Bihar News: बिहार में कानून और प्रशासन की अजीब हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां तीन पूर्व जनप्रतिनिधियों के निधन के बावजूद उनके खिलाफ मुजफ्फरपुर अदालत में मुकदमे लगातार जारी हैं. पुलिस की निष्क्रियता के कारण अब तक इन मुकदमों को समाप्त नहीं किया गया है, जिससे विशेष अदालत में हर महीने इन मामलों की सुनवाई हो रही है.
इन मृत मंत्रियों और विधायक के खिलाफ लंबित मुकदमे
पूर्व मंत्री रमई राम का निधन 14 जुलाई 2022 को 78 वर्ष की आयु में हो गया था. बावजूद इसके, उनके खिलाफ 15 वर्षों से चल रहा मामला अब भी कोर्ट में लंबित है. नगर थाना में दर्ज इस केस में अगली सुनवाई 5 अप्रैल को निर्धारित है, जहां उनकी हाजिरी के लिए नाम पुकारा जाएगा.
67 वर्ष की उम्र में वर्ष 2021 में पूर्व कृषि मंत्री राम विचार राय का निधन हो गया था, लेकिन उनके खिलाफ दर्ज दो मुकदमे अब भी अदालत में चल रहे हैं. पहला केस 2010 में नगर थाना में दर्ज हुआ था, जिसमें एक गवाह का बयान हो चुका है, जबकि दूसरे गवाह के पेश न होने पर जमानतीय वारंट जारी किया गया था. इस मामले में भी अगली सुनवाई 5 अप्रैल को तय है. इसके अलावा, 2005 में देवरिया कोठी थाना में उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की पांच धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई थी.
पूर्व विधायक मिथिलेश प्रसाद राय के खिलाफ 2012 में नगर थाना में IPC की तीन धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था. इस मुकदमे में अब तक छह गवाहों के बयान हो चुके हैं और अगली सुनवाई 5 अप्रैल को निर्धारित की गई है.
पुलिस की लापरवाही के कारण नहीं हो रहे केस बंद
जिला अभियोजन अधिकारी डॉ. ए.के. हिमांशु के अनुसार, कानून के तहत मृत अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमे बंद करने का प्रावधान है. गृह विभाग नियमित रूप से सांसदों, विधायकों और पूर्व जनप्रतिनिधियों के मामलों की समीक्षा करता है. लेकिन इन तीनों मामलों में पुलिस की ओर से अदालत को अब तक मृत्यु संबंधी रिपोर्ट नहीं भेजी गई है. जब तक यह रिपोर्ट अदालत को नहीं मिलेगी, तब तक इन मुकदमों को समाप्त करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती.
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न्याय व्यवस्था पर उठे सवाल
तीनों पूर्व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मामले विशेष अदालत में लंबित हैं. कई सुनवाई की तारीखें बीतने के बावजूद प्रशासन की सुस्ती के कारण अब तक इन मुकदमों को समाप्त नहीं किया गया है. यह मामला बिहार की न्याय व्यवस्था और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है. अगर समय रहते पुलिस रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत कर दी जाती, तो इन मुकदमों को कानूनी रूप से समाप्त किया जा सकता था.