प्रखंड मुख्यालय के ठीक पीछे स्थित वर्षों पुराना सरकारी पोखर सूख गया है. करीब 10 वर्ष पूर्व तक इस पोखर में पानी भरा हुआ रहता था. लोग उसमें मवेशी को नहाने के साथ साथ स्वयं भी नहाते थे लेकिन विगत कुछ वर्ष से वर्षा नहीं होने के कारण आज इसका अस्तित्व खतरे में आ गया है. अब यह सिर्फ नाम का पोखर रह गया है. पोखर में पानी नहीं होने के कारण आसपास के लोगों को खेती करने, मवेशी को नहलाने एवं पानी पिलाने में काफी कठिनाई होती है. पोखर को बचाने के लिए सरकारी महकमे द्वारा कोई व्यवस्था नहीं किये जाने से लोगों में आक्रोश है. पोखर के सूख जाने के कारण बच्चे अब इसमें क्रिकेट मैच खेलते हैं. बंदरा के पैक्स अध्यक्ष उदय नारायण राय, राजमंगल साह बताते हैं कि वर्ष 1994 में प्रखंड के स्थापना से पूर्व इस पोखर के भीरा पर श्मशान हुआ करता था. प्रखंड के स्थापना के बाद भवन निर्माण होने से पोखर का सौंदर्य बढ़ गया लेकिन जैसे जैसे वर्षा होना कमता गया वैसे वैसे पोखर सूखता चला गया. विगत छठ पर्व के समय में एक सप्ताह तक मोटर से लगातार पानी डालने के बाद छठ हुआ. बंदरा पंचायत के मुखिया निर्मला देवी बताती हैं कि पोखर के एक छोर पर किसान भवन, दूसरे छोर पर पंचायत सरकार भवन एवं एफसीआई का गोडाउन एवं तीसरे छोर पर सीएचसी का भवन बन जाने से इसकी महत्ता तो बढ़ गयी है लेकिन वर्षा नहीं होने के कारण पोखर का जलस्रोत सूख गया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है