारण बांध पर से लोगों को खाली करने का अल्टीमेट दिया गया है. अल्टीमेटम मिलने से विस्थापित एक दर्जन गांवों के लोग एक बार फिर से परेशानी में आ गए हैं. विस्थापित लोगों का कहना था कि सरकार ने अब तक आधा अधूरा मुआवजा देकर छोड़ दिया है. पुनर्वास की जमीन मिल जाती तो हम लोग बांध पर खानाबदोश की जिंदगी क्यों बिताते. मिट्टी के अवैध खनन से बागमती नदी के दक्षिणी बांध के बेनीपुर व महुआरा व उत्तरी बांध के भरथुआ में कटाव के साथ ही बांध के दरकने का खतरा एक बार फिर बन गया है. अवैध मिट्टी खनन माफियाओं ने दो तटबंधों को कई स्थानों पर काट कर क्षत विक्षत कर दिया है, जिसे समय रहते मरम्मत नहीं की गई तो बड़ा खड़ा उत्पन्न हो सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

