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Bihar: बूढ़ी गंडक के बढ़े जलस्तर से जलमग्न हुआ मुजफ्फरपुर, 80 पंचायताें के 451 वार्डों में घुसा बाढ़ का पानी

बूढ़ी गंडक, गंडक व बागमती में उफान से अब मुजफ्फरपुर जिले की 80 पंचायतों के 451 वार्डों में बाढ़ का पानी घुस गया है. फिलहाल बूढ़ी गंडक गंडक नदी खतरे के निशान से 1.10 मीटर ऊपर है. लेकिन, पानी ठहरा हुआ है. उधर, गंडक नौ सेंमी ऊपर है. इसका पानी बढ़ रहा है. बागमती खतरे के निशान से नीचे है. इसका पानी तेजी से घट रहा है. प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार दो लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है. वहीं, 45 हजार पशु भी बाढ़ की मार झेल रहे हैं.

बूढ़ी गंडक, गंडक व बागमती में उफान से अब मुजफ्फरपुर जिले की 80 पंचायतों के 451 वार्डों में बाढ़ का पानी घुस गया है. फिलहाल बूढ़ी गंडक गंडक नदी खतरे के निशान से 1.10 मीटर ऊपर है. लेकिन, पानी ठहरा हुआ है. उधर, गंडक नौ सेंमी ऊपर है. इसका पानी बढ़ रहा है. बागमती खतरे के निशान से नीचे है. इसका पानी तेजी से घट रहा है. प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार दो लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है. वहीं, 45 हजार पशु भी बाढ़ की मार झेल रहे हैं.

पक्का मकान वालों की छत तो फूस वाले का सड़क बनी आशियाना

बांध किनारे नदी की पेटी में बसे लोगों के घरों में पानी घुस गया है. पीड़ित छत या दूसरी मंजिल शरण ले ली है. जबकि फूस के मकान वाले बांध पर शेड बनाकर रह रहे हैं. मवेशी पालक बांध पर तिरपाल लगाकर पशुओं की देखभाल कर रहे हैं. शहर के निचले इलाके में बसे एक दर्जन माेहल्लाें के लोगों के परेशानी काफी बढ़ गयी है. पानी से अब बदबू आने लगा है. लेकिन, घर की सुरक्षा को लेकर पानी के बीच रहने को मजबूर हैं.

मीनापुर में बूढ़ी गंडक नदी का पानी स्थिर, तबाही जारी

बूढ़ी गंडक नदी का पानी स्थिर है लेकिन तबाही बरकरार है. प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क टूटने के बाद रोजमर्रा के सामान के लिए बाढ़ पीड़ितों की परेशानी बढ़ गयी है. नाव के लिए भी मारामारी रहती है. कोईली पंचायत के मुखिया अजय सहनी ने रविवार को पंचायत के बाढ़ पीड़ितों के बीच पॉलिथिन वितरण किया. सामुदायिक किचेन नहीं चलने से बाढ़ पीड़ितों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. बांध पर शरण लिए विस्थापितों को सांप, छुछुंदर से परेशानी बढ़ गयी है.

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औराई में 22 नावों के सहारे चल रही जिंदगी

बागमती के जलस्तर में लगातार कमी जारी है. कटौझा में बागमती का जलस्तर खतरे के निशान से 43 सेमी नीचे बह रहा है. सभी सामुदायिक किचेन बंद कर दिया गया है. वहीं सरकारी व निजी 22 नावों के सहारे लोग आवागमन कर रहे हैं. लखनदेई व मनुषमारा की मुख्य धारा स्थिर जरूर है लेकिन जल निकासी की ठोस व्यवस्था स्थानीय स्तर पर नहीं होने की वजह से निचले इलाकों में जलस्तर रविवार को भी बढ़ता रहा. इन दो नदियों के प्रभाव से 16 पंचायत में धान होने के आसार दूर दूर तक नहीं दिख रहे हैं. नदी का काला पानी पूरी तरह डेरा जमा चुका है जिससे फसल नहीं हो पायेगी. वहीं काला पानी के प्रकोप से जल जनित बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. सरकारी स्तर पर किसी पर किसी प्रकार का कोई राहत कार्य नहीं चलाया जा रहा है.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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