आंवले के वृक्ष के नीचे बनेगा भोजन, दान करने की पंरपरा उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी गुरुवार को होगी. इस दिन ही अक्षय नवमी का त्योहार मनाया जायेगा. महिलाएं आंवला के वृक्ष की पूजा करेंगी और वृक्ष के नीचे ही भोजन बनेगा. साथ ही भगवान विष्णु की पूजा भी होगी. ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कूष्मांडक नामक दैत्य को मारा था. इसी दिन कृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा की थी. पं प्रभात मिश्रा ने कहा कि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना का विधान है. ऐसा माना जाता है कि अक्षय नवमी को दान पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. अन्य दिनों की तुलना में नवमी पर किया गया दान कई गुना अधिक लाभ दिलाता है. आंवले के वृक्ष को विष्णु व शिव का प्रतीक चिह्न मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले की वृक्ष की पूजा की थी. पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु व शिव प्रकट हुए, लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनकर, विष्णु व भगवान शिव को भोजन कराया था. इसके बाद स्वयं भोजन किया, जिस दिन यह घटना हुई थी उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी थी हालांकि अक्षय नवमी के दिन आंवले का सेवन करने का वैज्ञानिक कारण भी है. चरक संहिता के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला खाने से शरीर स्वस्थ रहता है. वैज्ञानिकों की मानें तो वह व्रत उस समय किया जाना है, जब मौसम तेजी बदल रहा होता है. ऐसे में आंवला वृक्ष के करीब आना और इसका सेवन करना लाभकारी होता है. अक्षय नवमी के दिन आंवले की पूजा करना व आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन आंवला जरूर खाना चाहिये.
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